'Vayu' के साथ अल-नीनो भी बना मानसून का विलेन, दिल्ली समेत कई राज्य होंगे प्रभावित
अल-नीनो के असर की वजह से ही मानसून से पहले होने वाली बारिश में कमी आई है और जुलाई अगस्त और सितंबर में भी इससे मानसून प्रभावित हो सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। monsoon in delhi 2019ः दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों को भीषण गर्मी के बीच इस बार मानसून का इंतजार थोड़ा और बढ़ सकता है। दरअसल, दिल्ली में इस बार मानसून आने में एक हफ्ते की देरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि ऐसा पिछले एक दशक के दौरान पहली बार होगा, जब मानसून इतना देरी से दिल्ली में पहुंचेगा।
भारतीय मौसम विभाग (INDIA METEOROLOGICAL DEPARTMENT) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्लीवासियों को मानसून के स्वागत के लिए अब जुलाई के दूसरे सप्ताह तक इंतजार करना पड़ेगा। पहले उम्मीद की जा रही थी कि मानसून दिल्ली तक जुलाई के पहले सप्ताह तक पहुंच जाएगा। बहरहाल, मानसून में देरी ही चिंता की खबर नहीं है, दिल्ली में मानसून से पहले होने वाली बारिश भी इस साल पिछले नौ सालों के दौरान सबसे कम दर्ज की गई है। पहले से ही पानी की कमी से जूझ रही दिल्ली के लिए मानसून में कमी से जल संकट पैदा हो सकता है।
अल नीनो, ‘वायु’ ने मंद की मानसून की गति
स्काइमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने बताया कि चक्रवाती वायु तूफान (Cyclone Vayu) की वजह से मानसून की रफ्तार धीमी को गई है। साथ ही मानसून पर अल नीनो (El Nino) का असर भी हो सकता है। अल नीनो के असर की वजह से ही मानसून से पहले होने वाली बारिश में कमी आई है और जुलाई, अगस्त और सितंबर में भी इससे मानसून प्रभावित हो सकता है। दिल्ली के साथ ही हरियाणा, पंजाब उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में भी मानसून देर से पहुंचेगा। हालांकि अभी तक मौसम विभाग दावा कर रहा था कि मानसून दो-तीन दिन ही देर से चल रहा है। भारत में दक्षिण पश्चिमी मानसून को ही मानसून सीजन कहा जाता है। ऐसे में जून से सितंबर तक 70 फीसद बारिश इन्हीं महीनों के दौरान होती है। देश में अल नीनो की वजह से सूखे का खतरा सबसे ज्यादा रहता है और इस बार भी इसकी आशंका प्रबल होती जा रहा है।
जानिए आखिर क्या बला है अल नीनो
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, अल-नीनो (El Nino) के प्रभाव से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है। इसकी वजह से मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। इसके कारण न केवल मौसम में बदलाव में बदलाव होता है, बल्कि इससे कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ भी आती है। कभी-कभार ज्यादा गर्मी और तापमान में इजाफा भी अलनीनो की वजह से ही होता है। सबसे खतरना बात तो यह है कि अल-नीनो का असर विश्व भर के वातारण और मौसम पर होता है। इस वर्ष भी अल-नीनो की सक्रियता बढ़ी है, ऐसे में दक्षिण-पश्चिम मानसून पर इसका असर निश्चित रूप से पड़ा है।
उमस और गर्मी से मिलेगी राहत
पिछले एक-दो दिनों से तेज धूप की वजह से उमस का माहौल है और अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री ज्यादा 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य स्तर पर 28.4 डिग्री सेल्सियस रहा। इसके अलावा नमी का स्तर 71 से 40 फीसद दर्ज किया गया।
अगले सप्ताह बारिश से होगी दिल्ली वालों की शुरुआत
मौसम विभाग के साइंटिस्ट डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार, 24-25 जून को भी पश्चिमी विक्षोभ की वजह से दिल्ली में बारिश हो सकती है।
43 फीसद कम बारिश हुई
मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुतािबक, जून के शुरुआती 3 हफ्तों में मानसून देश के दो-तिहाई हिस्से को कवर कर लेता है, लेकिन वर्तमान में 15 फीसद हिस्से में ही बारिश हुई है। आलम यह है कि 1 से 20 जून के बीच देश में सिर्फ 51 एमएम बारिश हुई है, जो सामान्य से 43 फीसद कम है।
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