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बेअसर रही पानी की बौछार, आगे बढ़ता रहा किसान, अकेले तोड़ दीं बैरिकेड की पांच लाइनें

जोश से भरे किसानों को रोकने के लिए पुलिस का आजमाया एक-एक उपाय विफल होता गया। एक किसान ने तो अकेले ही पुलिस व जवानों की नाक में दम कर डाला।

By Edited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 08:52 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 10:53 PM (IST)
बेअसर रही पानी की बौछार, आगे बढ़ता रहा किसान, अकेले तोड़ दीं बैरिकेड की पांच लाइनें
बेअसर रही पानी की बौछार, आगे बढ़ता रहा किसान, अकेले तोड़ दीं बैरिकेड की पांच लाइनें

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे किसानों को यूपी गेट से हटाने में उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए तो दिल्ली पुलिस के पसीने छूट गए। जय जवान-जय किसान के नारों से यूपी गेट के आस-पास का वातावरण गूंजता रहा और जोश से भरे किसानों को रोकने के लिए पुलिस का आजमाया एक-एक उपाय विफल होता गया। एक किसान ने तो अकेले ही पुलिस व जवानों की नाक में दम कर डाला।

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किसान नेता राकेश टिकैत ने महात्मा गांधी के दिखाए अहिंसा के मार्ग की दुहाई देते हुए भावनात्मक अपील की तब किसान कुछ शांत हुए। मंगलवार सुबह से ही यूपी-दिल्ली गेट पर एक तरफ यूपी पुलिस तो दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस के साथ अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया था। सुबह आठ बजे से ही किसान यहां जुटने लगे।

पुलिस ने कर रखी थी बैरिकेडिंग
किसानों की योजना थी कि वे दिल्ली में प्रवेश कर पहले राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते और फिर केंद्र सरकार से मिलकर अपनी मांगें रखते। लेकिन, किसानों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने देने के लिए दिल्ली-यूपी गेट पर सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस व अ‌र्द्धसैनिक बलों की बैरिकेडिंग थी तो दिल्ली की सीमा में दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड की सात लाइनें बना रखी थीं। इनमें लोहे के साथ ही पत्थर के भी बैरिकेड लगाए गए थे।

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गूंजने लगा जय जवान-जय किसान का नारा 
यूपी गेट पर किसानों की भीड़ बढ़ी तो वहां जय जवान-जय किसान का नारा गूंजने लगा। नारों से किसानों का जोश बढ़ा तो कुछ पैदल ही उत्तर प्रदेश पुलिस के बैरिकेड को पार कर गए। इस पर उप्र पुलिस के एक अधिकारी ने लाउडस्पीकर से किसानों को बैरिकेड से पीछे हटने की चेतावनी दी। चेतावनी सुनना था कि किसान आक्रोशित हो उठे। किसानों ने पीछे हटने के बजाय उप्र पुलिस व अ‌र्द्धसैनिक बल के जवानों को ही चेतावनी दे डाली कि वे बैरिकेड से हट जाएं, उनके टैक्टर के आगे बैरिकेड नहीं टिक सकते।

किसानों ने हाथों से बैरिकेड हटा दिए
किसानों का जोश व गुस्सा देखकर उप्र पुलिस व अ‌र्द्धसैनिक बल के जवानों ने हाथ खड़े करते हुए वहां से अलग हटने में ही भलाई समझी। बस क्या था, किसानों ने हाथों से बैरिकेड हटा दिए और ट्रैक्टर-ट्राली के साथ आगे बढ़ते हुए एनएच-9 पर दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड तक पहुंच गए। अब किसानों को रोकने की बारी दिल्ली पुलिस की थी। किसानों ने पत्थर के बैरिकेड को हटाने की कोशिश की। वे सफल न हुए तो ट्रैक्टर ट्रॉली से बैरिकेड में टक्कर मारनी शुरू कर दी।

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डटा रहा एक किसान 
दिल्ली पुलिस ने चेतावनी बेअसर होता देख बल प्रयोग शुरू कर दिया। इस क्रम में लाठीचार्ज से लेकर वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले तक आजमाए। सबसे पहले पुलिस ने पानी की बौछार का इस्तेमाल किया, जिससे बहुत से किसान पीछे हट गए। लेकिन, ट्रैक्टर पर सवार एक किसान पानी के बौछार के बीच अड़ा रहा। वाटर कैनन के प्रहार को झेलते हुए वह एक-एक बैरिकेड तोड़ता चला गया। उसने टैक्टर के सहारे लोहे के बैरिकेड की पांच लाइनें तोड़ डाली तो पुलिस को लगा कि अब शेष दो बैरिकेड के टूटते ही किसान दिल्ली में प्रवेश कर जाएंगे।

ट्रैक्टर-टॉली के पहियों की हवा निकाल दी
पुलिस ने तत्काल आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए। इसके बाद भी ट्रैक्टर पर किसान जमा रहा। आखिर में पुलिस ने इतने गोले दागे कि उसे भी ट्रैक्टर छोड़कर भागना पड़ा। किसानों के हटते ही पुलिस ने ट्रैक्टर-टॉली के पहियों की हवा निकाल दी। किसान पीछे तो हटे लेकिन वहीं जम गए।

किसानों व पुलिस के बीच टकराव की स्थिति
दोपहर 12:15 बजे के आसपास किसान नेता राकेश टिकैत दिल्ली-यूपी गेट पर पहुंचे। इसके बाद एक बार फिर किसानों व पुलिस के बीच टकराव की स्थिति बनी। लेकिन, टिकैत ने किसानों से भावनात्मक अपील की। उन्होंने कहा कि यह देश महात्मा गांधी का है, जिन्होंने अहिंसा का मार्ग दिखाया है। इसका किसानों पर असर हुआ और वे थोड़े ठंडे हुए।

पानी के लिए भटके किसान
दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं दिया तो उन्होंने दिल्ली-यूपी गेट पर ही डेरा जमा लिया। तेज धूम में ही किसान सड़कों पर जमे रहे। पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने से उन्हें भटकना पड़ा। हालांकि प्रशासन की ओर से पुलिस के लिए पानी के कुछ टैंकर वहां उपलब्ध करवाए गए थे। इसी का उपयोग किसानों ने भी किया लेकिन उनकी संख्या बहुत अधिक होने के कारण यह पानी उनके लिए काफी कम पड़ा।


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