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बुराड़ी फांसीकांड: ललित के घर नहीं था किसी 'तांत्रिक' का आना-जाना

पुलिस के अनुसार जो 10 लोग फंदे से लटके हुए मिले थे उनमें से अधिकतर ने अलग-अलग रंग के नए दुपट्टे व कुछ ने टेलीफोन के तार का इस्तेमाल किया था।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 08:22 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 04:34 PM (IST)
बुराड़ी फांसीकांड: ललित के घर नहीं था किसी 'तांत्रिक' का आना-जाना
बुराड़ी फांसीकांड: ललित के घर नहीं था किसी 'तांत्रिक' का आना-जाना

नई दिल्ली (जेएनएन)। बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की रहस्‍यमय तरीके से फांसी लगाने के मामले में पुलिस जांच में रोज हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस बीच शुक्रवार को क्राइम ब्रांच ने एक महिला तांत्रिक गीता माता को पकड़ा था। तंत्र विद्या के बारे में पूछताछ करने पर उन्होंने कहा कि वह अपने घर में नियमित रूप से सिर्फ माता की पूजा करती हैं। वह भूत-प्रेत की बाधा दूर नहीं करती हैं। सिर्फ पड़ोस के बच्चों की नजर उतारने का काम करती हैं। हालांकि, लोग उसे तांत्रिक ही समझते हैं।

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घर बनाने वाले राज मिस्त्री की बेटी से हुई पूछताछ

शुक्रवार को एक समाचार चैनल ने बताया कि ललित का घर बनाने वाले राज मिस्त्री कुंवर पाल की बेटी गीता माता तांत्रिक है। उनका ललित के घर आना-जाना था, ये वही राजमिस्त्री है, जिसने ललित के घर में 11 पाइप लगाए थे। 7 जुलाई को गीता माता से मिलने के लिए ललित उनके घर भी जाने वाला था। मीडिया के जरिये इस बात की जानकारी मिलने के बाद पुलिस की टीम ने हरित विहार स्थित गीता माता के घर पहुंचकर उन्हें हिरासत में ले लिया।

बुराड़ी थाने लाकर टीम ने उनसे दो घंटे तक पूछताछ की। क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार के मुताबिक, जांच में पता चला कि गीता माता का घटना से कोई लेना-देना नहीं है। वह न तो ललित के घर कभी गई थीं और न ही ललित तंत्र-मंत्र के चक्कर में कभी उनके घर आया था। गीता अपने पिता से अलग हरित विहार में रहती हैं और मंडली में भजन गाने का काम करती हैं। पूछताछ में गीता ने बताया कि उन्होंने ललित को कभी देखा भी नहीं था। 

इससे पहले शुक्रवार सुबह से ही घटना वाले इलाके में क्राइम ब्रांच ने अपना डेरा डाला हुआ था। टीम में शामिल जांचकर्ताओं ने सबूत जुटाने की कड़ी में लोगों से पूछताछ भी की, वहीं इसके बाद फांसी लगाने के दौरान इस्तेमाल स्टूल को भी सबूत के तौर पर अपने साथ ले गई। 

 

आरोप है कि 30 जून और 1 जुलाई की रात को 11 लोगों ने मोक्ष पाने के लिए फांसी लगा ली थी और सुबह उनके शव पाए गए थे। इससे पहले पुलिस को जांच में पता चला है कि बुराड़ी के संत नगर में फंदा लगाने में इस्तेमाल दुपंट्टा भी ललित के परिजन बाजार से खरीदकर लाए थे। क्राइम ब्रांच को इस बात की जानकारी मिली है। साथ ही घर से मिले रजिस्टर में भी इस बात का जिक्र है कि विशेष साधना के सातवें दिन 30 जून की आधी रात बरगद की जटाओं की तरह फंदे पर लटकने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल किया जाए।

पुलिस के अनुसार जो 10 लोग फंदे से लटके हुए मिले थे उनमें से अधिकतर ने अलग-अलग रंग के नए दुपट्टे व कुछ ने टेलीफोन के तार का इस्तेमाल किया था। ऐसे में क्राइम ब्रांच यह मान रही है कि ये दुपंट्टे घर के आसपास के किसी कपड़े की दुकान से खरीदे गए। 

फंदे पर लटकने के लिए सभी ने मिलकर जुटाई थे सामान

बृहस्पतिवार को क्राइम ब्रांच की टीम सुबह से शाम तक कपड़े की दुकान ढूंढ़ने की काशिश की, लेकिन पता नहीं लग पाया। इससे पहले बुधवार को क्राइम ब्रांच को संत नगर के गली नंबर 2 में लगे तीन सीसीटीवी कैमरे की फुटेज मिलने से यह साफ हो गया कि किसी ने घर में घुसकर 11 लोगों की हत्या नहीं की, बल्कि ललित के अंधविश्वास में पड़कर परिवार के सदस्यों ने खुद फंदे पर लटककर जान दी थी। फंदे पर लटकने के लिए सभी ने मिल जुलकर सामान जुटाए थे।

फांसी लगाने के लिए खरीदे गए थे चार प्लास्टिक के स्टूल

30 जून की शाम से लेकर एक जुलाई की सुबह तक की सीसीटीवी फुटेज देखने पर पता चला कि भुवनेश की पत्नी श्वेता व उसकी छोटी बेटी नीतू घटना वाली रात 10.20 बजे उसी गली के अंतिम छोर पर स्थित फर्नीचर की दुकान से चार प्लास्टिक के स्टूल खरीदकर घर ले जा रही है। दूसरी फुटेज में ललित का बेटा शिवम दुकान के पास से ही टेलीफोन का तार निकालकर घर ले जा रहा है और तीसरे में दोनों भाई भुवनेश व ललित अपनी-अपनी दुकानें बंद कर टेलीफोन के तार व सुतली लेकर घर जाते दिखे।

घटना की रात से रात पहले पूरा परिवार जुटा था सामान जुटाने में

क्राइम ब्रांच का कहना है कि घटना वाली रात 10:57 बजे ललित पालतू टॉमी को घुमाने पहली मंजिल से नीचे आया था। एक जुलाई को सुबह 5:35 बजे एक डिलीवरी वैन आई थी, जिससे दूध, ब्रेड व अन्य सामान ललित की दुकान के बाहर उतारने के बाद चला गया था। उसके 7 मिनट बाद सामने रहने वाले गुरवचन सिंह जब दुकान के पास आए तो उन्होंने देखा कि कई लोग सामान लेने दुकान के पास खड़े थे। 6:15 बजे जब वह पहली मंजिल पर ललित को बुलाने गए तो 10 लोगों को फंदे पर लटके हुए देखकर उनके होश उड़ गए। वह तुरंत चिल्लाते हुए वापस नीचे आए और लोगों को घटना से अवगत कराया।

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