जमीन पर सोते हैं रामलीला के कलाकार, रीति-रिवाजों व नियमों का करते हैं पालन
श्रीराम, लक्ष्मण, सीता व हनुमान का किरदार निभाने वाले कलाकारों द्वारा परंपरा को निभाने का सिलसिला तो पहले दिन गणेश पूजन के साथ ही शुरू हो जाता है।
फरीदाबाद (सुशील भाटिया)। आधुनिक तकनीक वाले युग में अब खुद पर संयम रखना बेहद कठिन हो गया है और अब रंगमंच के प्रति वो समर्पण भाव भी नहीं दिखता, पर अभी भी रामलीला कमेटी के मंच से जुड़े कई पुराने कलाकार ऐसे हैं, जो रामलीला के दशकों पुराने रीति-रिवाजों, नियमों की पालन कर रहे हैं। इन परंपराओं में शामिल हैं रामलीला मंचन के दिनों में शुद्ध शाकाहारी भोजन करना, शराब से पूरी तरह से दूर रहना, विवाहित कलाकारों के लिए गृहस्थ जीवन को त्यागना और रात को जमीन पर सोना।
श्रीराम, लक्ष्मण, सीता व हनुमान का किरदार निभाने वाले कलाकारों द्वारा इस परंपरा को निभाने का सिलसिला तो पहले दिन गणेश पूजन के साथ ही शुरू हो जाता है। जबकि अन्य कलाकारों की जैसे-जैसे बीच-बीच में भूमिका शुरू होती है, उसी अनुरूप वो स्वयं को इस सोच में ढाल लेते हैं।
शराब-मांसाहार से दूर, लहसुन-प्याज रहित भोजन करते हैं ग्रहण
श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी सेक्टर-15 के मंच पर राम का किरदार निभाने वाले रितेश चौधरी, लक्ष्मण का किरदार निभा रहे अनिल चावला, हनुमान बनने वाले कैलाश चावला व सीता की भूमिका में योगंधा वशिष्ठ इन सांस्कृतिक मूल्यों को अपना रहे हैं। यह सभी कलाकार रामलीला शुरू होने से लेकर अंतिम दिन राम राज्याभिषेक के दिन तक लहसुन-प्याज के बिना बने भोजन को ग्रहण करते हैं। मांसाहार से पूरी तरह से दूर होते हैं और रात्रि को जमीन पर सोते हैं।
रावण भी करते हैं शाकाहारी भोजन
विवाहित कलाकार गृहस्थ आश्रम यानी पति-पत्नी के बीच के संबंधों का भी त्याग करते हैं। यहां तक की लंका नरेश रावण का किरदार निभाने वाले श्रवण चावला भी पूरी तरह से शाकाहारी भोजन करते हैं। न्यू टाउन फरीदाबाद में साढ़े छह दशक पुरानी विजय रामलीला कमेटी के कई कलाकार भी इसी परंपरा पर चल रहे हैं।
विद्वान पंडित दिलाते हैं संकल्प
रामलीला के मंच पर पहले दिन ही जब पूजा होती है, तो यह सभी कलाकार पूजा में बैठते हैं। पूजा कराने वाले पंडित मंत्रोच्चारण के बीच इन्हें तुलसी की माला और जनेऊ धारण कराते हैं और यह संकल्प दिलाते हैं कि जब तक रामलीला का मंचन होगा, तब तक यह शराब-मांसाहार से दूर रहेंगे, लहसुन-प्याज रहित भोजन ग्रहण करेंगे और जमीन पर दरी बिछाकर सोएंगे। इस दौरान जो शादीशुदा हैं, वो गृहस्थ आश्रम से दूर रहेंगे। श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी के कलाकारों के लिए भोजन भी मंच के प्रांगण में ही बनता है। यह परंपरा हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की परिचायक है और हमें जीवन में जमीन से जुड़े रहने का भी अहसास दिलाती है।
मैं वैसे भी ब्राह्मण परिवार से हूं और पूरी तरह से शाकाहारी हूं। रामलीला के दिनों मैं पूरी तरह से सादा भोजन ग्रहण करती हूं और रात को जमीन पर सोती हूं। -योगंधा वशिष्ठ, श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी के मंच पर सीता की भूमिका निभाने वाली कलाकार।
रामलीला के दिनों में हम पूरी तरह से सादे जीवन में होते हैं। क्योंकि इन दिनों में राम, लक्ष्मण, सीता व हनुमान जी के स्वरूप में होते हैं। इन सभी के आम लोग श्रद्धावश पैरों को छूकर आशीर्वाद लेते हैं। अंतिम दिन राज्याभिषेक के बाद और अगले दिन घरों में कंजक पूजन के बाद यह संकल्प समाप्त होता है। कुछ दिनों के अंतराल पर सभी कलाकार हरिद्वार जाकर गंगा स्नान करते हैं, ताकि आम लोगों द्वारा रामलीला के दिनों में हमारे पैर छूकर हम पर जो भार चढ़ा है, उसे उतारा जा सके। -अनिल चावला, लक्ष्मण व मुख्य निर्देशक श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी
आचरण शुद्ध होना चाहिए
देखिए अब जमाना बदल गया है और युवा वर्ग जमीन पर तो नहीं सोते, पर हमारे समय में तो राम-लक्ष्मण को घर भी जाने की इजाजत नहीं होती थी। वो मंच पर ही सोते थे। अब हमने मंचीय कलाकारों से यह संकल्प तो करवाया ही है कि रामलीला के दिनों में शराब नहीं पीएंगे और पूरी तरह से शाकाहारी खाना खाएंगे। रामलीला के दिनों में हमारा आचरण भी शुद्ध होना चाहिए। -रमेश दुआ, मुख्य निर्देशक जागृति रामलीला कमेटी।