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दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में आखिर क्यों चर्चा का विषय बन गई 'सब्जी की टोकरी'

टोकरी के साथ हर सांसद को ज्ञापन भी दिया गया। इसमें लिखा है कि आप सरकार का हिस्सा हैं इसलिए जनता को महंगाई से निजात दिलाना आपका नैतिक कर्तव्य भी है। सांसद मनोज तिवारी तो आलू प्याज और टमाटर की इस टोकरी को देख मुस्कराए बिना भी नहीं रह सके।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 01:46 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 01:46 PM (IST)
दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में आखिर क्यों चर्चा का विषय बन गई 'सब्जी की टोकरी'
दिल्ली के कई नेता टोकरी औैर इस प्रयोग की सराहना सभी कर रहे हैं।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। त्योहारी माहौल के बीच राजनीतिक गलियारों में आजकल एक टोकरी चर्चा का विषय बनी हुई है। यह टोकरी है महंगी सब्जियों की, जिसे उपहार की तरह तैयार कराया है दिल्ली महिला कांग्रेस ने। ऐसी कई टोकरियां महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष अमृता धवन ने अपनी टीम के साथ दिल्ली के भाजपा सांसदों को भेंट की हैं। न..न.. दीवाली के उपहार स्वरूप नहीं बल्कि सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के विरोध में। टोकरी के साथ हर सांसद को एक ज्ञापन भी दिया गया। इसमें लिखा है कि आप सरकार का हिस्सा हैं, इसलिए जनता को इस महंगाई से निजात दिलाना आपका नैतिक कर्तव्य भी है। सांसद मनोज तिवारी और गौतम गंभीर तो आलू, प्याज और टमाटर की इस टोकरी को देख मुस्कराए बिना भी नहीं रह सके। महंगाई से दिल्ली वासियों को कोई राहत मिले या नहीं, लेकिन टोकरी औैर इस प्रयोग की सराहना सभी कर रहे हैं।

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मिठाई के साथ सुरक्षा का भी खयाल

दीवाली पर मिठाई बांटना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। राजनीतिक दल भी इस परंपरा को बखूबी निभाते रहे हैं। लेकिन इस कोरोना काल में दिल्ली कांग्रेस ने मिठाई की परंपरा के साथ-साथ संक्रमण से बचाव का भी खयाल रखा। मिठाई तो बांटी, साथ में सैनिटाइजर और मास्क देते हुए सुरक्षित दीवाली का संदेश भी दिया। प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी का कहना है कि परंपरापराएं निभाना भी जरूरी है और त्योहार मनाना भी, लेकिन कोविड-19 संक्रमण से बचाव करना भी स्वयं की ही जिम्मेदारी है। अगर एहतियात बरता जाता है तो कोरोना की इस तीसरी लहर को कम घातक बनाया जा सकता है। अक्सर विपक्षियों के निशाने पर रहने वाली प्रदेश कांग्रेस और इसके नेताओं की इस सोच को हर किसी ने सही बताया। हालांकि सराहना करने वाले चुटकी लेने से भी नहीं चूके कि कुछ भी कर लें, कांग्रेस के लिए दिल्ली अभी बहुत ही दूर है।

केबीसी तक डेंगू मच्छर की धमक

कहते हैं कि एक मच्छर आदमी को बर्बाद कर देता है, उसकी जान तक ले लेता है। ऐसे ही एक डेंगू मच्छर का खराब अनुभव दिल्ली ने झेला है, दिल्ली ने इसे बहुत करीब से महसूस किया है। कईयों के अपनों की जान यह मच्छर ले गया। दिल्ली में जो लोग लंबे समय से रह रहे हैं उन्हें अच्छी तरह याद होगा कि पांच-छह साल पहले तो एक समय ऐसा आया था कि सरकारी अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ गए तो मरीज अस्पताल की गैलरी में ही लेट गए और इलाज कराया। मगर दिल्ली में बढ़ी जागरुकता के बाद इस मच्छर का असर कम हुआ है। नगर निगम के प्रयासों के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल भी डेंगू को रोकने के लिए पिछले साल की तरह इस साल भी अभियान चला चुके हैं। उनके इस अभियान की धमक चर्चित टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति तक पहुंच चुकी है।

पूछ रहे लोग कब निकलेगा मफलर

नेता जी ने अपना हाफ स्वेटर तो निकाल लिया है। मगर मफलर कब निकलेगा। इसकी चर्चा हो रही है। नेताजी पिछले चार दिन से हाफ स्वेटर पहन कर घूम रहे हैं, मगर उनके मफलर का सभी को इंतजार है। रहे भी क्यों नहीं, क्योंकि यही वह मफलर है जिसने नेताजी यानी अरविंद केजरीवाल को मफलरमैन बना दिया। नेताजी मफलर से अधिक इसके बांधने के तरीके से प्रसिद्ध हुए। नेताजी अपनी ठंड दूर करने के लिए मफलर कुछ इस तरह बांध लेते थे कि जैसे मेहनत मजदूरी करने वाले लोग बांध लेते हैं। इसकी भी एक कहानी है, संघर्ष के दिनों में वह ठंड के समय भी रात में 3-4 बजे घर से निकल पड़ते थे। सिर और कानों को ठंड से बचाने के लिए टाइट कर मफलर बांध लेते थे। उनका यह स्टाइल बहुत पसंद किया गया। यहां तक कि दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी इसी तरह मफलर बांधते रहे।

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