Earthquake in Delhi NCR News: लगातार आ रहे भूकंप से डरे हुए हैं तो जरूर पढ़ें यह स्टोरी
Earthquake in Delhi NCR News दिल्ली में नई बनी इमारतें 6 से 6.6 तीव्रता के भूकंप को झेलने में समर्थ हैं वहीं दिल्ली की पुरानी इमारतें 5 से 5.5 तीव्रता का भूकंप झेल सकती हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Earthquake in Delhi NCR News: पिछले तकरीबन 2 महीने के दौरान दिल्ली-एनसीआर में छोटे-बड़े कई भूकंप आ चुके हैं, जिससे लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल तैर रहे हैं। लोगों के मन में यह सवाल बड़ी तेजी से उठ रहा है कि ये छोटे-छोटे भूकंप क्या बड़े भूकंप का संकेत हैं? इसको लेकर ज्यादातर भू विज्ञानी मानते हैं कि हमेशा ही लगातार भूकंप आना बड़े भूकंप का संकेत नहीं होता है।
दिल्ली-एनसीआर में बड़े भूकंप की संभावना नहीं
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक (ऑपरेशन) जेएल गौतम का भी कहना है कि ऐसा नहीं लगता है कि दिल्ली-एनसीआर में आए भूकंप फॉल्ट-लाइन प्रेशर की वजह से आए। ऐसे में बड़े भूकंप आने की संभावना सही नहीं है।
जेएल गौतम का साफतौर पर कहना है कि वैसे तो हिंदुकुश से अरुणाचल प्रदेश तक जाने वाले रेंज में ही अमूमन बड़े भूकंप आते हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली-एनसीआर से हिंदुकुश से अरुणाचल प्रदेश तक जाने वाला रेंज 200-250 किलोमीटर दूर हैं। ऐसे में भूकंप के लिहाज से दिल्ली का अधिकेंद्र बनना मुश्किल है।
दिल्ली में कहां ज्यादा खतरा
- पूर्वी दिल्ली
- लुटियंस दिल्ली
- सरिता विहार
- पश्चिम विहार
- वजीराबाद
- करोलबाग
- जनकपुरी
- छतरपुर
- नारायणा
- वसंत कुंज
दिल्ली में नई बनी ज्यादातर इमारतें 6 से 6.6 तीव्रता के भूकंप को झेलने में समर्थ हैं, वहीं, दिल्ली की पुरानी इमारतें 5 से 5.5 तीव्रता का भूकंप झेलने में समर्थ हैं। दिल्ली सचिवालय, दिल्ली पुलिस मुख्यालय, विकास भवन, गुरु तेग बहादुर अस्पताल की इमारत को भी मजबूत किया है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. हरि सिंह सैनी का कहना है कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में दिल्ली में बड़ा भूकंप आने पर ज्यादा नुकसान की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना तट के करीबी इलाकों के साथ-साथ शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर हैं।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक (ऑपरेशन) जे एल गौतम के मुताबिक,जिन इलाकों में फॉल्ट लाइन होती है, वहीं पर भूकंप का अधिकेंद्र बनता है। जहां तक दिल्ली-एनसीआर की बात है तो जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन, मथुरा फाल्ट लाइन और सोहना फाल्ट लाइन मौजूद है। ऐसे में लोगों के साथ सरकार को भी चाहिए कि यहां पर भूकंपरोधी भवों के ही निर्माण हों।
खतरनाक हैं दिल्ली की 70-80 फीसद इमारतें
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80 फीसद इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज़ से डिज़ाइन ही नहीं की गई हैं। बताया गया है कि पिछले कई दशकों के दौरान यमुना नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बढ़ती गईं इमारतें चिंता का विषय है। इसकी वजह यह है कि अधिकांश के बनने के पहले मिट्टी की पकड़ की जांच नहीं हुई है।
भूकंप आए तो क्या करें?
- बच्चों व बुजुर्गों को पहले घर से बाहर निकालें, किनारे में खड़े रहें।
- घर में भारी सामान सिर के ऊपर नहीं होना चाहिए। टेबल के नीचे जाना चाहिए।
- भूकंप आने की स्थिति में किसी खुले स्थान पर पहुंचने का प्रयास करें।
- मन को शांत रखें और घबराएं, क्योंकि डर की वजह से लोग गलत कदम उठा लेते हैं।
- किसी इमारत के बगल में न खड़े हों।
- लिफ्ट का इस्तेमाल कतई न करें, अगर घर से बाहर निकलना है तो सीड़ियां सबसे उपयुक्त रहेंगीं।
- भूकंप आने की स्थित में दरवाजे और खिड़कियों का खुला रहना बेहतर रहता है। विपरीत हालात में यहां मदद पहुंचाना थोड़ा आसान हो जाता है।
- भूकंप के दौरान ऑफिस से निकल खुली जगह पर निकल जाएं।
- पेड़ से भी दूरी बना लें, अगर सड़क पर एक जगह रुक जाएं।
- वैसे तो गाड़ी चलाने के दौरान भूकंप महसूस नहीं होता, लेकिन अगर जोरदार भूकंप हो तो गाड़ी सड़क किनारे लगाना उचित रहता है।
- भूकंप आए और आप घर-दफ्तर में हों तो, टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे अपने आपको सुरक्षित करें।