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जानिए- कैसे 'कृष्ण' और 'अवतार' के बीच लड़ाई को और रोचक बना रहे जयहिंद

फरीदाबाद जिले की छह विधानसभा सीटों पर जहां शहरी मतदाताओं का बाहुल्य है वहीं पलवल जिले की तीन विधानसभा सीटें ग्रामीण बाहुल्य हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 11:35 AM (IST)
जानिए- कैसे 'कृष्ण' और 'अवतार' के बीच लड़ाई को और रोचक बना रहे जयहिंद
जानिए- कैसे 'कृष्ण' और 'अवतार' के बीच लड़ाई को और रोचक बना रहे जयहिंद

फरीदाबाद [ सुशील भाटिया]। दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र, जिसमें आते हैं फरीदाबाद व पलवल दो जिले। उत्तरी छोर से राजधानी दिल्ली से सटा, दक्षिण दिशा में भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से सटा, पूर्व में यूपी का गौतमबुद्ध नगर-बुलंदशहर-जेवर से इसकी सीमाएं लगती हैं, तो पश्चिम में गुरु द्रोण की नगरी गुड़गांव से लगती सीमा वाले फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र में मोदी के सूरमा के रूप में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर मैदान में हैं। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अवतार सिंह भड़ाना, जो तीन बार फरीदाबाद से और एक बार मेरठ से लोकसभा में पहुंच चुके हैं। इन दोनों के बीच लड़ाई को तिकोना बनाने के लिए अाए आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक नवीन जयहिंद, जिन्हें इनेलो से टूट कर बनी जननायक जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी साथ मिल रहा है।

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AAP-जजपा का हरियाणा में गठबंधन है। इन दोनों के अलावा इनेलो के महेंद्र सिंह चौहान व बसपा की टिकट पर मनधीर मान हैं। फरीदाबाद जिले की छह विधानसभा सीटों पर जहां शहरी मतदाताओं का बाहुल्य है, वहीं पलवल जिले की तीन विधानसभा सीटें ग्रामीण बाहुल्य हैं। जातीय समीकरण में उलझी 2071851 मतदाताओं वाली यह सीट जाट व गुर्जर बाहुल्य है, पर पंजाबी, वैश्य व ब्राह्मण मतदाताओं के साथ-साथ पूर्वांचली, राजपूत व मुसलमान वोटर निर्णायक की भूमिका में होते हैं, इसके अलावा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, उत्तरांचल, बंगाल, महाराष्ट्र के मतदाताओं की अहम भूमिका होती है। चूंकि फरीदाबाद औद्योगिक नगरी भी है, इसलिए यहां देश के विभिन्न अन्य प्रदेशों के लोग भी निवास करते हैं, इनकी वजह से यहां की छवि लघु भारत जैसी दिखती है। भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी गुर्जर जाति से हैं, तो AAP प्रत्याशी नवीन ब्राह्मण हैं। इनेलो व बसपा ने जाट प्रत्याशी उतारे हैं।

मोदी फैक्टर के सहारे चुनावी नैया पार करने की जुगत में कृष्णपाल गुर्जर जातीय समीकरणों को दरकिनार भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर एक बार फिर मोदी फैक्टर के सहारे चुनावी वैतरणी को पार करने की जुगत में हैं। यह फैक्टर यहां काम भी कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक सुभाष अदलक्खा के अनुसार फरीदाबाद राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है। प्रदेश में भाजपा की मनोहर सरकार है। मोदी-मनोहर दोनों का कार्यकाल साफ रहा है, सत्ता विरोधी यहां कोई बात नहीं है, इसका सीधा फायदा कृष्णपाल गुर्जर को निश्चित रूप से मिलता दिख रहा है। कृष्णपाल प्रचार में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों से कहीं आगे निकल चुके हैं।

अवतार दे रहे टक्कर, पर देरी का उठाना पड़ सकता है खामियाजा

राजनीति की गहरी समझ रखने वाले यशपाल बताते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी अवतार निश्चित रूप से कृष्णपाल को टक्कर दे रहे हैं, पर पार्टी ने उन्हें देरी से मैदान में उतारा है। इस का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ सकता है, ऐसा दिख भी रहा है, क्योंकि अभी तक वो अपना प्रचार भी ठीक से नहीं कर पाए। यही वजह है कि बड़खल, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, एनआइटी विधानसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों में मोदी व कृष्णपाल के नाम की ही मतदाता माला जप रहे हैं। अपने विधायक की टिकट बदले जाने से निराश तिगांव के मतदाता खामोश हैं, तो पृथला में भाजपा का अच्छा संगठन व आगामी विधानसभा चुनाव के टिकटार्थी कृष्णपाल के लिए शिद्दत से काम कर रहे हैं। कांग्रेस का कोई संगठन न होने से नुकसान है। वहीं पलवल जिले में अवतार कांग्रेस के विधायकों करण दलाल व उदयभान के भरोसे हैं, दोनों का अवतार भड़ाना काे अच्छा साथ भी मिल रहा है। जबकि हथीन में मुस्लिम मतदाताओं के सहारे हैं।

रोचक ने बनाया मुकाबला राेचक

आम आदमी पार्टी के नवीन जयहिंद ब्राह्मण समुदाय से हैं और दिल्ली में केजरीवाल सरकार के शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख कर चुनावी मुकाबले को रोचक बनाए हैं। उनके प्रचार करने का तरीका भी दूसरों से जुदा है। कभी सड़क पर घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना, कभी घायल कबूतर की मदद करना और पलवल में जनसभा को बीच में छोड़ कर पास खेत में लगी आग बुझाने के लिए पहुंचने जैसे उनके अंदाज ने लोगों का ध्यान खींचा है।

जाट पशोपेश में

हैरत की बात तो जाटों के लिए है। इस वर्ग से दो जाट प्रत्याशी इनेलो के महेंद्र चौहान व बसपा के मनधीर मान हैं, पर 9 विधानसभाओं वाले लंबे चौड़े क्षेत्र में पहुंच भी नहीं पाए हैं। कॉडर बेस पार्टी इनेलो को कार्यकर्ताओं की टूट का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है, बहुत से युवा कार्यकर्ता जजपा में चले गए। यही हाल मान का है। ऐसे में चार लाख जाट मतदाता खुद मुश्किल में हैं कि जाएं किस ओर। वैसे आम धारणा रहती है कि संपूर्ण निर्णय के अभाव में ऐसे मतदाता जीतने वाले प्रत्याशी के साथ ही लग जाते हैं।

रामचंद्र बैंदा ने लहराया था पहली बार केसरिया

वर्ष 1977 में गुरुग्राम से अलग होकर पृथक संसदीय क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया फरीदाबाद के पहले सांसद धर्मवीर वशिष्ठ बने थे, बाद में इस सीट से मुस्लिम वर्ग से सांसद बनते रहे। वर्ष 1996 में जाट समुदाय के भाजपा प्रत्याशी चौधरी रामचंद बैंदा ने यह सीट जीत कर पहली बार केसरिया फहराया और उसके बाद 1998 व 99 में भी लगातार चुनाव जीत कर हैट्रिक चौधरी का खिताब पाया। उससे पहले 1991 में कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना ने 268965 वोट लेकर जनता दल के खुर्शीद अहमद को शिकस्त देते हुए लोकसभा पहुंचे थे, तब भाजपा को ब्रह्म सिंह तंवर के रूप में दिल्ली से प्रत्याशी आयात करना पड़ा था।

राजनीति के पीएचडी भजन लाल भी रह चुके हैं यहां से सांसद हरियाणा की राजनीति के पीएचडी कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल भी फरीदाबाद सीट से सांसद रह चुके हैं। वर्ष 1989 में हुए चुनाव में कांग्रेस के भजन लाल ने 404646 वोट लेकर जनता दल के खुर्शीद अहमद को 131227 वोटों से हराया था।

2014 के चुनाव में कृष्णपाल ने अवतार को दी थी करारी शिकस्त

पिछले चुनाव में भी भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर व कांग्रेस के अवतार भड़ाना के बीच आमने-सामने की टक्कर थी, पर मोदी की सुनामी में फरीदाबाद से तीन बार के सांसद अवतार टिक नहीं पाए थे और मात्र 185643 वोट ही ले पाए थे। बोलचाल में बेहद सौम्य स्वभाव वाले कृष्णपाल गुर्जर ने रिकार्ड 652516 वोट लिए थे और जीत का अंतर रहा था 466873 वोटों का। कृष्णपाल का लोकसभा के लिए यह पहला चुनाव था। रिकार्ड मतों से जीतने का इनाम कृष्णपाल को मोदी मंत्रीमंडल में जगह मिलने के रूप में मिला था। कृष्णपाल फरीदाबाद के ऐसे पहले सांसद बने, जिन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया हो। कृष्णपाल इससे पहले 1996 में हविपा-भाजपा की सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री बंसीलाल की सरकार में परिवहन मंत्री बने थे।

9 विधानसभा सीटें हैं फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में

फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र में फरीदाबाद जिले की छह विधानसभा सीटें फरीदाबाद, बड़खल, एनआइटी, बल्लभगढ़, तिगांव व पृथला और पलवल जिले की तीन पलवल, होडल व हथीन सीटें आती हैं। इस क्षेत्र में 2071851 मतदाता हैं, जिनमें 1142942 पुरुष व 928872 महिला मतदाता और 37 ट्रांस जेंडर मतदाता हैं।  वर्ष 2014 में मतदाताओं की संख्या 1521726 थी, जिनमें 1130932 वोट डाले गए थे। 

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