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जानें- हरजिंदर को क्यों कहते हैं 'दिल्ली की सड़कों का फरिश्ता', लोगों के लिए बने मिसाल

76 वर्षीय हरजिंदर सिंह ने दुर्घटना के शिकार लोगों की जान बचाने के मकसद से अपने ऑटो को ऑटो एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है। वह मुफ्त में लोगों को दवाइयां उपलब्ध कराते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 02:59 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 08:23 AM (IST)
जानें- हरजिंदर को क्यों कहते हैं 'दिल्ली की सड़कों का फरिश्ता', लोगों के लिए बने मिसाल
जानें- हरजिंदर को क्यों कहते हैं 'दिल्ली की सड़कों का फरिश्ता', लोगों के लिए बने मिसाल

नई दिल्ली, जेएनएन। आज के भौतिकवादी युग में जहां इंसान ही इंसान का दुश्मन बना हुआ है और रोज ही मानवीय संवेदनाओं के मरने की खबरें आती हैं। ऐसे में दिल्ली के रहने वाले 76 वर्षीय हरजिंदर सिंह (Auto Driver Harzinder Singh) उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। सड़क दुर्घटना या फिर किसी को मुसीबत में देखकर लोग जब वीडियो बना रहे होते हैं, तो वहीं हरजिंदर सिंह उस घायल को प्राथमिक उपचार देने में जुट जाते हैं। 

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यह भी कम हैरानी की बात नहीं है कि जिस उम्र में लोग जीवन का अंतिम बेला मानकर जिंदगी को बोझ मानकर जीने लगते हैं, वहीं हरजिंदर जिंदादिली की मिसाल पेश करते हुए रोजाना अपना ऑटो एंबुलेंस (auto ambulance) लेकर घर से निकल जाते हैं और सड़क पर घायलों की मदद करते हैं। कुछ लोग उन्हें दिल्ली का फरिश्ता तक कहकर पुकारते हैं। 

दरअसल, 76 वर्षीय हरजिंदर सिंह ने दुर्घटना के शिकार लोगों की जान बचाने के मकसद से अपने ऑटो को ऑटो एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है। वह अपने ऑटो एंबुलेंस के जरिये न केवल घायल को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराते हैं, बल्कि गंभीर हालत में सड़क दुर्घटना पीड़ित को अस्पताल भी पहुंचाते हैं। इतना ही दुर्घटना के शिकार शख्स को अस्पताल ले जाकर ये सुनिश्चित भी करते हैं कि उसको पूरा इलाज मिले और उसकी जान बचाई जा सके। गौरतलब है कि पूर्व में यातायात अधीक्षक रह चुके हरजिंदर सिंह फिलहाल दिल्ली के एक ऑटो चालक हैं और सड़क पर घायल लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी।

रोज एक मरीज की बचाते हैं 'जान'

बुजुर्ग हरजिंदर का कहना है कि वे अपने ऑटो एबुलेंस के जरिये सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को मुफ्त में इलाज उपलब्ध कराते थे। वह कहते हैं- 'दुर्घटनाग्रस्त पीड़ित को मैं अस्पताल पहुंचाता हूं, ताकि उस शख्स की जिंदगी बचाई जा सके। औसतन मैं रोजाना एक दुर्घटना पीड़ित की मदद करता हूं।' 

मिली जानकारी के मुताबिक, दक्षिणी दिल्ली की सड़कों पर हरजिंदर सिंह अपने ऑटो-कम-एम्बुलेंस के जरिये कई बार दुर्घटना के शिकार लोगों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया है और पीड़ित की जान बचाई है।  

हरजिंदर की मानें तो कई बार उन्होंने अतिरिक्त समय देकर देकर काम किया, जिससे लोगों की मदद की जा सके और दवाइयों के लिए पैसे जुटाए जा सकें।

वह कहते हैं- 'यातायात अक्षीक्षक रहने के दौरान मैंने सड़क पर गुजरते समय पाया कि बहुत से ऐसे दुर्घटना पीड़ित होते हैं, जिन्हें तत्काल मदद की दरकार होती है, लेकिन उन्हें यह मदद मिल नहीं पाती। उस दौरान मैंने ठान लिया था कि ऐसे लोगों की मदद के लिए कुछ करूंगा। अपने इसी मकसद को पूरा करने के लिए एक ऑटो रिक्शा खरीदा फिर मैंने इस तरह का काम करने का इरादा किया।'

अब वह रोजाना अपना काम खत्म करने के बाद दुर्घटना संभावित इलाकों में निकल जाते हैं और लोगों की मदद करते हैं। उन्होंने इस काम से कभी मुंह नहीं मोड़ा, जब से उन्होंने ऑटो एंबुलेंस की शुरुआत की है। उन्होंने दुर्घटना से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग तक ली है।

हरजिंदर बताते हैं, 'शुरुआत में उनके पास मेडिसिन बॉक्स तक नहीं था और न ही मैं जानता था कि कैसे इसे इस्तेमाल करते हैं और यह मिलता कहां से है? ऐसे में मैंने एक छोटा कोर्स किया कि कैसे मेडिसिन को आपात स्थिति (emergency situations) में इस्तेमाल किया जाता है।' फिलहाल उनके मेडिसन बॉक्स को दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं, क्योंकि लोग उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। वह मुफ्त में शुगर पीड़ित को दवाइयां भी उपलब्ध कराते हैं, जो भी उनसे मांगता है।

वह बेहद भावुक अंदाज में कहते हैं- 'किसी की मदद करने का अहसास अद्भुत होता है। ज्यादातर मामलों में सड़क हादसों में घायल लोगों की जान चली जाती है, क्योंकि उन्हें समय रहते मदद नहीं मिल पाती। लोगों को आगे आना चाहिए,जिससे किसी की जान बचाई जा सके।

यहां पर यह बताना जरूरी है कि दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) सरकार भी दुर्घटना में घायल व्यक्ति के फ्री इलाज की घोषणा कर चुकी है। इसके साथ ही ये घोषणा भी की है कि जो भी व्यक्ति दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाएगा उसको सरकार की तरफ से 2000 रुपये का इनाम दिया जाएगा।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि सड़क दुर्घटना के शिकार घायलों की मदद करने वालों को परेशान नहीं किया जाएगा। इसके बाद लोगों में इस तरह की भावना बनी है और लोग मदद करते भी हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या में इजाफा होना भी जरूरी है। 

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