Move to Jagran APP

कश्मीरी गेट इलाके में अपना वजूद समेटे है ऐतिहासिक लाल मस्जिद, जानें- क्या है खास

तीन सौ साल पुरानी ऐतिहासिक लाल मस्जिद को भारत में राज करने वाले छठे मुगल शासक औरंगजेब की सेना में कर्नल रहे नवाब सुजात खान की याद में उनकी पत्नी फकरी-ई जहां ने 1728 के दशक में बनवाया था।

By Edited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 10:18 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 06:00 AM (IST)
कश्मीरी गेट इलाके में अपना वजूद समेटे है ऐतिहासिक लाल मस्जिद, जानें- क्या है खास
कश्मीरी गेट इलाके में अपना वजूद समेटे है ऐतिहासिक लाल मस्जिद, जानें- क्या है खास

नई दिल्ली [किशन कुमार]। कश्मीरी गेट के बड़ा बाजार इलाके में पहले कभी दूर से ही लाल मस्जिद दिखाई देती थी। इसमें नमाजी नमाज अदा करने पहुंचते थे, लेकिन समय के साथ इलाके में हुई बसावट के साथ मस्जिद आबादी के बीच सिमट कर रह गई। तीन सौ साल पुरानी ऐतिहासिक लाल मस्जिद को भारत में राज करने वाले छठे मुगल शासक औरंगजेब की सेना में कर्नल रहे नवाब सुजात खान की याद में उनकी पत्नी फकरी-ई जहां ने 1728 के दशक में बनवाया था।

loksabha election banner

1728 में बनवाई गई मस्जिद
मस्जिद के इमाम मोहम्मद इकबाल ने बताया कि इस मस्जिद को आज फकरुल मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि नवाब सुल्तान औरंगजेब की सेना के बहादुर सैन्य अधिकारी थे, लेकिन एक युद्ध के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हुए। इसके बाद उनकी पत्नी ने उनकी याद में एक मस्जिद बनवाने की ठानी। कई जगहों का चुनाव करने के बाद उनकी पत्नी को यह जगह सबसे बेहतर लगी। इसके बाद 1728 में इस मस्जिद को बनवाया गया।

उस समय यहां कम आबादी थी
इमाम ने बताया कि जिस समय मस्जिद को बनवाया गया था उस समय यहां कम आबादी थी। इस वजह से मस्जिद दूर से ही दिख जाती थी। वहीं, उस जमाने में जमीन भी इतनी ऊंची नहीं थी। इसलिए मस्जिद का गुंबद देख लोग नमाज के लिए चले आते थे। हालांकि, आज भी बड़ी संख्या में यहां नमाजी नमाज अदा करने पहुंचते हैं।

मस्जिद के आगे एक फव्वारा भी हुआ करता था
इमाम ने बताया कि पहले मस्जिद के आगे एक फव्वारा भी हुआ करता था। इसमें रात में चांद की चांदनी में मस्जिद का प्रतिबिंब चमकता था। मस्जिद के अंदर नमाज अदा करने के स्थान पर सफेद संगमरमर लगा हुआ है, वहीं इसके बाहर की तरफ संग-ए-सुर्ख (लाल पत्थर) से इसका निर्माण किया गया है। मस्जिद का गुंबद नूर-ए-संग संगमरमर लगा होने के कारण धूप की रोशनी में तेज चमकता है।

बड़ी संख्या में आते हैं लोग 
इमाम इकबाल ने बताया कि मस्जिद की ऐतिहासिकता को देखते हुए प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में शोध व अनुसंधान के लिए स्कूल व कॉलेज के छात्र पहुंचते हैं। इसी के साथ ही मस्जिद में पांच वक्त की नमाज भी अदा की जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.