AAP में फिर विश्वास का संकट, जानें- कैसे जुड़ा केजरीवाल से 'चंदा गुप्ता' का लिंक
एक सप्ताह के भीतर आम आदमी पार्टी (AAP) के दो बड़े नेताओं (आशुतोष-आशीष खेतान) के इस्तीफों से पार्टी में भूचाल आ गया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। एक सप्ताह के भीतर आम आदमी पार्टी (AAP) के दो बड़े नेताओं (आशुतोष-आशीष खेतान) के इस्तीफों से पार्टी में भूचाल आ गया है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब लोगों ने पार्टी को अलविदा कहा है, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 विधानसभा चुनाव से पहले इसे एक बड़े मुद्दे के तौर पर देखा जा रहा है। हैरानी की बात है कि दोनों ने राजनीतिक उपेक्षा के चलते ही इस्तीफा दिया है, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसकी लगातार अनदेखी करता दिखाई दे रहा है। इस बीच AAP के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और हासिये पर चल रहे कुमार विश्वास ने बेहद तीखा तंज कसा है और वह भी सीधे अरविंद केजरीवाल पर। उन्होंने आशीष खेतान के AAP से इस्तीफे पर ट्वीट करके तीखा प्रतिक्रिया के साथ तंज कसा है- 'हम तो चंद्र गुप्त बनाने निकले थे, हमें क्या पता था चंदा गुप्ता बन जाएगा।' पूरा ट्वीट कुछ इस तरह है-'सब साथ चले, सब उत्सुक थे, तुमको आसन तक लाने में। कुल सफल हुए निर्वीर्य तुम्हें यह राजनीति समझाने में। इस आत्मप्रवंचित बौनों का दरबार बनाकर क्या पाया। जो शिलालेख बनता उसको अखबार बनाकर क्या पाया। एक और आत्मसमर्पित कुर्बानी। हम तो चंद्र गुप्त बनाने निकले थे, हमें क्या पता था चंदा गुप्ता बन जाएगा।'
यह भी गौर करने वाली बात है कि अब तक AAP से जितने भी नेता अलग हुए उन्होंने सीधा अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप तक लगा है। पंजाब में बगावत पर उतरे नेता भी दिल्ली नेतृत्व पर निशाना साध रहे हैं। जहां पार्टी से अलग हुए लोग पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं वहीं पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि हर पार्टी में कुछ न कुछ लोग किसी वजह से नाराज होते ही हैं।
ऐसा नहीं है कि यह स्थिति सिर्फ दिल्ली में है, खासकर पंजाब में हालात तेजी से खराब हो रहे हैं। हाल ही में विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से सुखपाल सिंह खैरा को हटाने के बाद कुछ बागी नेताओं ने अपनी अलग पीएसी बनाने का एलान किया है। इससे पहले खैहरा पहले भी बगावत का झंडा उठा चुके हैं। उनके साथ कंवर संधू सहित 8 विधायक होने का दावा किया जा रहा है।
बता दें कि खोजी पत्रकार के रूप में पहचान बनाने वाले आशीष खेतान ने 2013 में AAP से नाता जोड़ा था। वह अरविंद केजरीवाल के करीबी साथियों में माने जाते रहे हैं, इसीलिए उन्हें दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। सूत्रों के मुताबिक खेतान पिछले कुछ दिनों से पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। ऐसा कहा जा रहा है कि वह फिर से नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे, जबकि केजरीवाल यहां से किसी पंजाबी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाना चाह रहे हैं। इसी लोकसभा क्षेत्र से खेतान ने 2014 में भी चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा की मीनाक्षी लेखी से 1.6 लाख मतों से हार गए थे।
उल्लेखनीय है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इसी वर्ष अप्रैल में दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त नौ सलाहकारों की नियुक्ति रद कर दी थी। इसके बाद खेतान ने दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। उस समय भी वकालत करने और बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराए जाने को ही इस्तीफे का कारण बताया गया था।
पढ़ें- इस्तीफे पर क्या दी आशीष खेतान ने प्रतिक्रिया
एक पत्रकार हूं और हमेशा खुद को एक नागरिक के तौर पर व्यस्त रखकर अच्छा महसूस करता हूं। इसी उद्देश्य के साथ समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए मैं पहले राजनीति में आया और फिर दिल्ली सरकार का हिस्सा बना। गत दो वर्षों से मैं लगातार इस संशय में था और खुद से सवाल कर रहा था कि मैं निर्वाचित राजनीति में आगे बने रहना चाहता हूं या नहीं। मैंने अपने करीबी दोस्तों व परिजनों से लगातार इस संबंध में चर्चा करने के बाद इस वर्ष की शुरुआत में तय किया कि मैं अब सक्रिय राजनीति में नहीं रहूंगा। हालांकि, पार्टी व सरकार के काफी समय से एक के बाद एक कई गंभीर मुद्दों पर घिरे होने के कारण मैं लंबे समय से अपने फैसले को औपचारिक रूप से घोषित करने के लिए मौके का इंतजार कर रहा था। मैंने अपने फैसले के संबंध में पार्टी नेतृत्व को पहले भी बता दिया था। यही वजह है कि मैंने अपनी वकालत दोबारा से नियमित शुरू करने के लिए अप्रैल में ही दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन छोड़ दिया था। मैंने यह निर्णय आम जन के हित में लिया है और इसे आगे भी जारी रखूंगा। मैं वकालत करने के साथ ही अपने लेखन में वापसी करूंगा। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली सरकार को कई अधिकार दिए हैं और इससे पार्टी की ताकत बढ़ेगी। पार्टी व निर्वाचित राजनीति से अलग होने का और इसे किसी और दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। मुङो पार्टी व कार्यकताओं से सिर्फ प्यार और सम्मान मिला है और मैं इसके लिए सभी का शुक्रगुजार हूं। जैसा कि अफवाह है कि मेरा यह निर्णय किसी सीट के लिए है तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसा कुछ नहीं है। पार्टी ने मुङो आगामी लोकसभा चुनाव में लड़ने के लिए कहा था, लेकिन मैंने इससे इन्कार किया है। अगला चुनाव लड़ना मुङो फिर से राजनीति की दुनिया में लेकर जाएगा और मैं इस समय ऐसा नहीं चाहता। मैं अपने सभी पूर्व पार्टी साथियों को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं। भारत प्रगति के रास्ते पर है और मैं अपनी तरह से इसमें अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करता रहूंगा।