आखिर लोगों को क्यों याद आ रहे कैंटीन वाले पंडित जी, जानने के लिए पढ़िए- पूरी स्टोरी
मजनूं का टीला स्थित पुराना चंद्रावल में रहने वाले पंडित जी के बेटे योगेश पांडेय ने बताया कि बड़ी-बड़ी हस्तियां जैसे कैलाश खेर रजत शर्मा भी उनकी कैंटीन में आ चुके हैं।
नई दिल्ली [रितु राणा]। दिल्ली विश्वविद्याल (डीयू) नॉर्थ कैंपस स्थित पंडित जी की कैंटीन वाले "पंडित जी' जयकिशन पांडेय नहीं, लेकिन उनको लोग बड़ी शिद्दत से याद कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से बीमार पंडितजी ने बुधवार को दुनिया को अलविद कह दिया।
उनके निधन पर ग्वायर हॉल एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ आइपीएस व झारखंड के पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा कि पंडित जी का निधन का मतलब है एक युग का अंत। मैं अक्सर अपने नाश्ते और खाने को याद करता था, कॉलेज के दिनों में पंडित जी मेरे भरण-पोषण का सहारा थे। पंडित जी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार व्यक्ति के थे, वह कैंटीन में आने वाले बच्चों के साथ बहुत घुल-मिल जाते थे और बच्चे भी उन्हें बहुत प्यार करते थे। उनके बिना मैं अपने ग्वायर हॉल के दिनों के बारे में सोच भी नहीं सकता। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
यह भी जानें
- पंडित जी मूल रूप से उत्तराखंड स्थित रानीखेत के रहने वाले थे।
- वह दिल्ली आए थे आजीविका का संकट था। ऐसे में डीयू में कैंटीन शुरू की।
- डीयू में पंडित जी की कैंटीन 1954 से चल रही है। वह नहीं हैं तो अब उनके बेटे भी इसी कैंटीन को चला रहे हैं।
- पंडित जी के बेटे योगेश पांडेय की मानें तो बड़ी-बड़ी हस्तियां जैसे कैलाश खेर, रजत शर्मा भी उनकी कैंटीन में आ चुके हैं।
- नॉर्थ कैंपस में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने उनके पिता के हाथों के बने मीठे समोसे न खाए हों।
ग्वायर हॉल में रहने वाले प्रोफेसर प्रभांशु ओझा कहते हैं कि पंडित जी की चाय पीकर बहुत से विद्यार्थी आइएएस और प्रोफेसर बने हैं, जो उनके उधार आज तक चुका नहीं पाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्वायर हॉल का इतिहास उनके बिना अधूरा है। नई व पुरानी पीढ़ी के बीच वह एक सेतु थे जिनसे सभी विद्यार्थियों का दिल से एक रिश्ता जुड़ा हुआ था।