पढ़ें- AAP नेता आशुतोष के केजरीवाल को 'टाटा' कहने की इनसाइड स्टोरी
जानकारों की मानें तो AAP के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले आशुतोष का इस्तीफा पार्टी में भूचाल ला सकता है। कुमार विश्वास इस्तीफे को लेकर केजरीवाल पर तंज कस चुके हैं।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता आशुतोष ने पूरे चार साल तक पार्टी में सक्रिय रहने के बाद इस्तीफा दे दिया है, हालांकि आशुतोष ने इस्तीफे के पीछे बेहद निजी कारण बताए हैं। दिल्ली में सत्तासीन AAP के मुखिया अरविंद केजरीवाल के किसी करीबी ने लंबे समय बाद इस तरह साथ छोड़ा है और वह भी बाकायदा इस्तीफा देकर। राजनीति के जानकारों की मानें तो AAP के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले आशुतोष का इस्तीफा पार्टी में भूचाल ला सकता है, इसके बाद कुछ और नेता पार्टी का दामन छोड़ सकते हैं।
केजरीवाल के करीबी माने जाते रहे हैं आशुतोष
करीब डेढ़ दशक तक सक्रिय पत्रकारिता करने के बाद साल 2014 में राजनीति में आए आशुतोष को पूरी उम्मीद थी कि दिल्ली से तीन राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बतौर उम्मीदवार उनका नाम जरूर होगा। बावजूद इसके ऐसा नहीं हुआ, जबकि आशुतोष को शुरू से ही केजरीवाल का करीबी माना जाता रहा है।
राज्यसभा चुनाव के दौरान बढ़ गई थी केजरीवाल से आशतोष की दूरी
आम आदमी पार्टी नेतृत्व के साथ आशुतोष के मतभेद पिछले साल राज्यसभा चुनाव के दौरान उभरे, जब सीएम केजरीवाल ने सुशील गुप्ता जैसे उद्योगपति को टिकट दिया था। उस दौरान आशुतोष ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनका जमीर उन्हें सुशील गुप्ता के साथ राज्यसभा जाने की इजाजत नहीं देता है। चाहे उन्हें टिकट मिले या न मिले, सुशील गुप्ता को राज्यसभा नहीं भेजा जाना चाहिए। तब केजरीवाल ने उनकी जगह चार्टर्ड अकाउंटेंट एनडी गुप्ता का नामांकन करा दिया था। हालांकि एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता दोनों ही AAP के सदस्य नहीं थे। इसके बाद से ही आशुतोष राजनीति में निष्क्रिय हो गए थे।
केजरीवाल के कई करीबी अब साथ नहीं
यहां पर बता दें कि केजरीवाल के चलते पार्टी छोड़कर जाने वालों की लंबी सूची है। पार्टी की स्थापना के साथ ही केजरीवाल के साथ एक-एक कर उनसे छिटकते रहे। इनमें किरण बेदी, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, मयंक गांधी, शाजिया इल्मी का नाम प्रमुख है। केजरीवाल के साथ कपिल मिश्रा और कुमार विश्वास के मतभेद अंतिम चरण में है, लेकिन दोनों ने अभी तक AAP नहीं छोड़ी है। कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा दोनों फिलहाल पार्टी में हैं, लेकिन पूरी तरह निष्क्रिय हैं। कपिल खुलकर तो कुमार विश्वास कटाक्ष के जरिये केजरीवाल को घेरते रहते हैं।
पहली बार में ही लोस चुनाव लड़ा और हार गए
करीब डेढ़ दशक तक सक्रिय पत्रकारिता करने बाद साल 2014 में राजनीति में आशुतोष इस मामले में काफी भाग्यशाली रहे कि उन पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए चांदनी चौक से टिकट दिया था, लेकिन मोदी लहर के चलते वह चुनाव हार गए।
यूपी के रहने वाले आशुतोष ने जेएनयू से की है पढ़ाई
मूल रूप से उत्तर प्रदेश (वाराणसी) के रहने वाले आशुतोष ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद देश के नामी संस्थान जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने दर्शनशास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की, फिर सोवियत स्टडीज में एमफिल किया। इसके बाद पत्रकारिता से जुड़ गए।
केजरीवाल के कारवां से बिछड़ते रहे साथी, लेकिन डटे रहे आशुतोष
आशुतोष AAP से इस्तीफा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि आशुतोष के केजरीवाल का दामन थामने के दौरान या बाद में पार्टी से जुड़ने वाले कैप्टन गोपीनाथ, किरण बेदी, कुमार विश्वास, शाजिया इल्मी और प्रशांत भूषण जैसे लोग एक-एक कर केजरीवाल से दूर होते गए, लेकिन हालांकि आशुतोष केजरीवाल के साथ मजबूती से डटे रहे।
केजरीवाल का विश्वास जीतकर बने थे पार्टी प्रवक्ता
अरविंद केजरीवाल को यह बखूबी मालूम था कि आशुतोष पत्रकार होने के चलते मीडिया में पार्टी की बात को सही ढंग से रखेंगे। यही वजह थी कि केजरीवाल ने प्रवक्ता जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी।
'13 डेज दैट अवेकेंड इंडिया' जैसी मशहूर किताब लिख चुके हैं आशुतोष
आशुतोष की गिनती उम्दा पत्रकार के साथ बुद्धिजीवियों में भी होती है। वे कई किताबें भी लिख चुके हैं। इनमें अन्ना आंदोलन पर उनकी किताब '13 डेज दैट अवेकेंड इंडिया' का काफी सराहना भी मिली थी।