महिलाओं ने 1 साल में कैसे दिया 4 बच्चों को जन्म? पढ़िए- यह सनसनीखेज स्टोरी
करोड़ों के इस मातृत्व अवकाश घोटाले की जांच आगे बढ़ने पर ESIC को धोखा देने के मामलों की संख्या 600 से बढ़कर 2000 के करीब हो गई है।
नई दिल्ली/फरीदाबाद, जेएनएन। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employee State Insurance Corporation) में निजी कंपनियों/संस्थानों में कार्यरत कुछ महिलाओं द्वारा एक साल में चार-चार बार मातृत्व अवकाश (maternity leave) लेने की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इसमें सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। जांच में जुटे उच्च अधिकारियों की मानें तो तकरीबन 10 करोड़ रुपये के इस मातृत्व अवकाश घोटाले की जांच आगे बढ़ने पर ESIC को धोखा देने के मामलों की संख्या 600 से बढ़कर 2000 के करीब हो गई है हालांकि अधिकारी इनकी संख्या 1600 के आसपास ही बता रहे हैं।
ESIC अफसरों की मिलीभगत बिना संभव नहीं घोटाला!
मिली जानकारी के मुताबिक, इस घोटाले में निजी क्षेत्र में कार्यरत सैकड़ों महिलाकर्मी शामिल हैं, जिन्होंने मातृत्व अवकाश योजना के अंतर्गत मिलने वाली आर्थिक सहायता गड़बड़ी कर हासिल। इस दौरान महिलाओं ने न केवल कंपनी से अवकाश लिया, बल्कि सरकार से रुपये भी लिए। जाहिर है इस घोटाले में कथित रूप से ESIC के अधिकारियों की मिलीभगत रही होगी।
जैविक रूप से संभव नहीं एक साल में चार बच्चों को जन्म
घोटाले की जांच में जुटे सतर्कता विभाग (Vigilance department) ने अधिकारियों में इसमें यह भी पाया कि कुछ मामलों में तो महिला कर्मियों ने एक साल में मातृत्व अवकाश का फायदा एक बार से ज्यादा लिया है, कई-कई ने तो चार-चार बार। कुछ महिलाओं के दस्तावेज (रिकॉर्ड) की जांच में पता चला है कि कुछ महिलाओं ने तथाकथित रूप से एक साल में चार बार बच्चों को जन्म दिया है, जो जैविक (Biological) रूप से संभव ही नहीं है।
10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता चला
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, मंत्रालय की एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि फिलहाल, 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता चल पाया है। यह घोटाला बहुत बड़े स्तर पर होता दिख रहा है और हो सकता है कि यह देश के अन्य भागों में भी हुआ हो।
गौरतलब है कि मातृत्व अवकाश के दौरान 26 माह का सवैतनिक अवकाश मिलता है। जांच शुरू हुई तो पता चला कि एक साल के अंदर ऐसे दर्जनों मामलों के प्रकाश में आने के बाद शुरू की गई। पिछले सप्ताह आईएएनएस द्वारा इस मामले का खुलासा किए जाने के बाद सतर्कता आयोग दिल्ली स्थित ईएसआईसी कार्यालय में इसकी जांच कर रहा है।
सूत्रों ने कहा कि जांच का कार्यकाल पिछले तीन साल से बढ़ाकर छह साल कर दिया गया है। अब तक छह कर्मचारियों और तीन अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है और घोटाले की जांच के लिए एक टीम गठित की जा चुकी है।
माना जा रहा है कि एक साल में चार बार मातृत्व अवकाश देने में निगम के अस्पताल के कर्मचारियों और चिकित्सकों की मिलीभगत रही होगी। ऑडिट टीम इसमें करीब 10 करोड़ रुपये के वारे-न्यारे का अनुमान लगा रही है।
इस इलाके में कई औद्योगिक इकाइयों में सैकड़ों महिलाएं कार्यरत हैं। इनके वेतन से ईएसआइसी के मद में पैसे कटते हैं और इसके एवज में महिलाओं को ईएसआइसी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं। कर्मचारियों के वेतन से काटे गए पैसे ईएसआइसी के खाते में जमा होता है। निगम की ओर से ईएसआइसी कार्डधारक महिलाओं को डिलीवरी के दौरान 84 दिन का मातृत्व अवकाश (सवेतन) दिया जाता है।
गर्भपात (कम से कम तीन माह की गर्भवती) कराने पर महिला को 42 दिन का (सवेतन) अवकाश भी दिया जाता है। इस अवकाश का पैसा निगम की ओर से महिला के बैंक खाते में डाल दिया जाता है।
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