यूपीः आज भी सहम जाते हैं उन्मादी हिंसा में घायल समीउद्दीन, डर से छोड़ दिया घर
शारीरिक रूप से समीउद्दीन अपने को ठीक मान रहे हैं, लेकिन इस घटना से उनके दिलोदिमाग में दहशत बन गई है। इसके चलते वह आजकल अपने एक रिश्तेदार के पास गाजियाबाद में रह रहे हैं।
नई दिल्ली/हापुड़/पिलखुवा (जेएनएन)। 18 जून की सुबह को याद कर 65 वर्षीय समीउद्दीन आज भी कांप उठाते हैं। लोगों का हुजूम उनपर टूट पड़ा था। चारों ओर बस एक ही आवाज थी मारो मारो। बचने नहीं चाहिए। सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उन्हें पूरी उम्मीद है। 18 जून को हापुड़ जिले के पिलखुवा थाना अंतर्गत बझेड़ा खुर्द गांव में हुई उन्मादी हिंसा को समीउद्दीन आज भी नहीं भूल पाए हैं। बताते हैं कि वह अपने गांव मदापुर से बङोड़ा खुर्द गांव पहुंचे थे। उसी वक्त सद्दीकपुरा कॉलोनी निवासी उनका दोस्त कासिम पहुंच गया। तभी बझेड़ा खुर्द गांव निवासी दर्जनों लोग मौके पर पहुंचे और समीउद्दीन एवं कासिम पर हमला बोल दिया। लोगों ने बेरहमी से पीटते हुए कासिम की हत्या कर दी। समीउद्दीन घायल हो गए थे। उनका करीब डेढ़ माह हापुड़ के निजी अस्पताल में इलाज चला। शारीरिक रूप से समीउद्दीन अपने को ठीक मान रहे हैं, लेकिन इस घटना से उनके दिलोदिमाग में दहशत बन गई है। इसके चलते वह आजकल अपने एक रिश्तेदार के पास गाजियाबाद में रह रहे हैं।
हापुड़ लिंचिंग में उप्र सरकार को नोटिस
हापुड़ लिंचिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। मेरठ के पुलिस महानिरीक्षक (आइजीपी) को मामले की जांच करने और दो हफ्ते में रिपोर्ट देने को भी कहा गया है। हापुड़ में गोहत्या के संदेह में कथित भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग) में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। हिंसा में घायल हुए समीउद्दीन ने अदालत में याचिका लगाते हुए मामले की एसआइटी जांच कराने और सुनवाई राज्य के बाहर सुनिश्चित करने की अपील की है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने समीउद्दीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल रहे। पीठ ने हापुड़ जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को जीवित बचे पीड़ित को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
अदालत में 64 वर्षीय समीउद्दीन की ओर से पेश वकील ने बताया कि 18 जून को हुई इस घटना में समीउद्दीन और मांस व्यापारी कासिम कुरैशी पर गोहत्या के संदेह में कुछ लोगों ने हमला कर दिया। बाद में कुरैशी की मौत हो गई। हापुड़ पुलिस ने इस मामले में भीड़ की हिंसा के बजाय रोड रेज का मामला दर्ज किया है। वकील ने अपनी दलील के समर्थन में अदालत के समक्ष सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक मिनट का वीडियो भी पेश किया। याचिका में मुख्य आरोपित युधिष्ठिर सिंह सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों को मिली जमानत रद करने की अपील भी की गई है।
जमानत रद कराएगी पुलिस
हापुड़ में कथित भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग) के मामले में आरोपितों के जमानत पर छूटने व उनका वीडियो वायरल होने के मामले को डीजीपी मुख्यालय ने गंभीरता से लिया है। डीआइजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार का कहना है कि पुलिस मुख्य आरोपित सहित अन्य की जमानत रद कराएगी। अधिकारियों का कहना है कि मामले में जो अन्य धाराएं बढ़ रही होंगी, उनकी बढ़ोतरी करायी जाएगी।