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पाकिस्तान में भी है 'बहावलपुर' जानने के लिए पढ़ें खबर, क्या है भारत से इसका रिश्ता

दिल्ली के सिकंदरा रोड-भगवानदास रोड पर बहावलपुर हाउस है, जहां एनएसडी है। पाकिस्तान के बहावलपुर शहर व बहावलपुर हाउस का संबंध इस लिहाज से है कि वहां के राजा ने इसका निर्माण करवाया था।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 11:02 AM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 07:50 AM (IST)
पाकिस्तान में भी है 'बहावलपुर' जानने के लिए पढ़ें खबर, क्या है भारत से इसका रिश्ता
पाकिस्तान में भी है 'बहावलपुर' जानने के लिए पढ़ें खबर, क्या है भारत से इसका रिश्ता

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के पंजाब सूबे का एक शहर है बहावलपुर। इसे राजे-रजवाड़ों का शहर भी माना जाता है। दिल्ली के सिकंदरा रोड-भगवानदास रोड पर भी बहावलपुर हाउस है, जहां नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (National School of Drama) है। बहावलपुर शहर और बहावलपुर हाउस का संबंध इस लिहाज से है कि वहां के राजा ने इसका निर्माण करवाया था। देश की राजधानी दिल्ली बनने के बाद गोरी सरकार ने रियासतों के आग्रह पर 29 रियासतों को राजधानी के प्रमुख क्षेत्रों में भूमि आवंटित की, उसी समय बहावलपुर बना। देश को आजादी मिलने के कुछ सालों बाद तक यहां अमेरिकन पुस्तकालय भी रहा।

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स्वामित्व को लेकर रहा विवाद

सिंकंदरा रोड पर ही है जींद हाउस। जींद एक जमाने में पंजाब की प्रमुख रियासत हुआ करती थी। 1966 के बाद यह हरियाणा का हिस्सा बना। लेडी इरविन कॉलेज के लगभग सामने ही है जींद हाउस। इसके स्वामित्व को लेकर विवाद भी रहे हैं। कहते हैं कि इस पर दिल्ली के एक बड़े असरदार शख्स ने कब्जा भी जमा लिया था। हालांकि बाद में जींद हाउस पर उसके मूल स्वामियों का कब्जा हो गया। इसके गेट हमेशा बंद ही रहते हैं। अब इसमें कौन रहता है किसी को मालूम नहीं है। ये बताना जरूरी है कि संयुक्त पंजाब के दौर में कपूरथला, पटियाला, नाभा और जींद के राज परिवार सिख थे। संयोग से इन राज परिवारों ने भी यहां अपने हाउस बनाए। कपूरथला हाउस मान सिंह रोड पर है, जबकि पटियाला हाउस तिलक मार्ग पर इंडिया गेट के ठीक आगे है। वहीं नाभा हाउस की बात करें तो यह कस्तूरबा गांधी मार्ग पर है, जो काफी छोटा है। आप इसे पुराने सेंटर प्वाइंट होटल के लगभग आगे मान सकते हैं। इसके गेट के अंदर जाने के बाद एक पार्किंग क्षेत्र है। फिर आता है नाभा हाउस। इसके कुछ हिस्से में नाभा का राज परिवार रहता है और कुछ में दफ्तर भी चलते हैं।

26, अलीपुर में रहते थे आंबेडकर
भगवान दास रोड टिहरी गढ़वाल हाउस है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इसे टिहरी के राज परिवार ने बनवाया होगा। इस पर अब भी राज परिवार का कब्जा है। इसमें लंबे समय तक टिहरी के राजा और सांसद मानवेंद्र शाह रहते रहे। 2007 में उनकी मृत्यु के बाद अब उनका परिवार यहां रह रहा है। इसी तरह मान सिंह रोड पर स्थित है दरभंगा हाउस, जो 1928 में बना था। इसी तरह 26 अलीपुर रोड सिरोही हाउस कहलाता था।

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने यहां पत्नी के साथ गुजारे पांच साल
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने पंडित नेहरू की कैबिनेट से 31 अक्टूबर, 1951 को इस्तीफा दे दिया और अगले ही दिन 26, अलीपुर रोड के बंगले में आ गए। आप जब आइएसबीटी के रास्ते सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन की तरफ बढ़ते हैं तो सड़क के दाहिनी तरफ एक बंगले के बाहर बाबा साहब आंबेडकर स्मारक का बोर्ड दिखाई देता है। अपनी जिंदगी के अंतिम पांच वर्ष बाबा साहब ने अलीपुर रोड पर ही अपनी पत्नी सविता जी के साथ गुजारे थे। दिल्ली क्रिकेट की काशी यानी फिरोजशाह कोटला से ज्यादा दूर नहीं है पटौदी हाउस। यह जन्म स्थान है भारत के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी के पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी का। पटौदी हाउस बहुत भव्य नहीं है। देश के विभाजन के बाद पटौदी हाउस के आसपास बहुत से पंजाबी शरणार्थी परिवार आकर रहने लगे।

(विवेक शुक्ला, लेखक व साहित्यकार)


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