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11 मौतों का रहस्य सुलझाएगी 'तकनीक', एक-एक सच उगलेगा ललित का दिमाग

विश्व के तमाम देशों में आत्महत्या से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए साइकोलॉजिकल अटॉप्सी का सहारा लिया जाता है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 01:57 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 02:00 PM (IST)
11 मौतों का रहस्य सुलझाएगी 'तकनीक', एक-एक सच उगलेगा ललित का दिमाग
11 मौतों का रहस्य सुलझाएगी 'तकनीक', एक-एक सच उगलेगा ललित का दिमाग

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश की राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इनके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि सभी 11 लोगों ने आमहत्या की है। वहीं, जांच में जुटी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच किसी भी पहलू को छोड़ना नहीं चाहती है। यही वजह है कि फांसीकांड के खुलासे के लिए दिल्ली पुलिस ने अब साइकोलॉजिकल अटॉप्सी कराने का फैसला लिया है। विश्व के तमाम देशों में आत्महत्या से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए साइकोलॉजिकल अटॉप्सी का सहारा लिया जाता है। 

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गौरतलब है कि चिकित्सा की दुनिया में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी एक चर्चित शब्द और विधि है। कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में भी साइकोलॉजिकल अटॉप्सी की मदद से मौत के कारणों की जांच-पड़ताल की गई थी।

कैसे होती है साइकोलॉजिकल अटॉप्सी
साइकोलॉजिकल अटॉप्सी विधि में जान गंवाने वाले शख्स से जुड़े हर पहलू का अध्ययन किया जाता है। मसलन मौत की तिथि के आस-पास उसके बात-व्यवहार और व्यक्तित्व को समझने का प्रयास किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आत्महत्या के मामलों में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी काफी मददगार साबित होती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, साइकोलॉजिकल अटॉप्सी के तहत यह पता लगाया जाता है कि जान गंवाने वाले शख्स का व्यक्तित्व कैसा था? व्यवहार कैसा था? दूसरों के प्रति उसका कैसा रुख था? परिवार के प्रति उसकी क्या भावना थी व आचरण क्या था। और हां मौत से पहले किन लोगों से उसने क्या बात की थी। इस सबको आधार बनाकर मृतक के जीवन के हर पहलू को जानने-समझने का प्रयास किया जाता है। पुलिस की मानें तो बुराड़ी में 11 मौतों के मामले में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी मददगार साबित हो सकती है क्योंकि इसमें 11 रजिस्टर मिले हैं, जिनमें मोक्ष, अनुष्ठान, अध्यात्म, भगवान आदि से जुड़ी बातें लिखी हैं।

एक बाबा का था घर आना-जाना
एक स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि ललित के घर के आगे से गुजरने पर अक्सर उनकी नजर एक बाबा पर पड़ती थी जो उसके घर आते-जाते थे। क्राइम ब्रांच को भी इस तरह की जानकारी मिली है। लिहाजा क्राइम ब्रांच को भी उस बाबा की तलाश है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि ललित के घर से न तो कोई धार्मिक ग्रंथ मिला है और न ही आध्यात्मिक किताबें। सिर्फ हनुमान चालीसा व गायत्री मंत्र की किताब मिली है।

नारायण देवी ढोलक बजाती थीं
क्राइम ब्रांच का कहना है कि ललित व उसके परिवार के सभी सदस्य धार्मिक प्रवृत्ति के थे। निरंतर पूजा पाठ करते थे। रात में खाना खाने के बाद सोने से पहले घर के सभी सदस्य एक जगह बैठकर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पढ़ते थे। घर की बुजुर्ग महिला नारायण देवी भी खूब पूजा-पाठ करती थीं। बुराड़ी व उसके आसपास होने वाले हर सत्संग में वह जरूर भाग लेती थीं और उसमें ढोलक बजाती थीं।

खुले कोचिंग सेंटर
बुराड़ी स्थित संत नगर में हुई सामूहिक खुदकशी की घटना के बाद लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। इसके साथ-साथ घटनास्थल के आसपास के कोचिंग सेंटरों में आने वाले विद्यार्थी भी इस घटना से काफी प्रभावित हुए हैं। लोगों की भीड़ व पुलिस जांच के कारण तीन दिन तक आसपास के अधिकतर कोचिंग सेंटर बंद रहे। हालांकि अब अधिकतर कोचिंग सेंटर खुल गए हैं। लेकिन, लोगों में अब भी इसकी चर्चा हो रही है।

फांसी लगाने के लिए दुपट्टा दुकान से खरीदकर लाए थे
बुराड़ी के संत नगर में फंदा लगाने में इस्तेमाल दुपट्टा भी ललित के परिजन बाजार से खरीदकर लाए थे। क्राइम ब्रांच को इस बात की जानकारी मिली है। साथ ही घर से मिले रजिस्टर में भी इस बात का जिक्र है कि विशेष साधना के सातवें दिन 30 जून की आधी रात बरगद की जटाओं की तरह फंदे पर लटकने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल किया जाए। पुलिस के अनुसार जो 10 लोग फंदे से लटके हुए मिले थे उनमें से अधिकतर ने अलग-अलग रंग के नए दुपट्टे व कुछ ने टेलीफोन के तार का इस्तेमाल किया था। ऐसे में क्राइम ब्रांच यह मान रही है कि ये दुपट्टे घर के आसपास के किसी कपड़े की दुकान से खरीदे गए।

बृहस्पतिवार को क्राइम ब्रांच की टीम ने सुबह से शाम तक कपड़े की दुकान ढूंढने की कोशिश की, लेकिन पता नहीं लग पाया। इससे पहले बुधवार को क्राइम ब्रांच को संत नगर की गली नंबर 2 में लगे तीन सीसीटीवी कैमरों की फुटेज मिलने से यह साफ हो गया कि किसी ने घर में घुसकर 11 लोगों की हत्या नहीं की बल्कि ललित के अंधविश्वास में पड़कर परिवार के सदस्यों ने खुद फंदे पर लटककर जान दी थी।

फंदे पर लटकने के लिए सभी ने मिल जुलकर सामान जुटाए थे। 30 जून की शाम से लेकर 1 जुलाई की सुबह तक की सीसीटीवी फुटेज में भुवनेश की पत्नी श्वेता व उसकी छोटी बेटी नीतू घटना वाली रात 10.20 बजे उसी गली के अंतिम छोर पर स्थित फर्नीचर की दुकान से चार प्लास्टिक के स्टूल खरीदकर घर आती दिख रही हैं।

दूसरी फुटेज में ललित का बेटा शिवम दुकान के पास से ही टेलीफोन का तार निकालकर घर ले जाता दिख रहा है और तीसरे में दोनों भाई भुवनेश व ललित अपनी-अपनी दुकानें बंद कर टेलीफोन के तार व सुतली लेकर घर जाते दिख रहे हैं। क्राइम ब्रांच का कहना है कि हो सकता है घटना वाले दिन सुबह से ही ललित व उसके परिजन फंदे पर लटकने व पूजा की क्रियाओं में इस्तेमाल सामान को जुटाने में लगे थे।

घटना वाली रात 10:57 बजे ललित पालतू टॉमी को घुमाने पहली मंजिल से नीचे आया था। 1 जुलाई को सुबह 5:35 बजे एक डिलीवरी वैन आई थी, जो दूध, ब्रेड व अन्य सामान ललित की दुकान के बाहर उतारने के बाद चली गई थी। इसके सात मिनट बाद सामने रहने वाले गुरवचन सिंह जब दुकान के पास आए तो उन्होंने देखा कि कई लोग सामान लेने दुकान के पास खड़े थे। 6:15 बजे जब वह पहली मंजिल पर ललित को बुलाने गए तो 10 लोगों को फंदे से लटका हुआ देखकर उनके होश उड़ गए। वह तुरंत चिल्लाते हुए नीचे आए और लोगों को घटना से अवगत कराया।


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