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Delhi Water News Update: बूंद-बूंद मोती सहेजकर दिल्ली बन सकती है पानी में आत्मनिर्भर

Delhi Water News Update देशभर में जल संग्रहण के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए अभियान के तहत दिल्ली में तीन लाख 27 हजार 218 वर्षा जल संग्रहण संयंत्र बनाने का लक्ष्य दिया गया है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 02:29 PM (IST)
Delhi Water News Update: बूंद-बूंद मोती सहेजकर दिल्ली बन सकती है पानी में आत्मनिर्भर
जल संग्रहण की योजनाओं पर गंभीरता से पालन किया जाए तो दिल्ली पानी के मामले में आत्मनिर्भर हो सकती है।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। पानी अनमोल है। इसकी एक-एक बूंद सहेज कर हम अपना कल सुखद बना सकते हैं। वर्षा जल संग्रहण और पुराने जल स्त्रोतों के पुनर्जीवन के लिए जल बोर्ड ने कुछ पहल भी की है। फिर भी मानसून में बारिश के पानी का ज्यादातर हिस्सा बर्बाद हो जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि जल संग्रहण की योजनाओं पर गंभीरता व सख्ती से पालन किया जाए तो दिल्ली पानी के मामले में आत्मनिर्भर हो सकती है।

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जल संग्रहण संयंत्र लगाना जरूरी

देशभर में जल संग्रहण के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए अभियान के तहत दिल्ली में तीन लाख 27 हजार 218 वर्षा जल संग्रहण संयंत्र बनाने का लक्ष्य दिया गया है। मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में हर साल 0.20 मीटर भूजल स्तर गिर रहा है। इसका कारण अत्यधिक भूजल दोहन है। दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाकों में तो भूजल स्तर 62 मीटर से भी नीचे है। इसलिए भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए जल संग्रहण संयंत्र लगाना जरूरी है। दिल्ली में हर साल औसतन 611.8 मिलीमीटर बारिश होती है। इसमें से 533.1 मिलीमीटर बारिश मानसून के दौरान होती है। इससे 175 एमसीएम (मिलियन क्यूसेक मीटर) पानी का भंडारण किया जा सकता है। इसके अलावा मानसून में यमुना में 282 एमसीएम अतिरिक्त पानी उपलब्ध होता है। इसलिए कुल 457 एमसीएम पानी संग्रहण के लिए उपलब्ध होता है। बाढ़ के पानी को भाटी माइंस में ले जाकर संग्रहित किया जा सकता है। इसके अलावा बारिश के पानी के संग्रहण के लिए दिल्ली 824.50 किलोमीटर के इलाके में स्थित मकानों में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था करने की बात कही गई है। इस योजना पर करीब 2206 करोड़ खर्च आ सकता है।

31 मार्च के बाद कार्रवाई

जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर सरकारी भवनों में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की जा चुकी है। 200 वर्ग मीटर से अधिक भूखंड में बने भवनों में वर्षा जल संग्रहण संयंत्र बनाने के लिए 31 मार्च तक समय दिया गया है। इसके बाद कार्रवाई की जा सकती है। कोआपरेटिव सोसायटियों व आरडब्ल्यूए को आर्थिक मददवर्षा जल संग्रहण संयंत्र के लिए कोआपरेटिव सोसायटियों व आरडब्ल्यूए को 50 हजार रुपये तक आर्थिक मदद दी जाएगी। इससे उम्मीद है कि वर्षा जल संग्रहण बढ़ेगा। गैर सरकारी संगठन तपस के संयोजक वीके जैन ने कहा कि वर्ष 2001 में दिल्ली हाई कोर्ट ने फ्लाईओवर और सभी बड़े भवनों में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था करने को कहा था। लेकिन, अमल की रफ्तार बहुत सुस्त रही। जल संग्रहण की योजनाओं पर प्रमुखता से काम करने की जरूरत है। यमुना भी प्राकृतिक भूजल रिचार्ज का बहुत बड़ा स्त्रोत है। इसलिए यमुना खादर से अतिक्रमण हटाकर जल संग्रहण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। वैसे भी पानी की समस्या हर जगह बढ़ रही है। इसलिए अपने स्त्रोतों के संरक्षण पर ध्यान देना होगा।

  • दिल्ली में भूजल रिचार्ज के लिए चिह्नित क्षेत्रफल- 824.50 किलोमीटर
  • रिचार्ज शेफ्ट बनाने की दरकार- 22,706
  • वर्षा जल संग्रहण संयंत्र बनाने की जरूरत- 3,04,500
  • चेक डैम बनने चाहिए - 12

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