Surya Grahan 2021: जानिये- सूर्य ग्रहण की डेट, टाइमिंग और ग्रहण के समय राहु और केतु की स्थिति
Surya Grahan 2021 हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2021 को दूसरा सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर 2021 कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा। इससे पहले 10 जून 2021 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। 7 अक्टूबर से नवरात्र के साथ जहां त्योहारी सीजन की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान दीवाली, छठ, करवा चौथ, गोबरधन पूजा और भैया दूज समेत दर्जनभर त्योहार मनाए जाएंगे। इस बीच दिसंबर महीने में साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2021 को दूसरा सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर 2021, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा। इससे पहले 10 जून 2021 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था। ज्योतिषियों की मानें तो कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही लगने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव मेष से लेकर मीन राशि तक यानी सभी 12 राशियों पर पड़ता है।
साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को लगा था। ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्य ग्रहण का प्रभाव मेष से लेकर मीन राशि तक सभी 12 राशियों पर पड़ता है। सूर्य ग्रहण का राहु और केतु से गहरा संबंध है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने देवताओं को क्षीर सागर का मंथन करने के लिए कहा तो इसमें राक्षस भी शामिल हो गए। इस दौरान इस मंथन से निकले अमृत का पान करने के लिए कहा गया। इस दौरान भगवान विष्णु ने देवताओं को सतर्क किया था कि गलती से भी अमृत असुर न पीने पाएं। यह सुनकर एक असुर देवताओं के बीच भेष बदल कर बैठ गया। इस दौरान यानी अमृत पान कराने के दौरान चंद्र और सूर्य इस असुर को पहचान गए इसकी जानकारी भगवान शिव को दी गई। असुर अमृत पान कर चुका था और अमृत गले तक ही पहुंचा था। इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से असुर का सिर अलग कर दिया। अमृत गले से नीच नहीं उतरा था, जिससे उसका सिर अमर हो गया। इस तरह सिर राहु बना और धड़ केतु के रूप में अमर हो गया। कालांतर में राहु और केतु को चंद्रमा और पृथ्वी की छाया के नीचे स्थान मिला। ऐसी मान्यता है कि तभी से राहु, सूर्य और चंद्र से द्वेष की भावना रखते हैं, जिससे सूर्य ग्रहण पड़ता है।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या होता है सूतक काल
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पूर्ण सूर्य या फिर चंद्र ग्रहण की स्थिति में ही सूतक काल मान्य होता है। सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं, इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। गर्भवती महिलाओं का सूतक काल में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान बना खाना भी नहीं खाया जाता है।
यह भी पढ़ेंः ट्रेन में सफर के दौरान यात्रियों को होगा खुशनुमा एहसास, दिखेंगे खूबसूरत नजारे
कब होता है सूर्य ग्रहण
विज्ञान के मुताबिक, जब जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, वह स्थिति सूर्य ग्रहण की होती है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से अपने पीछे ढंकते हुए उसे पृथ्वी तक पहुंचने से रोक लेता है। ऐसी स्थिति में रोशनी के नहीं पड़ने पर पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है। इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
Food & Recipe News: बनाने के साथ चटखारे लेकर खाएं और खिलाएं नीम के पकौड़े, नोट करें रेसिपी