Kargil War: कैप्टन वीरेंद्र सिंह ने PAK सैनिकों के ऐसे छुड़ाए थे छक्के, उतार दिया था मौत के घाट
कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात रहे कैप्टन वीरेंद्र सिंह ने दुश्मनों की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब पाक सैनिकों को खदेड़ दिया था।
नई दिल्ली[भगवान झा]। चारो तरफ बर्फ ही बर्फ। अंधेरी रात में बढ़ते कदम और उस पर से दुश्मन देश के फौज की गोलीबारी। कई जवानों की शहादत देखी फिर भी हौसला कमजोर नहीं हुआ। कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात रहे कैप्टन वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि दुश्मनों की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए द्रास सेक्टर में जब भारतीय सेना ने चोटियों पर कब्जा कर लिया तो पहले की सभी मुश्किलें आसान नजर आने लगी। कैप्टन वीरेंद्र सिंह 22आरआर (राष्ट्रीय रायफल्स) में बी कंपनी में तैनात थे। इनकी कंपनी का काम सेना को कवर देना था।
वीरेंद्र सिंह उस समय को याद करते हुए बताते हैं कि दुश्मन चोटी पर कब्जा जमाए थे। जिधर भी नजर जाती उधर बर्फ ही बर्फ और दुश्मन की फौज। ऐसे में अगर दिन में चोटी की चढ़ाई करते तो हमारे सैनिक आसानी से दुश्मन की नजर में आ जाते और वे गोलीबारी शुरू कर देते। इस खतरे को भांप हमने रात में ही चोटी पर चढ़ाई करने का फैसला किया। हालात ऐसे थे कि अंधेरे में भी एक-एक कदम पर मौत दस्तक दे रही थी। बीच-बीच में दुश्मन गोलीबारी भी शुरू कर देते थे।
इधर हमारे जवान भी दुश्मन सेना को मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे। हमारे लिए सबसे ज्यादा चुनौती का काम घायल सैनिकों को अस्पताल पहुंचाने का था। कई बार तो ऐसा हुआ कि जब हम घायल सैनिकों को अस्पताल पहुंचाने की तैयारी करते थे तभी दुश्मन गोलीबारी शुरू कर देते थे। इस दौरान हमने भी बहादुरी का परिचय दिया था और कई दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया था।
जब हम लोग चोटी पर पहुंचे तो दुश्मनों की ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी गई थी। फिर क्या था, हमारे सैनिक भी उन पर कहर बनकर टूट पड़े और उन्हें मौत के घाट उतार दिया। जब सुबह होती थी तो बर्फ हटाकर मोर्चा बनाते थे और पूरे दिन उसी में गुजारते थे। बर्फ के बीच पूरे दिन बिताना किसी चुनौती से कम नहीं था। पीने के लिए पानी और चाय बर्फ को पिघलाकर ही बनाते थे।
करीब सात से आठ दिनों तक हमलोगों को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। काफी कठिनाइयां थी, लेकिन मां भारती की रक्षा के लिए यह परेशानी कुछ भी नहीं थी। जिस दिन हमने द्रास सेक्टर की चोटी पर कब्जा किया उस दिन हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था। हम सभी एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे।
हर गतिविधि पर रहती थी दुश्मनों की नजर
कैप्टन वीरेंद्र सिंह ने बताया कि दुश्मन चोटी पर कब्जा जमाए बैठे थे। ऐसे में हमारी हर गतिविधि की जानकारी उनको मिलती रहती थी। दिन में हमारे लिए किसी भी प्रकार की गतिविधि संभव नहीं थी। रात में अंधेरे के कारण परेशानी हो रही थी। साथ ही लगातार बर्फ भी गिर रहे थे। लेकिन इसके बाद भी हमारे उत्साह में कमी नहीं थी और हमने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया था।
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