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Prof Yogendra Singh JNU : लॉकडाउन खत्म होने के बाद दोस्तों संग खाना खाने की इच्छा रह गई अधूरी

Prof Yogendra Singh प्रो. योगेंद्र पूर्व सांसद बृजभूषण तिवारी द्वारा सिद्धार्थनगर में स्थापित लोहिया कला भवन की संचालन समिति के संस्थापक सदस्य भी थे।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 09:31 AM (IST)
Prof Yogendra Singh JNU : लॉकडाउन खत्म होने के बाद दोस्तों संग खाना खाने की इच्छा रह गई अधूरी
Prof Yogendra Singh JNU : लॉकडाउन खत्म होने के बाद दोस्तों संग खाना खाने की इच्छा रह गई अधूरी

नई दिल्ली [राहुल मानव]। Prof Yogendra Singh: प्रख्यात समाजशास्त्री और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर योगेंद्र सिंह का 87 वर्ष की उम्र में रविवार को निधन हो गया। योगेंद्र सिंह का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की स्थापना में अहम योगदान था।

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रिटायरमेंट के बाद जेएनयू में रह रहे थे योगेंद्र

भारत के प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो योगेंद्र सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एमेरितस प्रोफेसर भी थे और 65 वर्ष की उम्र में जेएनयू से सेवानिवृत्त हुए थे। वह जेएनयू के स्कूल ऑफ सोसशल साइंस के समाजशास्त्र के प्रोफेसर रहे थे। वह जेएनयू के सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम्स के संस्थापकों में से एक थे। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती के एक ग्रामीण परिवार से थे। उन्हें 1950 के दशक में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने 1960 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक आगरा , जयपुर, जोधपुर और नई दिल्ली में पढ़ाया। वह अभी जेएनयू में रह रहे थे।

योगेंद्र सिंह की बेटी नीरजा सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सत्यवती कॉलेज (सांध्य) की इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता का निधन रविवार को सुबह 10 बजे के करीब हार्ट अटैक से हुआ। उनकी पत्नी की मृत्यु वर्ष 2017 में हुई थी।

नीरजा ने कहा कि वह इस बात पर भी फिक्रमंद थे और उनका यह मत था कि कोविड-19 के इस महामारी के दौर में शोधकर्ता इस बात पर अवश्य ध्यान दें कि इस महामारी के बाद उद्योग जगत में किस तरह की चुनौतियां खड़ी होंगी और इससे कैसे निपटा जाए? प्रो योगेंद्र सिंह की प्रसिद्ध का आंकलन इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनके निधन के बाद शिक्षा के क्षेत्र में उनकी किताबों को पढ़कर सीख लेने वाले छात्र जो आज खुद प्रोफेसर बन चुके हैं। वह गमगीन हैं। डीयू के भी कई प्रोफेसरों में शोक है। सभी उन्हें याद कर रहे हैं। नीरजा सिंह ने यह भी बताया कि वह चाहते थे कि जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, तब दोस्तों के साथ खाना खाएंगे। 

छात्रों को उनके जीवन से मिलेगी प्रेरणा

प्रो. योगेंद्र सिंह को याद करते हुए जेएनयू के कुलपति प्रो. एम.जगदीश कुमार ने कहा कि जेएनयू में पिछले साल एक कार्यक्रम में प्रोफेसर योगेंद्र सिंह को सुनना बहुत यादगार लम्हा है। देश के समकालीन समय के बेहतरीन समाजशास्त्रियों में से एक रहे प्रो योगेंद्र सिंह को हमेशा याद रख जाएगा। छात्रों को उनके जीवन से प्रेरणा मिलेगी।

वहीं जेएनयू के समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर एवं भारतीय समाजशास्त्रीय समाज के पूर्व अध्यक्ष प्रो आंनद कुमार ने कहा कि प्रोफेसर योगेंद्र सिंह का निधन भारतीय शिक्षाविदों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है क्योंकि वे सबसे प्रतिष्ठित समाजशास्त्रियों में से एक थे। जिन्होंने स्वतंत्र भारत में सामाजिक परिवर्तन की गतिशीलता की समझ के लिए उत्कृष्ट योगदान दिया। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।

कई बड़ी एजेंसियों व महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके थे

प्रो योगेंद्र सिंह वर्ष 1967 से 68 के दौरान अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में गए थे। उन्हें वहां से फुलब्राइट फेलोशिप मिली थी। वह जोधपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री विभाग के प्रमुख भी रह चुके हैं। वह भारतीय समाजशास्त्रीय समाज के अध्यक्ष रह चुके थे। उन्हें वर्ष 2007 में भारतीय समाजशास्त्री समाज लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही उन्हें मध्य प्रदेश सरकार से सर्वश्रेष्ठ समाज वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिला था। वह योजना आयोग और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के शोध सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके थे। उन्हें समाजशास्त्र और समाज नृविज्ञान में अग्रणी योगदान के लिए कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें समाजशास्त्र को लेकर कई पुस्तकें भीक लिखीं। उनकी पुस्तक भारतीय परंपरा के आधुनिकीकरण को भारतीय समाज और इसके विकास के बेहतरीन विश्लेषणों में से एक माना जाता है।

डीयू के प्रोफेसरों ने किया याद

डीयू के सत्यवती कॉलेज (मॉर्निंग) के राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर शशि शेखर सिंह ने कहा कि मैंने प्रो योगेंद्र सिंह का छात्र नहीं रहा हूं लेकिन उनकी किताबों को अपने विद्यार्थी जीवन में पढ़कर काफी कुछ सीख मिली। मेरी उनसे आखिरी मुलाकात वर्ष 2017 में हुई थी जब उनकी पत्नी की मृत्यु हुई थी। मैं अभी कुछ दिन पहले ही उनकी भारत में सामाजिक परिवर्तन पुस्तक को पढ़ रहा था। उनके जाने से शिक्षा व समाजशास्त्र के क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वहीं श्रीअरबिंदो कॉलेज के अस्सिटेंट प्रो हंसराज सुमन ने कहा कि प्रो योगेंद्र सिंह को भारतीय आधुनिकता और परंपरा पर उनके अग्रणी कार्यों के लिए सबसे प्रसिद्ध समाजशास्त्रियों में से एक माना जाता रहा है। यह बहुत बड़ी क्षति है।


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