जानिये- क्यों अब PM नरेंद्र मोदी को ही फॉलो करते नजर आ रहे हैं कांग्रेस नेता
Delhi Politics अब कांग्रेसी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही फॉलो करते नजर आ रहे हैं। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों के विरोध में दिल्ली महिला कांग्रेस ने प्रदर्शन किया तो उन्होंने पीएम की ही रचनात्मकता का अनुसरण किया।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रंटलाइन वर्करों के सम्मान में थाली बजवाई तो कांग्रेस को यह बिल्कुल नागवार गुजरी। मोदी ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात कही तो वह भी कांग्रेसियों के गले नहीं उतरी। विडंबना देखिए, अब कांग्रेसी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही फॉलो करते नजर आ रहे हैं। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों के विरोध में दिल्ली महिला कांग्रेस ने प्रदर्शन किया तो उन्होंने पीएम की ही रचनात्मकता का अनुसरण किया। एक जगह सड़क के बीच रसोई सजाकर पकौड़े तले तो दूसरी जगह थाली बजाकर अपनी बात कही। खुद की रचनात्मकता के तौर पर कांग्रेसियों ने बैलगाड़ी का वही फार्मूला दोहराया जो सालों से चला आ रहा है। मतलब, रचनात्मकता में भी नयापन नहीं और झंडा उठाए रहते हैं विरोध का। हालांकि एक साथ एक सौ से अधिक जगहों पर प्रदर्शन के लिए महिला कांग्रेस बधाई की भी पात्र है।
नहीं छूट रही आदत
कांग्रेस में आपसी गुटबाजी और हर मुददे को लेकर आलाकमान को चिटठी लिखकर शिकायत करने की प्रवृत्ति अब नई पीढ़ी के नेताओं की भी आदत बनती जा रही है। फिर वह चाहे राष्ट्रीय स्तर पर हो या प्रदेश स्तर पर और चाहे युवा कांग्रेस के स्तर पर। हाल ही में दिल्ली युवा कांग्रेस के चुनाव संपन्न हुए तो यहां भी विरोध के स्वर उठने लगे। युवा कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पार्टी नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर चुनाव में धांधली की बात कही है। कहीं विजयी पदाधिकारियों की उम्र पर सवाल उठाया गया है और कहीं वोट डालने वालों के वोटर आइ कार्ड न होने पर। भारतीय युवा कांग्रेस की भूमिका भी कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बावजूद कार्रवाई और सुधार करने का आग्रह भी किया गया है। कांग्रेसियों की इस पुरानी आदत को बदलना जरूरी है। कई बार बदलाव अच्छा होता है।
चिड़िया उड़ाकर बचा रहे अपना सियासी वजूद
दिल्ली नगर निगम का चुनाव अब बहुत दूर नहीं रह गया है। अप्रैल 2020 में होने वाले इन चुनावों में आठ- नौ माह ही बचे हैं। लिहाजा, वरिष्ठ कांग्रेसियों का पार्टी की स्थिति को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है। जिस तरह प्रदेश इकाई में चलाचली की बेला चल रही है, उसे देखते हुए पार्टी को मजबूत करना तो दूर की बात, अधिकांश नेताओं को अपना सियासी वजूद बनाए रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं लगता। दिल्ली वासी कांग्रेस की बात न सुनना चाहते हैं, न करना चाहते हैं। किसी गतिविधि में उनका जुड़ाव नजर नहीं आता। ऐसे में सियासी वजूद बनाए रखने के लिए नेताओं को इंटरनेट मीडिया ही एकमात्र सहारा नजर आता है। बहुत से पुराने कांग्रेसी आए दिन कोई न कोई टवीट करते रहते हैं तो कुछ समर्थकों के मार्फत फेसबुक पर अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं। कुछ मीडिया के जरिये भी स्वयं को जिंदा रखते हैं।