जानिये- क्या है पीआइटीएनडीपीएस एक्ट, जिसके तहत तिहाड़ जेल में अभी एक साल और रहेगा शराफत
Drugs Mafia Sharafat Sheikh केंद्रीय एडवाइजरी बोर्ड ने पीआइटीएनडीपीएस एक्ट के तहत शराफत को एक साल तक जमानत नहीं देने की मंजूरी दे दी है। किसी ड्रग्स माफिया पर इस तरह की कार्रवाई का 10-15 सालों में यह पहला मामला है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ड्रग्स माफिया शराफत शेख को अभी एक साल और तिहाड़ जेल में रहना होगा। दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर केंद्रीय एडवाइजरी बोर्ड ने पीआइटीएनडीपीएस एक्ट के तहत शराफत को एक साल तक जमानत नहीं देने की मंजूरी दे दी है। किसी ड्रग्स माफिया पर इस तरह की कार्रवाई का 10-15 सालों में यह पहला मामला है। ऐसे में ड्रग्स माफिया के खिलाफ दिल्ली पुलिस इसे बड़ी कामयाबी मान रही है।
पुलिस उपायुक्त चिन्मय विश्वाल ने बताया कि शराफत शेख को 23 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। फिलहाल वह तिहाड़ जेल में ही बंद है। मादक पदार्थ की तस्करी से जुड़ी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पीआइटीएनडीपएस एक्ट के तहत दिल्ली पुलिस की नारकोटिक्स सेल ने केंद्र सरकार के वित्त मंत्रलय को एक प्रस्ताव भेजा था। इसमें शराफत को एक साल तक जमानत नहीं देने के लिए अनुरोध किया गया था। इसके बाद वित्त विभाग के संयुक्त सचिव ने दो अप्रैल को शराफत शेख को जमानत नहीं देने का आदेश (निरोध आदेश) जारी किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ने एक जून को हुई सुनवाई में इस आदेश को उचित ठहराया। जिस पर केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ने दो अप्रैल से एक वर्ष की अवधि के लिए शराफत को जमानत नहीं देने का आदेश जारी कर दिया।
36 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं
शराफत शेख ने ड्रग्स तस्करी की दुनिया में 1986 में कदम रखा था। उस पर पीआइटीएनडीपीएस एक्ट के पांच मामलों सहित 36 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। शराफत शेख को 1986 में दिल्ली पुलिस ने एक मामले में गिरफ्तार किया था। इस दौरान उसके संपर्क में इनायत नाम का ड्रग्स तस्कर आया। इसके साथ मिलकर उसने दिल्ली-एनसीआर में अपना नेटवर्क तैयार किया और ड्रग्स माफिया बन गया।
ये है पीआइटीएनडीपीएस एक्ट
पीआइटीएनडीपीएस एक्ट के तहत अवैध तस्करी की रोकथाम के लिए निवारक निरोध कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास एक अतिरिक्त हथियार है। इसका उद्देश्य मादक पदार्थो की संगठित तस्करी की रोकथाम करना है और मुख्य संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करना है। इसके तहत ऐसे आरोपित जो ड्रग्स तस्करी में लिप्त हैं, उन्हें एक वर्ष के लिए जमानत देने पर रोक लगाए जाने का प्रविधान है।