तिहाड़ जेल का वीवीआइपी कल्चर चर्चा में, जानिये- 'चक्की' और 'फॉर्म हाउस' का राज
जेल सूत्रों की मानें तो वीवीआइपी कैदियों के लिए जेल अधीक्षक व उप अधीक्षक के कार्यालय हमेशा के लिए खुले रहते हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। तिहाड़ में हाई प्रोफाइल कैदियों के लिए विशेष इंतजाम की बात समय-समय पर सामने आती रहती है। पिछले दिनों ड्योढ़ी में नॉन वेज पार्टी की घटना के बाद तिहाड़ का वीवीआइपी कल्चर फिर से सुर्खियों में है। तिहाड़ के जेल नंबर एक की बात करें तो उसे पुलिस व जेल महकमे में कई लोग फार्म हाउस तक कहते हैं।
पढ़ें चक्की का राज
जेल की चक्की ऐसे लोगों को नसीब होती है जिनके पास धन व बल दोनों हो। चक्की में उनका पूरा ख्याल रखा जाता है। एक छोटे से कमरे में उन्हें अकेले रहने की छूट रहती है। साथ ही कमरे से सटा हुआ शौचालय भी होता है, जिससे उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो। जेल सूत्रों की मानें तो वीवीआइपी कैदियों के लिए जेल अधीक्षक व उप अधीक्षक के कार्यालय हमेशा के लिए खुले रहते हैं।
साधारण कैदी जहां अधिकारियों के कक्ष में पहुंचना तो दूर, झांक तक नहीं सकते, वहीं खास कैदी यहां बेरोकटोक पहुंचते हैं। अधिकारियों के कमरे में चल रहे टीवी व एसी का लुत्फ उठाते हैं। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि आम कैदी के परिजन जहां मुलाकाती कक्ष में ही अपनों से मिल पाते हैं, वहीं वीवीआइपी कैदी के परिजन अधिकारियों के कक्ष में बैठकर कभी भी अपने परिजनों से मिल सकते हैं।
शौचालय की सबसे अधिक फिक्र
सूत्रों का कहना है कि जेल में बंद वीवीआइपी कैदियों को सबसे अधिक दिक्कत शौचालय के इस्तेमाल को लेकर होती है। ऐसे कैदी अधिकारियों के कक्ष से सटे शौचालय का इस्तेमाल करते हैं।
मोबाइल की भी सुविधा
जेल परिसर में आमतौर पर अधिकारी दो जगह बैठते हैं। इनमें एक जगह ड्योढ़ी तो दूसरी जगह जेल के मुख्य परिसर के भीतर बना होता है। ड्योढ़ी में अधीक्षक का कार्यालय होता है। वहीं उप अधीक्षक व सहायक अधीक्षक का कार्यालय जेल परिसर के अंदर होता है। यहां अधिकारी अपने साथ मोबाइल रखते हैं। सूत्रों की मानें तो जरूरत पड़ने पर यहां बैठकर कैदी अपनों से बात करते हैं।