डीकम्प्रेशन सर्जरी से गर्दन में जमे पस को बाहर निकाला
अफगानिस्तान के रहने वाले आरिफ रेजाया (50) के गर्दन के नीचे शरीर का बांया हिस्सा पूरी तरह से पैरालाइज्ड हो चुका था। उनकी गर्दन में 150 एमएल से भी अधिक पस जम गई थी।
नोएडा (जेएनएन)। सेक्टर-128 स्थित जेपी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने रेयर स्पाइनल पैरासिटिक संक्रमण से पीड़ित शख्स की सफल सर्जरी करने के बारे में जानकारी दी। अस्पताल में सीनियर कन्सलटेंट न्यूरोसर्जरी डॉ.राकेश सिन्हा ने बताया अफगानिस्तान के रहने वाले आरिफ रेजाया (50) के गर्दन के नीचे शरीर का बांया हिस्सा पूरी तरह से पैरालाइज्ड हो चुका था। उनकी गर्दन में 150 एमएल से भी अधिक पस जम गई थी।
अफगानिस्तान और भारत के कई अस्पताल में दिखाने के बाद भी उन्हें कोई आराम नहीं मिला। इसपर आरिफ एक साल पहले जेपी हॉस्पिटल पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने जब उनकी जांच की तो पता चला उन्हें हायडेटिड है। टेपवर्म के कारण उनकी गर्दन और रीढ़ में बहुत ज्यादा संक्रमण फैला रहा है। अगर जल्द ही इसका इलाज न किया गया तो मरीज की जान भी जा सकती है।
पस के कारण मरीज की गर्दन में सूजन आ गई थी। जिससे मरीज को बहुत ज्यादा दर्द होता था। जांच के बाद उन्हें स्पाइनल कोर्ड डीकम्प्रेशन एंव फिक्सेशन सर्जरी की सलाह दी। डॉक्टर ने बताया पहले गर्दन में जमी पस को निकाला गया। इसके बाद मेज स्पाइन सर्जरी की गई, जिसमें संक्रमित हड्डी को निकाल दिया गया और इसकी जगह मरीज की अपनी पेल्विक बोन का ग्राफ्ट लगाया गया।
सर्जरी के बाद सरवाइकल स्पाइन को अपनी जगह पर रखने के लिए रिजिड इम्मोबिलाइजेशन-हेलो वेस्ट लगाया गया। एक महीने तक मरीज की नली में ट्रैकियोस्टोमी ट्यूब लगाकर रखी गई। ताकि वह आराम से सांस ले सके। जिससे सर्जरी सफल रही।
इसके बाद मरीज न सिर्फ चल सकता है बल्कि अपनी गर्दन को आम इंसान की तरह अपनी गर्दन को हिला भी सकता है। सफल सर्जरी के लिए आरिफ रेजाया ने मरीज ने डॉक्टरों को धन्यवाद दिया।