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जानिए दक्षिणी नगर निगम लैंडफिल साइट का कब तक कर लेगा स्थायी समाधान, क्या है निगम की फुलप्रफ योजना

सब कुछ ठीकठाक रहा तो आने वाले नौ माह बाद लैंडफिल पर कूड़ा डलना पूरी तरह से बंद हो जाएगा। इसके लिए निगम तेहखंड में कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाने जा रहा है। इस प्लांट की क्षमता 2000 टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण की होगी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 12:16 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 12:16 PM (IST)
जानिए दक्षिणी नगर निगम लैंडफिल साइट का कब तक कर लेगा स्थायी समाधान, क्या है निगम की फुलप्रफ योजना
कू़ड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगेगा, नौ माह बाद नहीं पड़ेगा ओखला लैंडफिल पर कूड़ा

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। राजधानी को स्वच्छ बनाने के साथ ही लैंडफिल साइट का स्थायी समाधान करने के लिए दक्षिणी निगम तेजी से कदम बढ़ा रहा है। सब कुछ ठीकठाक रहा तो आने वाले नौ माह बाद लैंडफिल पर कूड़ा डलना पूरी तरह से बंद हो जाएगा। इसके लिए निगम तेहखंड में कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाने जा रहा है। इस प्लांट की क्षमता 2000 टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण की होगी। इसके चालू होने के बाद ओखला लैंडफिल साइट पर पर कूड़ा डलना पूरी तरह बंद हो जाएगा।

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वहीं, 100 फीसद कूड़े का निस्तारण करने वाला यह राजधानी का पहला निगम भी बन जाएगा। दरअसल, दक्षिणी निगम क्षेत्र में फिलहाल 3600 कूड़ा प्रतिदिन निकलता हैं। इसमें से 300 टन कूड़े की खाद बना दी जाती है तो वहीं 1650 टन कूड़े का बिजली बनाने में उपयोग होता है। करीब 1700 टन कूड़ा प्रतिदिन लैंडफिल साइट पर डाला जाता है। नगर निगम की कोशिश है कि 1700 टन प्रतिदिन कूड़े के निस्तारण के लिए कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाया जाए। इसके लिए निगम गंभीरता से कार्य कर रहा है। जून 2022 तक यह प्लांट लग जाएगा। इसका लाभ यह होगा कि जब सारा कूड़ा निस्तारित हो जाएगा तो लैंडफिल की ऊंचाई को घटाने में मदद मिलेगी।

प्लांट लगते ही तेजी से घटने लगेगी ऊंचाई

वर्ष 2023 तक दक्षिणी निगम की कोशिश है कि ओखला लैंडफिल को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। इसके लिए निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती आ रही है कि लैंडफिल पर अभी नया कूड़ा डल रहा है। अगर, नगर निगम प्रतिदिन 5500 टन पुराने कूड़े का निस्तारण ट्रामल मशीनों के माध्यम से करता है तो 2000 टन प्रतिदिन करीब नया कूड़ा डल जाता है। रोज नया कूड़ा डाले जाने से नगर निगम की मेहनत का सकारात्मक परिणाम नहीं आ रहा है। वहीं, नया कूड़ा डालने की वजह से निगम को ट्रामल मशीनें स्थापित करने के लिए जगह लैंडफिल पर नहीं मिल पा रही है। ऐसे में जब कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लग जाएगा तो सारा कूड़ा निस्तारित हो जाएगा।

इससे नया कूड़ा डलना बंद होगा तो निगम की इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा। प्रतिदिन डलने वाले कूड़े की वजह से नगर निगम लैंडफिल के 80 फीसद हिस्से का उपयोग ट्रकों की आवाजाही के उपयोग करता है। दक्षिणी निगम 32 एकड़ में दिल्ली-एनसीआर की पहली आधुनिक लैंडफिल बनाने जा रहा है। यह लैंडफिल भी वर्ष 2022 में निगम को मिल जाएगी। इस लैंडफिल का उपयोग कूड़ा डालने के लिए नहीं होगा, बल्कि कूड़े से बिजली बनाने में जो राख डलती है उसको ही यहां डाला जाएगा। किसी भी सूरत में यहां पर गैर निस्तारित कूड़े को नहीं डाला जाएगा।


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