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योग गुरु पवन विदेश में जाकर लहरा रहे भारत का परचम, सीएम भी कर चुके हैं सम्मानित

21 वर्षीय पवन का यह सपना है कि आने वाले समय में भारत का हर व्यक्ति स्वस्थ हो और जो पैसा सरकार का स्वास्थ्य में लगता है वह देश के विकास में लगाया जाए। पांच सितंबर 2018 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पवन को सम्मानित किया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:32 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:32 PM (IST)
योग गुरु पवन विदेश में जाकर लहरा रहे भारत का परचम, सीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
न्यू अशोक नगर निवासी पवन सिंह की फाइल फोटोः जागरण

नई दिल्ली [रितु राणा]। छोटी सी उम्र में ही न्यू अशोक नगर निवासी पवन सिंह ने योग के क्षेत्र में विश्व रिकॉर्ड बनाकर आसमान की ऊंचाईयां छू ली हैं। अतंरराष्ट्रीय योग गुरु की उपाधि से सम्मानित पवन अब विदेश में जाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। 2018 में पवन सिंह ने मयूरासन में एक मिनट 32 सेकेंड का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया था। इस उपलब्धि के लिए पवन सिंह को कई देशों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें अमेरिका, इंग्लैंड, यूएई, पाकिस्तान आदि देश शामिल हैं। इस वर्ष लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज हो चुका है।

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21 वर्षीय पवन का यह सपना है कि आने वाले समय में भारत का हर व्यक्ति स्वस्थ हो और जो पैसा सरकार का स्वास्थ्य में लगता है वह देश के विकास में लगाया जाए। पांच सितंबर 2018 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पवन को प्लेनेट बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। पवन सिंह ने अब तक समाज सेवा, प्रतियोगिताओं एवं शिक्षा के क्षेत्र में 100 से अधिक प्रमाण पत्र व कई पुरस्कार भी हासिल कर लिए हैं। पवन सिंह कहते हैं कि वह बचपन में अपने चाचा योगाचार्य डॉ. अनिल कुमार शास्त्री के साथ योग किया करते थे। किसी को क्या पता था कि आने वाले समय में वही योग उन्हें विश्व प्रसिद्धि दिला देगा। पवन सिंह के पिता ओमबीर सिंह ने बताया कि उनके लिए यह बड़े ही गर्व की बात है कि उनका बेटा आज विदेश में जाकर लोगों को योगा सिखा रहा है।

पवन दिसंबर 2019 में वेस्टर्न योग सीखने के उद्देश्य से वियतनाम चले गए थे और वहां पर वह अब विदेशी लोगों को भारतीय योग सिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व को भारत ने ही योग दिया लेकिन आज भारत योग में पिछड़ गया है। उन्होंने देखा कि विदेशी लोग योग को रोचक बनाने के लिए काफी अलग अलग तरीके अपनाते हैं। अभी वह 15 तरह की योग कक्षाएं ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन चीजों को सीखकर वह अपने देश में वापस आकर दूसरे लोगों को भी सिखाएंगे। वह वियतनाम में मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर में बतौर प्रोफेशनल योग प्रशिक्षक योग सिखाना चाहते हैं। पवन वियतनाम जाने से पहले युवा कार्यक्रम व खेल मंत्रालय में राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं। 

इन ऊंचाईयों तक पहुंचने के लिए बड़ी कठिनाईयों से गुजरे पवन

पवन सिंह बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह 2018 में पुदुच्चेरी जाकर योग में लाइव परफॉर्मेंस करके पहला विश्व रिकॉर्ड बनाने से चूक गए थे। उन्होंने उन संगठनों से सहायता भी मांगी थी, जिन संगठनों के साथ कई वर्षों काम किया लेकिन उनसे भी कोई मदद नहीं मिली। उसी समय उन्हें दिल्ली राज्य का प्रथम पद का पुरस्कार मिला था। जिसमें उन्हें कुछ नगद पैसा भी प्राप्त हुआ था। परंतु वह इतना कम था कि वह उस पैसों से वहां जा भी नहीं सकते थे। उस समय यह जज्बा था कि कहीं से भी सिर्फ जाने के पैसों का प्रबंध हो जाए और वह अपना विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर ले। लेकिन वह पैसों की व्यवस्था नहीं कर पाए।

इस निराशा के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी तभी हैदराबाद व तमिलनाडु के कुछ व्यक्तियों द्वारा कुछ सहायता मिली और आखिरकार उन्होंने विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर ही लिया। फिर इंग्लैंड की के संगठन वर्ल्ड रिकॉर्ड सर्टिफिकेशन की टीम की सहायता से उन्होंने वहां भी अपना नाम दर्ज करा दिया। वह कठिन परिश्रम करते गए और अपना नाम विश्व प्रसिद्ध कई संगठनों व पुस्तकों में पंजीकृत करा दिया। पवन सिंह कहते हैं कि कठिन परिस्थिति का नाम ही कामयाबी है। अपने जीवनकाल में कभी भी किसी भी व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए।

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