Move to Jagran APP

जानिए, बारिश के दिनों में दिल्ली में क्‍यों गुम हो रहे इंद्रधनुष के रंग

इंद्रधनुष की सतरंगी छटा बिखरने के लिए आसमान साफ होना, चटख धूप खिलना और बारिश की बूंदों का मोटा होना जरूरी है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 10:54 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jul 2017 04:09 PM (IST)
जानिए, बारिश के दिनों में दिल्ली में क्‍यों गुम हो रहे इंद्रधनुष के रंग
जानिए, बारिश के दिनों में दिल्ली में क्‍यों गुम हो रहे इंद्रधनुष के रंग

नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ] । बारिश के दिनों में कभी राजधानी के आकाश पर अक्सर दिखाई दे जाना वाला इंद्रधनुष आज नजर नहीं आता। सतरंगी छटा वाली यह मनोहर आकृति अब किताबों और किस्से-कहानियों में ही दबती जा रही है। कभी कभार भले ही कहीं कुछ देर के लिए इंद्रधनुष का हल्का प्रतिबिंब नजर आ जाए अन्यथा बढ़ते वायु प्रदूषण ने इसके रंग भी छीन लिए हैं।

loksabha election banner

इंद्रधनुष की सतरंगी छटा बिखरने के लिए आसमान साफ होना, चटख धूप खिलना और बारिश की बूंदों का मोटा होना जरूरी है। मौसम विज्ञानियों और पर्यावरणविदों के अनुसार सूरज की किरणों में बहुत से रंग समाहित होते हैं लेकिन धरती पर वे केवल सफेद नजर आते हैं।

हां, अगर बारिश की मोटी बूंदे बीच में इन किरणों से टकरा जाती है तो रिफ्रेक्शन और इंटरनल रिफ्लेक्शन की प्रक्रिया होती है और इंद्रधनुष के सात रंग एकदम खिल जाते हैं।

इस दिशा में किए गए विभिन्न शोध अध्ययनों में सामने आया है कि हवा में धूलकण बढऩे से जहां आसमान में धुंधलका छाया रहता है वहीं हरियाली घटने से मौसम चक्र में भी बदलाव आ जाता है। दिल्ली की स्थिति ऐसी ही हो रही है।

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर इंडिया) की ताजा सर्वे रिपोर्ट में भी यह सामने आया है कि दिल्ली की आबोहवा में अति सूक्ष्मकणों पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में वृद्धि हुई है। यह धूलकण सूरज की किरणों में समाहित रंगों को भी धुंधला करते हैं और बारिश की बूंदों का साइज भी घटा देते हैं। इसीलिए इंद्रधनुष अब कम ही दिखाई पडता है।

पर्यावरणविद फैयाज ओ खुदसर का कहना है कि मानसून या यूं कहें कि बारिश के दिनों में वायु प्रदूषण काफी कम हो जाता है। लेकिन दिल्ली में वाहनों का धुंआ, भवन निर्माण के दौरान उडऩे वाली धूल और ढाबों पर आज भी कोयला एवं लकडिय़ां जलाए जाने से आबोहवा और आकाश में हैजीनेस यानि धुंधलका बना रहता है। इसी वजह से अब यहां बारिश की मोटी मोटी बूंदें भी नहीं पड़ती। ऐसे में जब अनुकूल परिस्थितियां बनेंगी ही नहीं तो इंद्रधनुष भला कैसे बनेगा!

रीजनल मीट्रियोलॉजी सेंटर के मौसम विज्ञानी एवं निदेशक डा. रविंद्र बिशेन का कहना है कि दिल्ली में हरियाली घट रही है और कंक्रीट का जंगल बढ़ रहा है। इसकी वजह से मौसम और जल चक्र दोनों प्रभावित हुए हैं। न सर्दी में उतनी सर्दी पड़ती है और न गर्मी में उतनी गर्मी। मानसून के स्वरूप में भी बदलाव आ रहा है। वायु प्रदूषण स्थितियों को और बिगाड़ रहा है। प्रकृति के रंग भी अब फीके पडऩे लगे हैं। वाष्पीकरण की क्रिया भी प्रभावित हो रही है।



 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.