Coronavirus: प्लाज्मा डोनर तलाशने में छूट रहा पसीना, आखिर कैसे होगा कोरोना का इलाज
दिल्ली-एनसीआर में सरकारी व निजी क्षेत्र के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी दी जा रही है लेकिन प्लाज्मा डोनर ढूंढने में तीमारदारों का पसीना छूट रहा है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। प्लाज्मा थेरेपी कोरोना से पीड़ित मरीजों की जान बचाने में मददगार बन रही है। दिल्ली-एनसीआर में सरकारी व निजी क्षेत्र के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी दी जा रही है, लेकिन प्लाज्मा डोनर ढूंढने में तीमारदारों का पसीना छूट रहा है। इसके लिए सबसे बड़ा माध्यम फिलहाल सोशल मीडिया ही बनी हुई है। ऐसे में मरीजों के परिजन और डॉक्टरों का कहना है कि सरकार प्लाज्मा बैंक या डोनर पंजीकरण प्लेटफार्म बनाए। इससे लोगों को डोनर के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। यह स्थिति तब है जब दिल्ली में ही कोरोना से पीडित 52 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं।
लोगों ने बतायी परेशानी
कोरोना से पीड़ित मरीजों को वही लोग प्लाज्मा दे सकते हैं, जो जिन्होंने दो से तीन सप्ताह पहले कोरोना को हराकर ठीक हुए हैं। नोएडा निवासी व बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत विनीत टंडन ने कहा कि उनके ससुर कोरोना से पीड़ित हैं। वह दिल्ली में ही रहते हैं। मैक्स अस्पताल में करीब एक सप्ताह से उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने उनकी प्लाज्मा थेरेपी कराने की सलाह दी। उनका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है। दो दिन से वह डोनर के लिए परेशान हैं।
यह भी है परेशानी
वहीं अस्पताल भी ठीक होने वाले मरीजों का नंबर किसी दूसरे व्यक्ति को उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। ऐसे में करीब 200 लोगों से बात की। इसमें कई कोरोना से ठीक हुए लोग भी थे। कुछ लोगों ने डर के कारण प्लाज्मा देने से इनकार कर दिया तो कुछ लोगों ने हीमोग्लोबिन कम होने की बात कही। काफी प्रयास के बाद उन्हें अपने संपर्क से ही डोनर मिला।
कुछ निजी पोर्टल हैं सक्रिय
प्लाज्मा डोनर उपलब्ध कराने के लिए कुछ निजी पोर्टल सक्रिय हैं। विनीत टंडन ने कहा कि इसमें कुछ धोखाधड़ी की बात भी समाने आ रही है। यदि डोनर पंजीकरण के लिए कोई सरकारी पोर्टल की व्यवस्था हो तो लोगों को सही सूचना उपलब्ध होगी। एम्स के जेरियाट्रिक मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर डॉ विजय गुर्जर ने कहा कि सभी कोविड अस्पताल में मरीज की जानकारी होती है। इसलिए सभी अस्पतालों में एक डैशबोर्ड बनाने की जरूरत है, जहां ठीक होने वाले मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए। इससे जरूरतमंदों को प्लाज्मा के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
एक फीसद भी नहीं कर रहे प्लाज्मा दान
एम्स ने हाल में पहल शुरू की है और ठीक हुए मरीजों को फोन करके प्लाज्मा दान के लिए प्रोत्साहित करते हैं। दिक्कत यह है कि जितने लोग ठीक हुए उसमें से एक फीसद व्यक्ति भी प्लाज्मा दान करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। ऐसे लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
अस्पताल से ठीक हुए मरीजों को प्लाज्मा दान के लिए किया जाता है फोन
लोकनायक अस्पताल में करीब 30 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है। इस अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि अस्पताल से करीब 2700 कोरोना पीड़ित ठीक होकर घर जा चुके हैं। उन सबकी सूची और मोबाइल नंबर मौजूद है। उन्हें फोन करके प्लाज्मा दान के लिए बुलाया जाता है, लेकिन यदि प्लाज्मा बैंक बने तो लोगों को आसानी होगी।