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सरकार से अलग है संघ का स्वदेशी मॉडल, आने वाले समय में संगठन तेज करेेगा जागरुकता अभियान

संघ के अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के स्वदेशी आधार में उत्पादन के साथ कंपनी मुख्यालय और बहुसंख्य शेयरधारकों की भारतीयता जरूरी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 11:15 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 07:09 AM (IST)
सरकार से अलग है संघ का स्वदेशी मॉडल, आने वाले समय में संगठन तेज करेेगा जागरुकता अभियान
सरकार से अलग है संघ का स्वदेशी मॉडल, आने वाले समय में संगठन तेज करेेगा जागरुकता अभियान

नई दिल्‍ली [नेमिष हेमंत]। वैश्विक महामारी कोरोना से जंग के साथ देशवासियों के लिए स्वदेशी को मूल मंत्र बनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों के बीच स्वदेशी मॉडल पर भी चर्चा तेज हो गई है। इस विषय पर भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार जुदा हैं। सरकार जहां देश में उत्पादन को ही बतौर स्वदेशी मानती है, वहीं संघ के अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के स्वदेशी आधार में उत्पादन के साथ कंपनी मुख्यालय और बहुसंख्य शेयरधारकों की भारतीयता जरूरी है। आने वाले समय में संघ यह भी बताएगा कि कौन सा उत्पाद स्वदेशी है और कौन सा विदेशी।

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29 सालों से जारी है जागरुकता अभियान

हालांकि, 29 सालों से स्वदेशी उत्पादों को लेकर जागरुकता अभियान चला रहा यह संगठन इस मामले को तूल देने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि पहली बार किसी सरकार ने उसके स्वदेशी आग्रह को जोरदार तरीके से स्वीकार किया है। स्वदेशी जागरण मंच का जोर धीरे--धीरे अपने स्वदेशी मॉडल को सर्वग्राही बनाने पर होगा।

पीएम ने कहा था लोकल के लिए वोकल बनें

बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकल के लिए वोकल होने की अपील और इसके बाद बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस तरीके से सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्योगों के लिए राहत पैकेज का जारी किया, उससे सरकार की भावी नीति और स्पष्ट हो गई है।

सरकार और आरएसएस के मॉडल में है अंतर

एसजेएम के अखिल भारतीय संगठक कश्मीरी लाल कहते हैं कि जिस कंपनी का उत्पाद देश में तैयार होता है, जिसका मुख्यालय भारत में ही हो और जिसके कम से कम 61 फीसद शेयर धारक भारतीय हों उसे मंच स्वदेशी मानता है। हालांकि, सरकार का स्वदेशी मॉडल इससे थो़ड़ा इतर हो सकता है। वह कहते हैं कि उनका अभियान 'चाह से देसी, जरूरत से स्वदेशी व मजबूरी में विदेशी' के मंत्र पर टिका है। ऐसे में एसजेएम को इससे खास दिक्कत नहीं है, क्योंकि अभी लक्ष्य बहुत ब़़डा है। अच्छी बात यह कि किसी सरकार ने इस दिशा में इच्छाशक्ति दिखाई है। उन्होंने कहा कि वैसे, संगठन इस बारीक भेद को लेकर लोगों के बीच जाएगा और उन्हें बताएगा कि कौन सा उत्पाद स्वदेशी है और कौन सा विदेशी।


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