जानिए- क्यों चूहों के आगे बेचारे साबित हो रहे जंगल के शेर, सच्चाई जानकर दंग रह जाएंगे आप
शेर के पास उसका लंच और डिनर पहुंचे, इससे पहले ही चूहे उसे चट कर जाते हैं। इतना ही नहीं, शेर का भोजन चट करने के दौरान चूहे भोजन को गंदा भी कर देते हैं और फिर फुर्र हो जाते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के चिड़ियाघर (ZOO) में 'जंगल का राजा शेर' पिछले कुछ महीने से बेहद परेशान हैं, क्योंकि कई दफा उसे बिना खाए-पिए ही सोना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि शेर के पास उसका लंच और डिनर पहुंचे, इससे पहले ही बड़ी संख्या में जुटे चूहे उसे चट कर जाते हैं। इतना ही नहीं, शेर का भोजन चट करने के दौरान चूहे बचे भोजन को गंदा भी कर देते हैं और फिर फुर्र हो जाते हैं।
पिछले तीन महीनों के दौरान ऐसे मामले लगातार सामने आने के बाद दिल्ली में चिड़ियाघर प्रशासन ने शेर के लिए आने वाले चिकन-मटन पर डाका डालने वाले चूहों के गैंग को खत्म करने का निर्णय लिया है। इसके लिए कदम उठाए जाएंगे।
यह है पूरा मामला
चिड़ियाघर से जुड़े कर्मचारियों के मुताबिक, पिछले एक साल के दौरान यहां पर चूहों की संख्या में इजाफा हुआ है। चूहों के पकड़ने के लिए चूहे दानियों का इस्तेमाल तो किया गया, लेकिन यह कारगर साबित नहीं हुआ। चूहों की संख्या इतनी ज्यादा है कि प्रशासन बुरी तरह परेशान है। दरअसल, चूहे बिल बनाकर इसमें छिप जाते हैं और फिर जरूरत पड़ने पर बाहर निकलते हैं। प्रशासन की मानें तो चूहे न केवल शेरों का भोजन खाते हैं, बल्कि वहां पर गंदगी करने के साथ शेरों को भी परेशान करते हैं। यहां तककि चूहे जंगल के राजा शेर की पीठ पर चढ़कर ऊधम भी करते हैं।
चिड़िया घर प्रशासन उठाएगा ये कदम
- आगामी 3 महीने में शेरों के बाड़ों के चारों तरफ कंक्रीट की अंडरग्राउंड दीवारें बनाई जाएंगी।
- यहां रह रहे चूहे इन दीवारों में सूराख करके शेरों के बाड़े तक नहीं पहुंच पाएंगे।
- कंक्रीट की अंडरग्राउंड दीवारों पर चूहों का जोर नहीं चल पाएगा।
दिल्ली में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान 176 एकड़ जमीन में बना हुआ है। भारतीय बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ ने लोगों के लिए मनोरंजन की आवश्यकता महसूस करने के बाद इस चिड़ियाघर का निर्माण राजधानी दिल्ली में करवाया था। भारत सरकार के माननीय मंत्री पंजाब राव ने औपचारिक रूप से इस पार्क का उद्घाटन किया था और शुरू में इसे दिल्ली चिड़ियाघर कहा जाता था। 1982 में इस पार्क को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिया गया था और जिसके परिणाम स्वरूप इसे राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के रूप में जाना जाने लगा।
इस चिड़ियाघर में अब दुनियाभर के करीब 1,350 पशुओं और 130 पक्षियों की प्रजातियां हैं। इस पार्क में भारत के अलावा अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों के सरीसृप, स्तनधारी और पक्षी शामिल हैं। इस पार्क में एक हरा द्वीप और एक 16 वीं सदी का किला भी है।
दिल्ली का नेशनल जियोलॉजी पार्क आपके लिए बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है। नेशनल जियोलॉजी पार्क को चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है। आइए, जानते हैं चिड़ियाघर से जुड़ी हुई खास बातें।
दिल्ली वन्य प्राणी उद्यान को ही चिड़ियाघर भी कहा जाता है। ये चिड़ियाघर एशिया के सबसे अच्छे चिड़ियाघरों में से एक है। हालांकि ये आधुनिक निर्माण है, जो दिल्ली जैसे प्राचीन नगर में काफी बाद में बनाया गया। इसका निर्माण 1951 में शुरू होकर 1959 में इसके उद्घाटन के साथ पूरा हुआ। इसे दिल्ली के पुराने किले के पास बनाया गया है।
श्रीलंकन डिजाइनर ने की मदद
इस चिड़ियाघर का डिजाइन श्रीलंका के मेजर वाइनमेन और पश्चिम जर्मनी के कार्ल हेगलबेक ने बनाया था। उन्होंने चिड़ियाघर का एक ड्राफ्ट तैयार किया था। जिसमें कई फेर-बदल बाद चिड़ियाघर के प्रारूप को मान्यता दे दी गई।
यहां क्या है खास
दिल्ली स्थित इस चिड़ियाघर में आने वाले पर्यटक काई जानवर देख सकत हैं जिनमें चिंपांज़ी, मकड़ी बंदर, अफ्रीकी जंगली भैंस, गिर शेर, मकाक, बाँटेंग, अक्ष हिरण, परती , मोर शामिल हैं। साथ ही इस चिड़ियाघर में सांपों और कई रेप्टाइल का एक विशाल संग्रह है जो भूमिगत है। इन सब के अलावा यहां आने वाले पर्यटकों को चिड़ियाघर रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा, दलदल हिरण, एशियाई शेर, भौंह अनटलेरेड हिरण और लाल जंगली मुर्गी के संरक्षण के बारे में कई जानकारियां भी देता है।
घूमने से पहले याद रखें ये खास बातें
चिड़ियाघर गर्मियों में सुबह 8 से शाम 6 बजे तक और सर्दियों में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है। शुक्रवार को चिड़ियाघर बंद रहता है। चिड़ियाघर में पानी की बोतल के अलावा किसी भी प्रकार की खाने पीने की कोई भी चीज लाना मना है।
कैसे पहुंचे
आप प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन या खान मार्किट मेट्रो स्टेशन उतरकर रिक्शे या ऑटो से आसानी से चिड़ियाघर पहुंच सकते हैं
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