जानिए कब - कब आंदोलन में इस्तेमाल किया गया ट्विटर के साथ टूलकिट, क्या हुआ असर
अमेरिका के इतिहास में इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ था जो टूलकिट के माध्यम से किए गए प्रचार प्रसार के बाद हुआ था। भारत ऐसा देश है जहां पर इस सोशल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके इस तरह से दुनिया में देश की छवि को खराब करने का काम किया गया।
नई दिल्ली [विनय तिवारी]। ये पहला मौका नहीं है जब ट्विटर पर टूलकिट का इस्तेमाल किया गया हो, इससे पहले भी अमेरिका में आंदोलन के दौरान टूलकिट का इस्तेमाल किया गया था जिसने पूरे अमेरिका में आग लगा दी थी। अमेरिका के इतिहास में इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ था जो टूलकिट के माध्यम से किए गए प्रचार प्रसार के बाद हुआ था। अमेरिका के बाद भारत ऐसा देश है जहां पर इस सोशल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके इस तरह से दुनिया में देश की छवि को खराब करने का काम किया गया। यहां भी इस टूलकिट ने अराजकता फैलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के नाम पर देश ही नहीं विदेशों के भी जाने माने सेलेब्रिटीज इसे समर्थन दे रहे हैं। तमाम सेलेब्रिटीज ट्विटर के माध्यम से इसे ट्वीट भी कर चुके हैं। इसी ट्वीट में पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोंरी, उनके एक ट्वीट में एक टूलकिट (Toolkit) भी शामिल था जिसमें पूरे आंदोलन को किस तरह से अंजाम दिया जाना है उसकी डिटेल लिखी गई थी।
इसी टूलकिट की वजह से इस प्रोपेगेंडा की सारी पोल खुलती चली गई। जिस तरह से कोरोना के दौरान लॉकडाउन शब्द को दुनिया ने पहली बार जाना था, उसी तरह से अमेरिका और फिर भारत में हुए आंदोलन को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मदद करने के बाद से टूलकिट भी विषय बना हुआ है। हम आपको बताते हैं कि आखिर ये टूलकिट होता क्या है और कैसे काम करता है, जो सोशल मीडिया पर एक्टिव तो रहते हैं उनके लिए भी इसके बारे में जानना ज्यादा जरूरी है।
क्या है टूलकिट?
दरअसल टूलकिट एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए इसमें विस्तृत सुझाव दिए गए होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटियर्स को इसमें दिशानिर्देश दिए जाते हैं। टूलकिट का पहली बार इस्तेमाल अमेरिका में ब्लैक लाइव क्लॉयड की मौत के बाद आंदोलन को दिशा देने के लिए किया गया था। उसके बाद अब किसानों के आंदोलन में इसका इस्तेमाल किया गया।
कब चर्चा में आया टूलकिट
आपको याद होगा कि अमेरिका में एक अश्वेत शख्स की हत्या कर दी गई थी, उसके बाद अमेरिका के तमाम राज्यों में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे। प्रदर्शन करने वालों ने व्हाइट हाउस तक प्रदर्शन किया था। शहर में तमाम जगहों पर लगी मूर्तियों को तोड़ दिया गया था। इस आंदोलन को ब्लैक लाइफ मैटर नाम दिया गया था। इसको अमेरिका के तमाम बाहरी मुल्कों के लोगों ने भी समर्थन दिया था उसी दौरान आंदोलन से जुड़े लोगों ने ही टूलकिट बनाया, जिसमें तरह-तरह की जानकारी थी।
उदाहरण के लिए आंदोलन में किन जगहों पर जाएं या दूर रहें, सोशल मीडिया पर किस तरह से सक्रिय रह सकते हैं, किन हैशटैग के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाई जा सकती है। इसके साथ ही अगर पुलिस कोई कार्यवाही करती है तो उससे किस तरह से बचा जा सकता है।
इस वजह से अब यह स्पष्ट हो गया है कि टूलकिट वह डिजिटल हथियार है, जो सोशल मीडिया पर एक बड़े वर्ग पर किसी आंदोलन को हवा देने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसमें जोड़ने के लिए किया जाता है। टूलकिट में वो सभी चीजें मौजूद होती हैं, जो लोगों को अपनाने की सलाह दी जाती है, ताकि आंदोलन भी बढ़े और किसी तरह की कोई बड़ी कार्यवाही भी न हो सके।
ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट से दूसरी बार चर्चा में आया टूलकिट
टूलकिट की शुरुआत चाइल्ड एक्टिविस्ट के तौर पर चर्चित रहीं ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के ट्वीट से फिर से हो गई है। किसान आंदोलन के समर्थन में ग्रेटा ने एक ट्वीट किया और टूलकिट (toolkit) के माध्यम से सूचनाएं शेयर की। उनके इस टूलकिट को देखकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा हुआ।
हंगामा होने के बाद ग्रेटा ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया और दूसरा ट्वीट कर दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया। ग्रेटा द्वारा शेयर की गई इस टूलकिट में किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ कैसे करना है इसकी पूरी डिटेल दी गई थी।
क्या था टूलकिट में
इस टूलकिट में समझाया गया है कि कैसे भारत में चल रहे किसान आंदोलन के बारें जरूरी अपडेट लेने हैं? अगर कोई यूजर किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहा है तो उसे कौन-सा हैशटैग लगाना हैं? अगर कोई दिक्कत आए तो किन लोगों से बात करनी है? ट्वीट करते वक्त क्या करना जरूरी है? क्या करने से बचना है? इसके अलावा अन्य काफी सारी बातें इस टूलकिट में मौजूद थीं।