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जानिये- दिल्ली का सबसे पुराना पेट्रोल पंप कौन सा है? किस वर्ष में हुआ चालू

ग्रेटर कैलाश में सेंटर हाफ पंप का स्वामित्व अजितपाल सिंह के पास है। वे 1975 में विश्व कप जीती भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। वे सेंटर हाफ की पोजिशन पर खेलते थे।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 02:53 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 02:57 PM (IST)
जानिये- दिल्ली का सबसे पुराना पेट्रोल पंप कौन सा है? किस वर्ष में हुआ चालू
जानिये- दिल्ली का सबसे पुराना पेट्रोल पंप कौन सा है? किस वर्ष में हुआ चालू

नई दिल्ली। देश में हर दिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम लोगों के गर्मी में और पसीने छुड़ा रहे हैं। हर कोई तेल पर चर्चा कर रहा है। अपनी कार या बाइक को कम चलाने की कोशिश कर रहा है। चलो इस किचकिच और तेल के तनाव के बीच आपको दिल्ली के सबसे पुराने पेट्रोल पंप के बारे जानकारी देते हैं। क्या आपने आज कनॉट प्लेस के किसी पेट्रोल पंप से अपनी कार या बाइक में पेट्रोल भरवाया है? अगर हां तो समझ लीजिए कि आपने राजधानी के सबसे पुराने पेट्रोल पंप से पेट्रोल लिया है। यहां के लगभग सभी पंप सन् 1940 के आसपास चालू हो गए थे।

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अगर सबसे पुराने पंप की बात करें वो जनपथ पर मॉडर्न सर्विस स्टेशन है। ये सन् 1935 के आसपास स्थापित हो गया था। यहां से गोरों की कारों का पेट्रोल भरता था। दरअसल उस दौर में राजधानी कनॉट प्लेस के आसपास ही तो सिमटी हुई थी। ग्रामीण इलाकों में शायद ही किसी के पास कार होती हो। कनॉट प्लेस के अधिकतर पंपों को गौर से देखेंगे तो समझ आ जाएगा कि इन्हें स्थापित हुए एक अरसा गुजर गया है।

इन पंपों का माहौल गुजरे दौर की यादें ताजा करता है। इधर कर्मी भी आमतौर पर बुजुर्ग हैं। सबने अपनी जिंदगी के 30-35 साल इधर गुजार दिए हैं। इन्होंने एंबेसेडर और फिएट कारों के युग को देखा, मारुति-800 का एकछत्र राज देखा और अब रोज बाजार में आने वाली भांति-भांति की कारों को देख रहे हैं। इन्होंने स्कूटर से बाइक के युग को भी आते-जाते देखा है।

अब जरा कस्तूरबा गांधी मार्ग के कोने पर स्थित पेट्रोल पंप पर चलते हैं। ये सिंधिया हाउस पर है। यहां पर दो पेट्रोल डालने वाली पाइप लगी हैं। चूंकि ये इतनी छोटी जगह में बना है कि अधिकतर लोगों को तो मालूम ही नहीं चल पता है कि यहां भी कोई पेट्रोल पंप है। यहां पर कोई सर्विस स्टेशन भी नहीं है।

पेट्रोलियम सेक्टर के जानकार डॉ. सुधीर बिष्ट कहते हैं कि टॉलस्टाय मार्ग का पंप दिवार से सटा है। यहां पर भी एक साथ कई वाहनों में पेट्रोल डाले जाने की व्यवस्था नहीं है। ये सब पुराने पंप हैं। कनॉट प्लेस के पंपों में हेराफेरी नहीं होती। एक छोटे से पेट्रोल पंप को आप अब कनॉट प्लेस की उजाड़ हालत में खड़ी सुपर बाजार की इमारत के पीछे भी देख सकते हैं। नाम है राजधानी फीलिंग स्टेशन।

यहां भी दो ही पेट्रोल डालने वाली पाइप हैं। ये 1965 में चालू हुआ था। कनॉट प्लेस के आसपास लगभग दस पेट्रोल पंप होने चाहिए। इनमें अधिकतर में सीएनजी गैस नहीं मिलती क्योंकि इनके पास स्पेस ही नहीं है कि ये उसे भी बेच सकें। चूंकि बात राजधानी के पेट्रोल पंपों की हो रही है, तो यहां पर दो पेट्रोल पंप देश के चोटी के हॉकी खिलाडिय़ों के भी हैं।

ग्रेटर कैलाश में सेंटर हाफ पंप का स्वामित्व अजितपाल सिंह के पास है। वे 1975 में विश्व कप जीती भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। वे सेंटर हाफ की पोजिशन पर खेलते थे। इसलिए उन्होंने अपने पंप का नाम सेंटर हाफ रखा। इसी तरह से जनकपुरी में शेर पेट्रोल पंप भारत के बेहतरीन फुल बैक असलम शेर खान का है। वे भी विश्व कप विजयी टीम में थे। वे सांसद भी रहे।

इस बीच, प्रधानमंत्री आवास के आगे से गुजरने वाली रेस कोर्स रोड पर दो पंप हैं। अगर आप इंडिया गेट और पृथ्वीराज रोड से होते हुए इस सड़क पर आएं तो पहले पंप में सुबह का मंजर वास्तव में बहुत मनोरम होता है। इधर डेढ़-दो दर्जन बतख घूम रही होती हैं। इन सबको पंप के स्वामी ने ही पाला हुआ है। कभी-कभी मोर भी आकर बैठ जाते हैं।

प्रस्तुतिः विवेक शुक्ल (लेखक-पत्रकार)


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