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हरियाणा के करतार और अवतार बंधुओं का यूपी समेत 4 राज्यों में है राजनीतिक रसूख

फरीदाबाद के रहने वाले करतार और अवतार चुनाव लड़ने के लिए अब तक हरियाणाराजस्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक पहुंच चुके हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो भड़ाना बंधुओं को कभी सफलता नहीं मिली मगर उत्तर प्रदेश में दोनों ही अब तक तीन चुनाव जीत चुके हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 07:41 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 07:41 AM (IST)
हरियाणा के करतार और अवतार बंधुओं का यूपी समेत 4 राज्यों में है राजनीतिक रसूख
जानिये- कैसे हरियाणा के करतार और अवतार बंधुओं का यूपी समेत 4 राज्यों में है राजनीतिक रसूख

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय लोक दल में शामिल हुए चार बार के पूर्व सांसद अवतार भड़ाना और फिलहाल भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय उनके बड़े भाई करतार भड़ाना दल बदलकर चुनाव की जमीन तैयार करने में माहिर खिलाड़ी हैं। मूलत: फरीदाबाद के रहने वाले ये दोनों भाई चुनाव लड़ने के लिए अब तक हरियाणा,राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक पहुंच चुके हैं। अपने गृह राज्य से दूर राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो भड़ाना बंधुओं को कभी सफलता नहीं मिली मगर उत्तर प्रदेश में दोनों ही अब तक तीन चुनाव जीत चुके हैं। भड़ाना बंधुओं को राजनीतिक सफर भी कमोबेश कर्नाटक के बेल्लारी में चर्चित रेड्डी बंधुओं जैसा ही है। इन दोनों भाइयों ने भी फरीदाबाद की अरावली की पहाड़ियों में खनन कारोबार की अकूत कमाई से राजनीतिक वजूद तैयार किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में अवतार भड़ाना ने कांग्रेस के टिकट पर फरीदाबाद और उनके बड़े भाई करतार भड़ाना ने मध्यप्रदेश के मुरैना से बसपा के टिकट पर भाग्य आजमाया था। दोनों ही भाजपा के दिग्गज नेताओं से रिकार्ड मतों से हार गए।

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चौधरी देवीलाल की मेहरबानी से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

1987-88 में जब खनन कार्य से भड़ाना बंधुओं की कमाई को कोई ओर-छोर नहीं था तो बड़े भाई करतार भड़ाना ने घर में राजनीतिक ताकत लाने के लिए प्रयास शुरू किए। बताते हैं कि करतार ने अपने आर्थिक प्रयासों से छोटे और लाड़ले भाई अवतार को तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के मंत्रिमंडल में बिना विधायक ही छह माह के लिए मंत्री बनवा दिया। मंत्रालय भी शहरी स्थानीय निकाय का अवतार को तब ऐसा मिला कि देवीलाल मंत्रिमंडल के मंत्री और विधायक देखते रह गए थे। छह माह बाद अवतार मंत्री तो नहीं रहे मगर उन्होंने वे इसके बाद चुनावी पृष्ठभूमि में आए गए।

अवतार ने पहला ही चुनाव गुर्जर नेता राजेश पायलट के सामने लड़ा

राजनीति में किस तरह सफलता की सीढ़ी चढ़ी जा सकती हैं और किस तरह चर्चित हो सकते हैं। इसकी जानकारी भड़ाना बंधुओं को खूब है। अवतार ने 1989 में पहला लोकसभा चुनाव निर्दलीय राजस्थान के दौसा से कांग्रेस में तत्कालीन दिग्गज नेता राजेश पायलट के सामने लड़ा। इस चुनाव में अवतार को हार मिली मगर तब ये गुर्जर बिरादरी में खूब चर्चित हो गए थे। स्वर्गीय पायलट के बेटे सचिन पायलट के खिलाफ अवतार के बड़े भाई करतार भड़ाना ने हरियाणा मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। करतार को भी सचिन के सामने निराशा ही हाथ लगी।

बंसीलाल की सरकार गिराने में निभाई थी अहम भूमिका

1994 में अवतार भड़ाना की तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल से बिगड़ गई तो भड़ाना बंधुओं का खनन कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया। अवतार के बड़े भाई करतार भड़ाना ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत 1996 से की थी। इससे पहले वे केवल खनन का कार्य संभालते थे। पर्दे के पीछे रहकर अपने लाड़ले अवतार को चुनाव लड़वाते थे। कहते हैं कि अवतार को गुर्जरों का बड़ा नेता बनाने की रणनीति उनके बड़े भाई की ही थी। हालांकि अब दोनों भाईयों के कारोबार अलग हैं। आपसी समन्वय भी पहले के मुकाबले काफी कम है। करतार ने 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल के नेतृत्व वाली हरियाणा विकास पार्टी से अपने गृह जिला से दूर पानीपत के समालखा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1999 में जब बंसीलाल के विधायकों में भगदड़ मची तो करतार ने हविपा से अलग हुए विधायकों की एक अलग पार्टी बना ली और बाद में ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी में इसका विलय कर दिया। इससे बंसीलाल की सरकार गिर गई। चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुए करतार दो बार राज्य में मंत्री बने।

भड़ाना बंधुओं को राजनीतिक दलों से नाता

करतार भड़ाना

वर्ष, दल, चुनाव क्षेत्र, जीत-हार

1996,हविपा, समालखा विधानसभा, पानीपत, हरियाणा, जीत

2000, इनेलो, समालखा विधानसभा, पानीपत, हरियाणा,जीत

2004, भाजपा, दौसा लोकसभा, राजस्थान, हार

2005, भाजपा, सोहना विधानसभा, हरियाणा,हार

2009, बसपा, बड़खल विधानसभा, फरीदाबाद, हरियाणा, हार

2012, रालोद, खतौली विधानसभा, उत्तर प्रदेश, जीत

2014, रालोद, कैराना लोकसभा, उत्तर प्रदेश, हार

2017, रालोद, बागपत विधानसभा, उत्तर प्रदेश, हार

2019,बसपा, मुरैना लोकसभा, मध्यप्रदेश, हार

अवतार भड़ाना 

1988,लोकदल, विधायक बने बिना ही छह माह के लिए हरियाणा में राज्य मंत्री 

1989, निर्दलीय, दौसा लोकसभा, राजस्थान, हार

1991, कांग्रेस, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, जीत

1996, कांग्रेस, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, हार

1998, समाजवादी पार्टी, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, हार

1999, कांग्रेस, मेरठ लोकसभा, उत्तर प्रदेश, जीत

2004, कांग्रेस, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, जीत

2009,कांग्रेस, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, जीत

2014,कांग्रेस, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, हार

2015, इनेलो में शामिल हुए

2017, भाजपा, मीरापुर विधानसभा, उत्तर प्रदेश, जीत

2019, कांग्रेस, फरीदाबाद लोकसभा, हरियाणा, हार

 करोड़ों की है चल-अचल संपत्ति

दोनों भाईयों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दर्ज कराया है। चुनाव आयोग में जमा दोनों भाईयों की निजी संपत्ति के ब्योरे की तुलना से यह अवश्य साफ हो रहा है कि करतार भड़ाना के पास अवतार से ज्यादा संपत्ति है।


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