Move to Jagran APP

आखिर क्यों नहीं हो सका AAP-कांग्रेस में मेल, पढ़िए- हर सवाल से पर्दा उठाती ये स्टोरी

गठबंधन न करने के पीछे एक तर्क यह भी था कि दिल्ली का मतदाता हमेशा एकतरफा वोट करता है। अगर वह कांग्रेस से नाराज है तो AAP-कांग्रेस के गठबंधन से उसकी नाराजगी खत्म नहीं हो जाएगी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 08:05 AM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 12:33 PM (IST)
आखिर क्यों नहीं हो सका AAP-कांग्रेस में मेल, पढ़िए- हर सवाल से पर्दा उठाती ये स्टोरी
आखिर क्यों नहीं हो सका AAP-कांग्रेस में मेल, पढ़िए- हर सवाल से पर्दा उठाती ये स्टोरी

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Lok Sabha election 2019 दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन की राह रोकने में एक नहीं, अनेक गतिरोध अहम रहे हैं। AAP द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को भरोसे में न लेना भी एक बड़ी वजह रही है। एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह भी रहा कि AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के नेता बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं मानते।

loksabha election banner

15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित पार्टी में एक बड़ा कद रखती हैं। प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रदेश स्तरीय कोई भी फैसला उनकी सहमति के बगैर नहीं लिया जा सकता। वहीं, आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली में गठबंधन को लेकर जो भी और जितनी बार भी बात की गई, वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेताओं से की गई। ऐसे में शीला के अहम को चोट लगना स्वाभाविक था। हाल ही में उन्होंने एक बयान में यह साफ कहा भी था कि केजरीवाल एकदम झूठे हैं। मुझसे किसी ने कोई बात नहीं की है।

इतना ही नहीं, पिछले दिनों विधानसभा सत्र में रखे गए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने संबंधी प्रस्ताव ने भी कांग्रेस नेताओं को गठबंधन के खिलाफ बड़ा मुद्दा दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की बैठक में मंगलवार को यह मुद्दा भी उठा कि जो पार्टी हमारे पूर्व प्रधानमंत्री से भारत रत्न वापस लेने की मांग करती हो, उसके साथ गठबंधन कैसे किया जा सकता है!

गठबंधन नहीं करने के पीछे एक तर्क यह भी दिया गया कि दिल्ली का मतदाता हमेशा एकतरफा वोट करता है। अगर वह कांग्रेस से नाराज है तो AAP और कांग्रेस के गठबंधन से उसकी नाराजगी खत्म नहीं हो जाएगी। कांग्रेस नेता केजरीवाल पर भरोसा करने को भी तैयार नहीं है।

वर्ष 2013 में सरकार बनाने में केजरीवाल की मदद करने वाले कांग्रेस नेताओं ने बैठक में भी कहा कि केजरीवाल अपनी किसी बात पर कायम नहीं रहते। दिल्ली में पार्टी की घटती विश्वसनीयता और गिरते ग्राफ का तर्क भी दिया गया।

राहुल गांधी के सामने एक तर्क यह भी दिया गया कि मुस्लिम मतदाता जो पहले आप की तरफ खिसक गया था, अब वापस कांग्रेस की ओर लौट रहा है। पार्टी आलाकमान को यह भी समझाया गया कि केजरीवाल को ही गठबंधन करने की इतनी गरज क्यों है। केजरीवाल अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए कांग्रेस को एक बार फिर से यूज करना चाहते हैं।

गठबंधन को खारिज करने की दिशा में शीला का यह तर्क भी राहुल को समझ में आया कि, हम दिल्ली में फिर से अपने पांव पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप के साथ गठबंधन किया गया तो इस कोशिश पर पानी फिर जाएगा। कुछ ही महीने बाद हमें विधानसभा चुनाव भी लड़ना है। इसलिए हमें अपने दम पर ही चुनाव लड़ना चाहिए।

राहुल के सामने शीला-माकन में तकरार

इसे प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी कहें या शीला और माकन के बीच लंबे समय से चली आ रही रार, लेकिन मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक में भी दोनों के बीच तकरार हो गई। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में शीला दीक्षित और अजय माकन एकाएक उलझ गए।

हालांकि माकन की ओर से भी गठबंधन को लेकर हमेशा विपरीत रुख दिखाया जाता रहा है। वहीं सूत्रों का कहना है कि बैठक में माकन ने गठबंधन के पक्ष में अपने तर्क रखे,जबकि शीला दीक्षित इसके खिलाफ अड़ी रहीं। इसी बीच संदीप दीक्षित के चुनाव में उतरने को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच तकरार हो गई। हालांकि बाद में दोनों नेताओं ने अपने व्यवहार को संयत कर लिया।

दरअसल जब शीला ने राहुल से कहा कि हम दिल्ली में अच्छी स्थिति में आ रहे हैं और अपने दम पर चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं तो माकन ने उनसे पूछ लिया, तब आप संदीप दीक्षित जी को दिल्ली से चुनाव क्यों नहीं लड़वा रहीं? शीला ने इस पर कहा कि यह समय न तो इस चर्चा के लिए उपयुक्त है और न ही वह संदीप की ओर से इस बाबत कोई जवाब दे सकती हैं। तब माकन ने दोबारा कहा, अगर संदीप दीक्षित दिल्ली से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, उन्हें हारने का डर है तो हम सब भी क्यों लड़ें? इस पर शीला ने कोई जवाब नहीं दिया।

गठबंधन को लेकर पार्टी में दो रुख

वहीं, दोनों नेताओं के बीच हुई तकरार से पार्टी में गठबंधन को लेकर भी दो रुख खुलकर सामने आए हैं। माना जा रहा है कि पार्टी नेताओं का एक धड़ा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के पक्ष में है। जबकि दूसरा खेमा गठबंधन नहीं किए जाने पर अड़ा है। पार्टी के रणनीतिकारों की मानें तो आप के साथ गठबंधन की संभावनाएं अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई हैं। कुछ पार्टी नेताओं का यह भी कहना है कि पार्टी में परंपरा रही है कि प्रदेश कमेटी की ओर से अपना रुख जताया जाता है, लेकिन निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व को ही लेना होता है।

74 उम्मीदवारों के बीच होगा चुनाव

आगामी लोकसभा में दिल्ली की सात सीटों के लिए पार्टी के 74 नेताओं ने चुनाव लड़ने का आवेदन किया है। माना जा रहा है कि पहले दौर में हर सीट पर तीन नामों का चुनाव किया जाएगा। इसके बाद इनमें से जो भी जिताऊ होगा, पार्टी उसे ही अपना उम्मीदवार घोषित करेगी।

दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरें पढ़ें यहां, बस एक क्लिक पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.