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जानें- कौन थे 200 से अधिक मरीजों की जान बचाने वाले आरिफ, कुमार विश्वास ने किया ट्वीट- अलविदा बहादुर भाई !

दिल्‍ली के सीलमपुर इलाके में रहने वाले आरिफ खान ने कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया था। वह हमेशा ही हंसकर-मुस्कुराकर अपने काम को अंजाम देते थे।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 09:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 07:30 AM (IST)
जानें- कौन थे 200 से अधिक मरीजों की जान बचाने वाले आरिफ, कुमार विश्वास ने किया ट्वीट- अलविदा बहादुर भाई !
दिल्ली के कोरोना वॉरियर मुहम्मद आरिफ की फाइल फोटो।

नई दिल्ली/गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में अनचाने दुश्मन कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग जारी है, लेकिन इसमें कई बहादुर कोरोना वॉरियर्स को अपनी जान से हाथ थोना पड़ रहा है। ताजा मामले में अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाने वाले आरिफ खान ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ जुड़े आरिफ खान कोरोना वायरस से संक्रमित थे। शनिवार की सुबह उपचार के दौरान हिंदूराव अस्पताल में निधन हो गया। आइये जानते हैं कि कौन थे आरिफ खान, जिनके निधन पर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु और चर्चित कवि कुमार विश्वास समेत तमाम गणमान्य लोगों ने शोक जताया है।

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200 से अधिक लोगों की बचाई थी जान

दिल्‍ली के सीलमपुर इलाके में रहने वाले आरिफ खान ने कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया था। इसी के साथ 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया। आरिफ को जानने वालों का कहना है कि कोरोना महामारी ने एक जिंदादिल वॉरियर की जान ले ली। वह बेहद जिंदादिल शख्यिसियत थे। हमेशा मुस्कुराकर अपने काम को अंजाम देते थे। 

21 मार्च से लगातार दे रहे थे अपनी सेवाएं

आरिफ खान पिछले 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ जुड़े थे। आरिफ मुफ्त में एम्बुलेंस की सेवा मुहैया कराने का काम करते थे। सेवा दल से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो कोरोना के दिल्ली के दस्तक देने के साथ ही वह 21 मार्च से संक्रमित मरीजों को उनके आवास से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक ले जाने का काम कर रहे थे। शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी के मुताबिक, आरिफ खान ने मुस्लिम होकर भी अपने हाथों से 100 से अधिक हिंदुओं के शव का अंतिम संस्कार किया था। यह उनकी शख्सियत का दर्शाता है कि वह धर्म-जाति से ऊपर उठकर कितना नेक काम कर रहे थे।

जितेंद्र सिंह शंटी का कहना है कि आरिफ खान 24 घंटे कोरोना संक्रमितों के लिए उपलब्ध रहते थे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दिल्ली में रात 2 बजे कोरोना के मरीजों को घर से ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया था। इनमें से कुछ की मौत के बाद उन्हें अंतिम संस्‍कार के लिए भी लेकर गए थे। बिना किसी थकान और शिकायत के। आरिफ की हिम्मत की दाद देनी होगी, क्योंकि 3 अक्टूबर को तबीयत खराब हुई थी, लेकिन वह कोरोना संक्रमित को लेकर अस्पताल जा रहे थे। शहीद भगत सिंह सेवा दल की तरफ से अब तक कुल 623 कोरोना संक्रमितों को अस्पताल पहुंचाया गया है, जिनमें 200 से ज्यादा मरीजों को आरिफ ने पहुंचाया।

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मुहम्मद आरिफ खान अपने परिवार के साथ वेलकम इलाके में स्थित लोहा मंडी में किराये के एक घर में रहते थे। आरिफ परिवार के मुखिया थे और परिवार का खर्च चलाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। बड़े बेटे आसिफ ने के मुताबिक, पिछले हफ्ते 6 अक्टूबर को अब्बू के कोरोना संक्रमित होने का पता चला था। ऑक्सीजन स्तर कम होने पर शुक्रवार को हिंदू बाड़ा राव अस्पताल में भर्ती कराया गया फिर शनिवार सुबह उनकी मौत की सूचना आई।

शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि मुहम्मद आरिफ खान बहुत ही ईमानदार व सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। अगर उनके फोन पर किसी मरीज का फोन आ जाता था तो वह अपने निजी काम छोड़कर तुरंत उसकी मदद के लिए तैयार हो जाते थे। वह संक्रमित होने से पहले तक लगातार कोरोना मरीजों की सेवा में जुटे रहे। करीब साढ़े छह महीने से तो वह अपने घर भी नहीं गए थे। एंबुलेंस की पार्किंग में ही उन्होंने डेरा डाल दिया था। जब भी उन्हें घर पर जाने के लिए कहा जाता था, तो वह बस यही कहा करते थे कि अभी संक्रमण फैला हुआ है। एंबुलेंस में रोजाना कोरोना मरीजों के बीच रहते हैं। घर जाने पर परिवार को संक्रमित होने का खतरा रहेगा।

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