2050 में भारत में जानिये- कौन सी बीमारी बन सकती है महामारी
बुजुर्गों के पर 75 फीसद खर्च कूल्हे व हड्डियों के फ्रैक्चर के इलाज में होता है। उस उम्र में शरीरिक सक्रियता कम होने के कारण धूप नहीं मिल पाने की समस्या होती है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में बुजुर्गों में हड्डियों की बीमारी और उन पर आयोजित सम्मेलन में यह बात सामने आई कि अनजाने में गिरने व चोट लगने के कारण बुजुर्गों में कूल्हा फ्रैक्चर बड़ी समस्या है। यह उनके लिए जानलेवा साबित होता है, इसलिए आने वाले समय में यह बीमारी महामारी बन सकती है।
डॉक्टरों ने जताई है यह चिंता
वर्ष 2050 तक 15 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 20 फीसद कम हो जाएगी। हर तीसरा व्यक्ति 50 वर्ष से अधिक उम्र का और छठा व्यक्ति 65 वर्ष से अधिक उम्र का होगा।
इस सम्मेलन का आयोजन जेरियाटिक ऑथरेपेडिक सोसायटी व कई संगठनों ने मिलकर किया। इस सम्मेलन में देश में गठित फ्रैजिलिटी फ्रैक्चर नेटवर्क (एफएफएन-इंडिया) की पहली बैठक भी हुई। इसके माध्यम से डॉक्टर केंद्र सरकार से बुजुर्गो में हड्डियों की बीमारी व कूल्हा फ्रैक्चर की रोकथाम के लिए कार्ययोजना बनाकर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की मांग करेंगे।
शुक्रवार को सम्मेलन के दूसरे दिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा भी एम्स पहुंचेंगे। इस दौरान डॉक्टर उन्हें यह प्रस्ताव सौपेंगे। आयोजन समिति के अध्यक्ष व एम्स के ऑथरेपेडिक्स के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश मल्होत्रा ने कहा कि बुजुर्गों के पर 75 फीसद खर्च कूल्हे व हड्डियों के फ्रैक्चर के इलाज में होता है। उस उम्र में शरीरिक सक्रियता कम होने के कारण धूप नहीं मिल पाने की समस्या होती है, इसलिए शरीर में विटामीन डी व कैल्शियम की कमी हो जाती है। ऐसे में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी होती है। इससे चोट पर हड्डियां तुरंत टूट जाती हैं।
नाम दिया हिप अटैक
डॉक्टरों ने बुजुर्गों में कूल्हा फ्रैक्चर को हिप अटैक नाम दिया है। अमेरिका में कूल्हा फ्रैक्चर से पीड़ित 25 फीसद मरीज की मौत एक साल के अंदर हो जाती है, जबकि यहां यह आंकड़ा 50 फीसद से ज्यादा हो सकता है। यहां 10 में से एक मरीज की मौत तो एक महीने के अंदर हो जाती है।
बाथरूम में गिरने की घटनाएं सबसे ज्यादा, बरतें सावधानी
डॉक्टर कहते हैं कि बुजुर्गों के पैर फिसल कर गिरने व कूल्हा फ्रैक्चर की सबसे अधिक घटनाएं बाथरूम (स्नानघर) में होती हैं। एक बार कूल्हा टूटने पर दोबारा टूटने का खतरा तीन गुना अधिक व दोबारा टूटने पर तीसरी बार टूटने का खतरा पांच गुना अधिक होता है। एक बार कूल्हा टूटने पर एक चौथाई बुजुर्गों को दोबारा यह समस्या हो जाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस से 80 फीसद महिलाएं पीड़ित
पुरुषों को 20 फीसद समस्या। महिलाओं को मीनोपॉज के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में महिलाओं को 50 साल की उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी होने लगती है, जबकि पुरुषों में यह बीमारी देर से हाती है।
सावधानी और जागरूकता जरूरी
1. बाथरूम में लाइट जलाकर रखें।
2. कमरे में भी अंधेरा नहीं होना चाहिए। नाइट बल्ब जलती रहनी चाहिए।
3. घर का कालीन ढीला होने पर उसमें पैर फंसकर गिरने का डर रहता है, इसलिए कालीन ठीक रखना जरूरी है।
4. नए जूते पहनकर बाथरूम जाने से बचें।
5. विटामिन डी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
6. कई बीमारियों से पीड़ित बुजुर्ग यदि एक साथ तीन दवाओं का सेवन कर रहे हों तो उनके गिरने की आशंका अधिक रहती है।