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किरायेदार रखते हैं या फिर रखने वाले हैं तो ये खबर आप जरूर पढ़ें

दिल्ली-एनसीआर में बड़ी संख्या में मकान मालिक नौकरों व किरायेदारों के पुलिस वेरिफिकेशन करने में कोताही बरतते हैं, लेकिन यह गंभीर मामला है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 10:43 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 11:47 AM (IST)
किरायेदार रखते हैं या फिर रखने वाले हैं तो ये खबर आप जरूर पढ़ें
किरायेदार रखते हैं या फिर रखने वाले हैं तो ये खबर आप जरूर पढ़ें

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली-एनसीआर में बड़ी संख्या में मकान मालिक नौकरों व किरायेदारों के पुलिस वेरिफिकेशन करने में कोताही बरतते हैं, लेकिन यह गंभीर मामला है। यह स्थिति एनसीआर में रह रहे लोगों के साथ ही राजधानी की सुरक्षा के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा करती है। नौकरों और किरायेदारों का वेरिफिकेशन न किए जाने के कारण दिल्ली में अक्सर बड़ी आपराधिक घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी ही एक घटना में दिल्ली से सटे मोदीनगर की भूपेंद्रपुरी कॉलोनी से एक सप्ताह पूर्व किशोर प्रियांशु की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई, हत्यारोपी यहां किराये के मकान में रहते थे और पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं कराया था।

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जरा सी चूक बड़ी हानिकारक साबित हो सकती है
राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण दिल्ली अक्सर आतंकियों के निशाने पर रहती है, ऐसे में यहां किसी को मकान किराये पर देते या नौकर रखते समय उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसमें जरा सी चूक राजधानी की सुरक्षा के लिए बड़ी हानिकारक साबित हो सकती है। नौकर और किरायेदार के वेरिफिकेशन को लेकर जितनी जिम्मेदारी पुलिस की है, आम लोगों की जिम्मेदारी भी उससे कम नहीं है। ऐसे में यह आम लोगों का भी दायित्व है कि वे किरायेदार और नौकर का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य रूप से कराएं।

स्वस्थ समाज के लिए भी पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी
सुरक्षा के लिहाज से ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते भी किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी है। ऐसे करने से आपके साथ समाज भी सुरक्षित रहेगा। ज्यादातर मकान मालिक किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन गैरजरूरी समझते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। यह मकान मालिक की पहली जिम्मेदारी है कि इसकी गंभीरता को समझे और पूरी प्रक्रिया अपनाकर पुलिस वेरिफिकेशन कराए।

ये बातें जानना बेहद जरूरी

1. किरायेदारों के वेरिफिकेशन का काम लोगों को अपने स्तर पर कराना होता है।

2. इसके लिए किरायेदारों से संबधित वेरीफिकेशन फॉर्म हर जगह उपलब्ध है।

3. ये फॉर्म यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस की वेबसाइट के अलावा, सभी पुलिस के मोबाइल एप से लेकर हर थाने में उपलब्ध रहता है।

4. फॉर्म भरकर किरायेदार की हर जानकारी के साथ इसे थाने में जमा करना होता है।

5. मकान मालिक द्वारा पूरी प्रक्रिया किए जाने के बाद पुलिस किरायेदार की पूरी जानकारी अपने स्तर पर पता कर लेती है।

इन बातों का रखें खास ध्यान

1.किरायेदार रखें तो उससे जुड़ी हर जानकारी इकट्ठा करने की अपने स्तर पर कोशिश करें। अंजान शख्स को किराये का मकान नहीं दें।

2. किसी शख्स को किराये पर मकान देने से पहले उसका स्थाई अथवा मूल पता और घर के लोगों के बारे में पता करें।

3. किरायेदार के आने के साथ ही उसकी पासपोर्ट फोटो और उसका आईडी प्रूफ उससे जरूर लें।

4. उसके मोबाइल नंबर के अलावा उससे जुड़े दो अन्य लोगों के मोबाइल नंबर अपने पास रखें।

5. किरायेदारी का एग्रीमेंट जरूर कराएं और हर साल उसे रिन्यू कराएं।

6. घर में किरायेदार की गतिविधियों पर नजर रखें।

7. यह देखना भी आपकी ही की जिम्मेदारी है कि कहीं किरायेदारों से मिलने संदिग्ध किस्म के लोग तो नहीं आते।

दिल्ली के विभिन्न इलाकों में शुरू होने जा रहा है पुलिस वेरिफिकेशन
स्वतंत्रता दिवस को ध्यान में रखते हुए इन दिनों पुलिस की ओर से किरायेदारों के वेरिफिकेशन का कार्य किया जा रहा है। जिला दक्षिणी-पश्चिमी, पश्चिमी व द्वारका में सत्यापन का कार्य जोर से चल रहा है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार अपने किरायेदारों का पुलिस सत्यापन न कराने वाले मकान मालिक जितनी जल्दी हो सके यह कार्य पूरा करवा लें, वरना पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ धारा-188 के तहत एफआइआर कर कानूनी कार्रवाई करनी होगी। हाल फिलहाल पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। सागरपुर, दिल्ली कैंट, कापसहेड़ा व पालम में हाल ही में पुलिस ने शिविर भी लगाए हैं।

दक्षिणी-पश्चिमी व द्वारका में अब तक ढाई हजार आवेदन पुलिस को प्राप्त हो चुके हैं। वेरिफिकेशन के कार्य के लिए लोगों को दूर न जाना पड़े, इस बात को देखते हुए सभी थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने इलाकों में जगह-जगह सत्यापन शिविर लगाएं। लोग भी पुलिस की इस कोशिश में पूरी तरह साथ दिखे।

सुरक्षा के लिहाज से है जरूरी मजबूरी की बात अगर छोड़ भी दी जाए तो किरायेदार व घरेलू सहायक का वेरिफिकेशन सुरक्षा के लिहाज से बहुत जरूरी है। कई वारदात की छानबीन के दौरान पुलिस आरोपित तक केवल इसलिए पहुंच सकी, क्योंकि उसके पास घरेलू सहायक के पते व रिश्तेदारों से जुड़ी तमाम जानकारियां मौजूद थीं। ऐसा इसलिए संभव हुआ, क्योंकि पुलिस ने इनका वेरिफिकेशन किया था।

अपराधियों के छिपने का है ठिकाना हरियाणा व उत्तर प्रदेश में वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी राजधानी में अपना आसरा बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद वे सीधे दिल्ली की ओर रुख करते हैं, जिससे स्थानीय पुलिस की पहुंच से वे दूर जा सकें। इस लिहाज से राजधानी का इलाका काफी संवेदनशील है।

पश्चिमी दिल्ली में कापसहेड़ा व नजफगढ़ के ग्रामीण इलाके हरियाणा की सीमा से सटे हुए हैं। विदेशी किरायेदारों पर खास नजर रखने की है जरूरत इलाके में कई मामले ऐसे होते हैं जिनमें विदेशियों की संलिप्तता पाई जाती है। इसके साथ ही कई लोगों का कहना है कि ये अक्सर आपस में लड़ाई-झगड़ा करते हैं, जिससे माहौल खराब रहता है। ये लोग भी किराये के कमरे में ही रहते हैं।

लोगों का कहना है कि इनको भी इसी सूरत में मकान दिए जाएं जब इनका पुलिस सत्यापन हो जाए। पिछले वर्ष पुलिस की छानबीन में पता चला था कि ऐसे कई विदेशी यहां रह रहे हैं जिनकी वीजा की अवधि कई माह पूर्व समाप्त हो चुकी है। कई लोगों के पास तो वीजा हीं नहीं था


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