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अरविंदर सिंह लवली की 'घर वापसी' से कांग्रेसियों से ज्यादा BJP नेता खुश, जानें क्या है पूरा मामला

कई भाजपा नेता यह कहने से नहीं चूकते कि लवली के जाने से भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 18 Feb 2018 10:25 AM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2018 04:55 PM (IST)
अरविंदर सिंह लवली की 'घर वापसी' से कांग्रेसियों से ज्यादा BJP नेता खुश, जानें क्या है पूरा मामला
अरविंदर सिंह लवली की 'घर वापसी' से कांग्रेसियों से ज्यादा BJP नेता खुश, जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली (सुधीर कुमार)। अरविंदर सिंह लवली ने जब निगम चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था तो कई कांग्रेसी उम्मीदवारों को झटका लगा था। लवली की वजह से टिकट हासिल करने वालों व उनके प्रबल समर्थकों को भी नुकसान हुआ था। इससे भाजपा फायदे में रही और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था।

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उस समय भी पुराने कांग्रेसी और दिग्गज नेता होने के बाद भी पार्टी छोड़ना कई लोगों के लिए झटके के समान था। अब इस समय जब भाजपा ने उन्हें उप चुनाव में गांधी नगर सीट से उतारने की तैयारी कर ली थी तो अब फिर झटका लगा है। पिछली बार भी झटके से नुकसान कांग्रेस को हुआ था और इस बार भी नुकसान कांग्रेस को ही होगा, लेकिन उनके गृह क्षेत्र के कांग्रेसियों को। प्रदेश स्तर पर लवली के आने से कांग्रेस मजबूत ही होगी।

अरविंदर सिंह लवली के कांग्रेस से जाने और घर वापसी, दोनों ही स्थितियों ने गांधी नगर और कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्रों को अधिक विचलित किया। हालांकि कांग्रेस में रहते लवली का कई इलाकों में अच्छा प्रभाव था, विशेष कर युवा कांग्रेस में। कांग्रेस से जाने के बाद नौ माह में कांग्रेस में भी काफी परिवर्तन हुए।

लवली के प्रभाव में रहने वाले नेताओं व समर्थकों ने ठिकाना कहीं और ढूंढ़ लिया। दो दशक तक यमुनापार और दिल्ली की कांग्रेस की राजनीति में दखल रखने वाले लवली के प्रभाव से अलग होकर कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने राह बनाई, लेकिन अचानक उनके इस फैसले ने सब उलट-पुलट कर दिया।

गांधी नगर के कुछ भाजपाइयों के इस फैसले से चेहरे खिल गए हैं, क्योंकि उन्हें पता था कि लवली के रहते अब आने वाले कई वर्ष तक उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं मिल सकता है। इस वजह से वे विधानसभा क्षेत्र के स्तर पर निष्क्रिय हो गए थे, लेकिन अब उनमें फिर से नई ताकत आ रही है कि वे भी दौड़ में हैं।

कई भाजपा नेता यह कहने से नहीं चूकते कि लवली के जाने से भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पार्षद रोमेश चंद गुप्ता कहते हैं कि भाजपा का कैडर वोट है जो विचारधारा से जुड़ा हुआ है वह किसी व्यक्ति विशेष से नहीं जुड़ता। इस वजह से उनके जाने से भाजपा पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन इसके उलट स्थानीय कांग्रेसियों के चेहरे उतर गए हैं।

कांग्रेस से जाने के बाद गांधी नगर सीट से कांग्रेस के कई दावेदार उभर रहे थे, जिसमें वरयाम कौर, नवीन चौधरी दीपू और राजेश शर्मा प्रमुख हैं। इन्होंने तो कई माह पहले से विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी थी। चौधरी ने तो कई कार्यक्रम भी किए थे, लेकिन अब इनकी दावेदारी फुस्स हो गई है। यह तय है कि लवली अब कांग्रेस के टिकट पर ही गांधी नगर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।

कई अन्य कांग्रेसी नेताओं में भी इसको लेकर नाराजगी है। प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य गांधी नगर क्षेत्र के निवासी तपसी प्रधान कहते हैं कि इस फैसले से यहां का कांग्रेसी ठगा सा महसूस कर रहा है।

इससे उथल-पुथल की स्थिति है, कार्यकर्ता निराश हैं, वहीं कृष्णा नगर के कांग्रेस नेता जुगल अरोड़ा कहते हैं कि उनका कांग्रेस में वापस आना तय था, क्योंकि भाजपा में विचारों की स्वतंत्रता नहीं है।

जाने के बाद लवली ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए थे, लेकिन उन्हें जल्द एहसास हो गया कि कांग्रेस पार्टी ही देश के विकास के लिए कार्य कर सकती है। इसी वजह से उन्हें वापस आना पड़ा।

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