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धराशायी हो चुके सिस्टम का सच, लाखों लोगों की कब्रगाह बन सकती हैं कमजोर इमारतें

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी में छह मंजिला इमारत का जमींदोज होना सिर्फ एक हादसा भर नहीं है। बल्कि इस हादसे ने धराशायी हो चुके सरकारी सिस्टम को भी उजागर हुआ है।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 08:42 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 03:00 AM (IST)
धराशायी हो चुके सिस्टम का सच, लाखों लोगों की कब्रगाह बन सकती हैं कमजोर इमारतें
धराशायी हो चुके सिस्टम का सच, लाखों लोगों की कब्रगाह बन सकती हैं कमजोर इमारतें

नोएडा [अरविंद मिश्रा]।  प्रशासन व प्राधिकरण की नाक के नीचे बिल्डरों ने बहुमंजिला इमारतों के रूप में लाखों लोगों की कब्रगाह तैयार कर दी है। कमजोर ढांचे के साथ खड़ी ये इमारतें प्रकृति के रौद्र को शायद ही बर्दाश्त कर सकें। अधिकारियों ने अपनी तिजोरी भरने के लिए लोगों की जान की परवाह तक नहीं की और इमारतों की मजबूती को जांचे बगैर उन्हें पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए हैं। भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील इलाके में बनी इन सैकड़ों इमारतों के धराशायी होने से बड़े स्तर पर जानमाल की हानि हो सकती है।

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धराशायी हो चुका सरकारी सिस्टम

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी में छह मंजिला इमारत का जमींदोज होना सिर्फ एक हादसा भर नहीं है। बल्कि इस हादसे ने धराशायी हो चुके सरकारी सिस्टम को भी उजागर हुआ है। हालांकि जो इमारत धराशायी हुई है, वह अवैध थी। लेकिन ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बनी सैकड़ों इमारतों की भी कमोबेश यही स्थिति है। बिल्डर परियोनाओं में खरीदारों को कब्जे के साथ ही फ्लैट प्लास्टर व दीवार गिरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं से बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले दशहत में आ चुके हैं। बिल्डरों ने अधिक से अधिक फायदा कमाने के लिए मानकों को दरकिनार कर घटिया निर्माण सामग्री लगाई है। फ्लैट खरीदार आए दिन बिल्डरों के खिलाफ घटिया निर्माण सामग्री लगाने को लेकर धरना प्रदर्शन करते रहते हैं।

जांच हुई ही नहीं 

लेकिन लोगों की इस आवाज को न तो आज तक प्रशासन और न ही प्राधिकरण ने गंभीरता से लिया है। इमारतों के निर्माण के दौरान भी सरकारी मशीनरी का यही रवैया रहा। इमारतों का निर्माण पूरा होने पर प्राधिकरण ने उनकी मजबूती का आंकलन करने तक के कदम नहीं उठाए। अधिकारियों ने कार्यालय में बैठकर ही बिल्डरों को पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिए। इसके एवज में अधिकारियों ने अपनी जेब गरम की। प्रशासन का भी पूरा फोकस राजस्व जुटाने के लिए फ्लैटों की रजिस्ट्री तक ही सीमित रहा है। जबकि नेशनल बिल्डिंग कोड में इमारतों के निर्माण के लिए मानक तय हैं। बिल्डरों की तैयार इमारतें इन मानकों पर कितनी खरी हैं, यह जांच की आज तक जरूरत नहीं समझी गई हैं।

भूकंप की दृष्टि से भी खतरनाक है जिला

गौतमबुद्ध नगर जिला भूकंप की दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। गौतमबुद्ध नगर को जोन चार में रखा गया है। भूकंप के मद्देनजर इमारतों के निर्माण के मानक तय हैं। लेकिन इन मानकों पर बहुमंजिला इमारतें खरी उतरती हैं या नहीं। इसकी जांच कराने के प्रति भी प्राधिकरण व प्रशासन आंखें बंद कर बैठे हैं। यह लापरवाही कभी भी बड़ी तबाही का कारण बन सकती है।  


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