... जब चोर की तरह थाने से भागे दिल्ली पुलिस के सिपाही, पढ़िए- यह रोचक स्टोरी
वहीं दिल्ली पुलिस के 615 सहायक उपनिरीक्षकों को जल्द पदोन्नति मिलेगी। कोरोना काल में इन योद्धाओं ने आगे काफी बढ़कर काम किया।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। सुभाष प्लेस थाने में गत दिनों सीबीआइ के छापे के दौरान दो पुलिसकर्मियों के चोर की तरह थाने से भागने का मामला हैरान करने वाला है। सीबीआइ ने रिश्वत के एक मामले में आरोपित सिपाही विक्रम को मौके से ही गिरफ्तार करने में सफल रही, लेकिन छापेमारी के दौरान थाने से हवलदार जयराम व सिपाही कपिल भाग खड़े हुए। उनकी यह हरकतें सवालों के घेरे में है। आखिर जब वे भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं थे तो भागे क्यों? पहली मंजिल पर कमरे में बैठे विक्रम को सीबीआइ द्वारा पकड़ने की भनक लगते ही बगल के कमरे में बैठा जयराम घबराकर मेज पर ही अपने चारों मोबाइल छोड़ एसीपी के कमरे की बालकनी से नीचे कूद गया। चोट लगने से वह बेहोश हो गया। हालांकि उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां से भी वह भाग गया। कपिल तो थाने से ही भाग गया। ऐसे में दोनों को ड्यूटी से अनुपस्थित कर दिया गया, लेकिन अब यह सुनने में आ रहा है कि दोनों ने गुपचुप ड्यूटी ज्वाइन कर ली है।
615 कोरोना योद्धाओं को मिलेगी पदोन्नति
दिल्ली पुलिस के 615 सहायक उपनिरीक्षकों को जल्द पदोन्नति मिलेगी। कोरोना काल में इन योद्धाओं ने आगे काफी बढ़कर काम किया। इनकी पदोन्नति लंबे समय से लंबित है। ऐसे में पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव की कोशिश है कि उन्हें पदोन्नति देकर उपउपनिरीक्षक बना दिया जाए। इससे उनका हौसला बढे़गा और वे ज्यादा ऊर्जा के साथ काम करेंगे। चूंकि उपनिरीक्षक किसी भी फोर्स की बैक बोन माने जाते हैं। ऐसे में लंबित मुकदमों की जांच में भी तेजी आएगी। आयुक्त ने सभी जिले व यूनिटों के डीसीपी से कहा है कि वे इन उपनिरीक्षकों के बारे में सात अगस्त तक डिटेल भेज दें ताकि 31 अगस्त तक उन्हें पदोन्नत किया जा सके। पांच साल पहले भी तत्कालीन पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को पदोन्नति दिलाई थी। अब दूसरी बार इतनी बड़ी संख्या में पदोन्नति दी जाएगी।
एसआइ की चोरी हुई गाड़ी डेढ़ लाख देने पर वापस मिली
दिल्ली पुलिस की देश में अलग पहचान है। गाहे- बगाहे अगर कोई कर्मी गलत काम कर बैठता है तो पूरे महकमे की छवि खराब होती है। अब क्राइम ब्रांच के चाणक्यपुरी स्थित इंटर स्टेट सेल के कार्यालय में तैनात कुछ अधिकारी व कर्मी इसी राह पर चलते दिखाई दे रहे हैं, जिससे कभी भी सवाल उठ सकता है। अधिकारियों ने बर्खास्त सिपाही सुभाष को मुखबिर बना रखा है। सीआरपार्क में तैनाती के दौरान जम्मू-कश्मीर की युवती से दुष्कर्म के आरोप में 2011 में उसे बर्खास्त किया जा चुका है। उसका रोज क्राइम ब्रांच आना-जाना होता है। बताया जाता है कि नौकरी जाने पर उसने दिल्ली-एनसीआर के वाहन चोरों के साथ गहरी पैठ बना ली। अब जिस गिरोह से उसकी सेटिंग गड़बड़ाती है उसकी मुखबिरी कर उसे पुलिस के हत्थे चढ़वा देता है। गत दिनों एसआइ नरेंद्र सेहरावत की फॉरच्यूनर चोरी हो गई तो सुभाष ने उनसे भी डेढ़ लाख रुपये ले लिए और फिर उनकी गाड़ी वापस दिलवा दी।
डीसीपी की मीटिंग से डर रहे हैं इंस्पेक्टर
कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिए पुलिस आयुक्त समेत कई अधिकारी जूम व अन्य एप के जरिये ही मी¨टग ले रहे हैं। शारीरिक दूरियां बनाकर रहने का सरकारी दिशानिर्देश भी है, लेकिन कुछ समय से दक्षिण-पूर्वी जिले के डीसीपी आरपी मीणा द्वारा अपने कार्यालय बुलाकर इंस्पेक्टरों की मी¨टग लेने से इंस्पेक्टर डरे हुए हैं। उन्हें चिंता हो रही कि कहीं वे संक्रमित न हो जाएं। दरअसल, जामिया नगर थाने के थानाध्यक्ष केपी मलिक दो बार संक्रमित हो चुके हैं। इंस्पेक्टर कहते हैं कि डीसीपी कार्यालय में जिस छोटे से कान्फ्रेंस हॉल में मी¨टग ली जाती है उसमें करीब 25 कुर्सियां हैं। गत दिनों पहले थानाध्यक्षों की चार घंटे, उसके बाद एटीओ और फिर इंस्पेक्टर इंवेस्टिगेशन की दो-दो घंटे मीटिंग ली गई। इस दौरान न तो कमरे को और न कुर्सियों को ही सैनिटाइज किया गया। इंस्पेक्टरों का डरना स्वाभाविक है, क्योंकि 2500 से अधिक पुलिसकर्मी संक्रमित हो चुके हैं और 15 कर्मियों की कोरोना से मौत हो चुकी है।