सात दिन में किसान दें जवाब नहीं तो वापस होगा जेवर एयरपोर्ट का प्रस्ताव, जानें- कहां फंसा है पेंच
प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि किसानों की सहमति लेकर ही जमीन का अधिग्रहण होगा। अगर किसान नहीं चाहते हैं कि जेवर एयरपोर्ट बने, तो प्रदेश सरकार एयरपोर्ट का प्रस्ताव रद कर देगी।
नोएडा [जेएनएन]। किसानों की सहमति के बगैर जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसान जमीन देने के लिए तैयार नहीं होंगे तो प्रदेश सरकार जेवर में एयरपोर्ट के प्रस्ताव को वापस ले लेगी। जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन व प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त डा. प्रभात कुमार व सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने बुधवार को गौमतबुद्ध विश्वविद्यालय में प्रभावित गांवों के किसानों के साथ बैठक की। उन्होंने किसानों को साफ कर दिया कि चार गुना मुआवजा देने पर एयरपोर्ट का निर्माण सफल नहीं होगा। किसी भी कीमत पर सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा नहीं दिया जा सकता।
किसानों की सहमति लेकर ही जमीन का अधिग्रहण होगा
प्राधिकरण के इस प्रस्ताव से जेवर एयरपोर्ट के जमीन अधिग्रहण पर गेंद किसानों के पाले में आ गई है। राजनीतिक दल इस मुद्दे को भुनाने के प्रयास में लग गए थे। लेकिन सरकार ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि किसानों की सहमति लेकर ही जमीन का अधिग्रहण होगा। अगर किसान नहीं चाहते हैं कि जेवर एयरपोर्ट बने, तो प्रदेश सरकार एयरपोर्ट का प्रस्ताव रद कर देगी।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन डा. प्रभात कुमार व सीईओ डा. अरुणवीर सिंह को लखनऊ बुलाकर बैठक की और निर्देश दिया कि जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों के साथ बैठक कर उनकी सहमति लेने का प्रयास करें। मुख्यमंत्री के निर्देश पर दोनों अधिकारियों ने जीबीयू में किसानों के साथ बैठक कर उनके सामने मुआवजे के लिए दो विकल्प रखे। पहले विकल्प में किसानों को जमीन के एवज में 23 सौ रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी या पांच लाख रुपये एक मुश्त, विस्थापन पर मकान बनाने के लिए पचास वर्गमीटर भूखंड, भवन के इंफ्रास्ट्रक्चर का मुआवजा आदि मिलेगा। दूसरे विकल्प में किसानों को 25 सौ रुपये प्रति वर्गमीटर का मुआवजा मिलेगा, लेकिन किसी तरह की अतिरिक्त सुविधा नहीं मिलेगी।
खुद अच्छे बुरे का आकलन करें किसान
उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि किसी के बहकावे में आने के बजाय वह खुद अच्छे बुरे का आकलन कर फैसला करें। बाहरी लोगों, नेताओं या दलालों के दबाव में आकर गलत निर्णय न करें। उन्होंने किसानों को फैसला करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। प्राधिकरण के अधिकारी भी गांवों में जाकर सीधे किसानों से वार्ता करेंगे। किसानों का जो भी निर्णय होगा, उससे प्रदेश सरकार को अवगत कराया जाएगा।
किसानों में मतभेद
बैठक में मौजूद कई किसानों ने उनके प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया है। हालांकि कुछ लोगों ने विरोध भी किया। इससे किसानों में आपस पर भी मतभेद हो गए। नागर विमानन मंत्रालय ने भी प्रदेश सरकार को जमीन अधिग्रहण की अड़चन दूर करने के लिए 15 दिनों का समय दिया है। अगर प्रदेश सरकार इसमें असफल होती है तो एयरपोर्ट निर्माण के लिए दूसरे राज्यों के विकल्प पर काम शुरू हो सकता है।
जिलाधिकारी तीन दिन गांवों में करेंगे कैंप
किसानों की सहमति लेने के लिए गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह अब खुद प्रभावित गांवों में कैंप करेंगे। वह 16,17 व 19 अगस्त को गांवों में रहकर किसानों के साथ बैठक करेंगे। मुआवजे पर सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा। डीएम ने कहा कि किसानों की सहमति लेकर ही जमीन अधिग्रहण होगा।