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जानिए- आखिर कैसे 1.5 करोड़ पेपरों की वजह से सीबीएसई ने बना दिया रिकॉर्ड

अपनी विश्वसनीयता और साख को बरकरार रखने के लिए इस दौरान हर उत्तर पुस्तिका जांच के लिए तकरीबन 12 जांचकर्ताओं के हाथ से गुजारी यानी 12 बार प्रत्येक कॉपी की जांच हुई।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 02:15 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 09:01 AM (IST)
जानिए- आखिर कैसे 1.5 करोड़ पेपरों की वजह से सीबीएसई ने बना दिया रिकॉर्ड
जानिए- आखिर कैसे 1.5 करोड़ पेपरों की वजह से सीबीएसई ने बना दिया रिकॉर्ड

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। केंदीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education) को सफलतापूर्वक पूरे देश में परीक्षा आयोजित करने के लिए कई बार सराहा जा चुका है। इस बार भी 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद सीबीएसई की फिर तारीफ हो रही है, लेकिन बोर्ड ने एक और उपलब्धि अपने नाम पर एक नया रिकॉर्ड अपने नाम किया है। दरअसल, सीबीएसई ने इस साल रिकॉर्ड अवधि के भीतर 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित किए हैं।

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मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए 1.5 लाख से अधिक जांचकर्ता शामिल हुए थे। इतना ही नहीं, अपनी विश्वसनीयता और साख को बरकरार रखने के लिए इस दौरान हर उत्तर पुस्तिका जांच के लिए तकरीबन 12 जांचकर्ताओं के हाथ से गुजारी, यानी 12 बार प्रत्येक कॉपी की जांच हुई। ऐसा इसलिए कि नतीजा सटीक और पूरे देश के परीक्षार्थियों का विश्वास सीबीएसई के प्रति बरकरार रहे। 

बताया जा रहा है कि रिकॉर्ड समय में 10वीं और 12वीं की परीक्षा का परिणाम घोषित करने का लक्ष्य सीबीएसई की पूरी टीम के लिए आसान नहीं रहा, लेकिन इसे अधिकारियों, कर्मचारियों और जांचकर्ताओं ने अपनी मेहनत और एकाग्रता से मुमकिन बनाया है।

सीबीएसई के मुताबिक, 4 अप्रैल को परीक्षा समाप्त होने के बाद 16 दिन में 1.67 करोड़ कॉपियां जांची गईं। बोर्ड ने मूल्यांकन में कोई चूक नहीं हो इसके लिए बाकायदा पूरी तैयारी थी। हर एक कॉपी 12 जांचकर्ताओं के हाथ से होकर गुजरी।

तय समय में परिणाम देने की मुहिम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सीबीएसई के अधिकारियों के मुताबिक, हर दिन औसतन 5.6 लाख उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की गई। पेपर का मूल्यांकन 8 स्तरीय था जिसे 12 जांचकर्ताओं ने जांचा। पूरी प्रक्रिया में 1.5 लाख से अधिक अधिकारी शामिल थे। इन सभी को अलग से प्रशिक्षण भी दिया गया था, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी से बचा जा सके। वहीं, माना जा रहा है कि परिणाम के पुनर्मूल्यांकन के लिए इस बार कम आवेदन आने की उम्मीद है, क्योंकि इस बार ज्यादा बेहतर तरीके से मूल्यांकन कार्य किया गया है।  

यह भी जानें

  • उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए 1.5 लाख से अधिक जांचकर्ताओं ने अपनी भूमिका निभाई थी।
  • 1.1 लाख पेपर जांचने वाले अधिकारी थे जो कि 3,000 केंद्रीयकृत सेंटरों पर तैनात थे। 
  • इस साल इवेलुएशन सेंटर में 40 प्रतिशत की वृद्धि की गई।
  • हर दिन औसतन 5.6 लाख आंसर शीट की जांच की गई। 
  • उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए पहली बार मूल्यांकन चार्ट बनाया गया।
  • इस दौरान दो जांचकर्ता जांच के बाद एक-दूसरे द्वारा जांची उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन करते थे।  
  • सीबीएसई के अधिकारियों के अधिकारियों की मानें तो केंद्रीय इवेलुएशन सेंटर का नेतृत्व चीफ नोडल सुपरवाइजर (सीएनएस) कर रहे थे। 
  • परीक्षा खत्म होने वाले दिन  से अगले 16 दिनों के दौरान जांच की गई।

गौरतलब है कि इस साल कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा 21 फरवरी से शुरू हुई थी और 29 मार्च तक आयोजित की गई थी। इस साल परीक्षा में कुल 31,14,831 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिसमें 18,27,472 छात्र कक्षा 10 और 12,87,359 छात्र कक्षा 12 के थे. वहीं कक्षा 10वीं की परीक्षा 2 मार्च से शुरू हुई थी और 29 मार्च तक चली थी।

वहीं, सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने अप्रैल महीने में बता दिया था कि कक्षा 10वीं व 12वीं के परिणाम घोषित करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। उम्मीद है कि मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में 2019 के बीच नतीजे जारी कर दिए जाएंगे। यह अलग बात है कि तय तारीख से पहले ही सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए। 

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