सीसीटीवी को लेकर सियासी जंग के बीच डरा रहे दिल्ली के ये डार्क स्पॉट
दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर घमासान मचा हुआ है। बुधवार को मुख्यमंत्री द्वारा लाइसेंस को लेकर किए गए ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने आपत्ति जताई है
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए विभिन्न इलाकों में 1.40 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर घमासान मच गया है। हालांकि, जानकारों के अनुसार सीसीटीवी कैमरों को लेकर दिल्ली में जो सियासत चल रही है, वो आम लोगों के लिए नुकसानदेह है। सीसीटीवी कैमरे लगने से दिल्ली की सड़कों पर सुरक्षा बढ़ेगी। सड़क पर होने वाले किसी अपराध के बाद अपराधी की पहचान करने और उसका पीछा करने में आसानी होगी। साथ ही दिल्ली की बदहाल यातायात व्यवस्था को भी सीसीटीवी के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। इतना ही नहीं सीसीटीवी रिकॉर्डिंग सड़क दुघर्टना या अन्य किसी अपराध में कोर्ट में महत्वपूर्ण साक्ष्य भी साबित हो सकती है।
पूर्वी और उत्तरी दिल्ली में हैं 7428 डार्क स्पॉट
केजरीवाल सरकार ने तीनों नगर निगम से अंधेरे वाली जगहों की सूची मांगी थी। इस पर पूर्वी और उत्तरी दिल्ली ने 7428 डार्क स्पॉट्स की सूची सरकार को मुहैया कराई है। ये वो डार्ट स्पॉट हैं जहां आपराधिक वारदातों का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। दक्षिणी निगम ने अपने क्षेत्रों के डार्क स्पॉट्स की सूची अब तक उपलब्ध नहीं कराई है। दिल्ली सरकार के मुताबिक पूर्वी दिल्ली में 124 और उत्तरी दिल्ली में 7304 जगहों पर डार्क स्पॉट्स को खत्म करने के लिए एलईडी लाइट लगाने का काम जल्द शुरू होगा। इसके लिए पूर्वी दिल्ली में 82 और उत्तरी दिल्ली में 3686 पोल लगाए जाएंगे। सरकार का दावा है कि पूर्वी इलाके में ये काम चार महीने और उत्तरी इलाकों में लाइट लगाने का काम 6 महीने में पूरा कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि पूरी दिल्ली में डार्क स्पॉट की संख्या 10 हजार से ज्यादा होगी।
40 मेट्रो स्टेशनों के नीचे हैं 70 डार्क स्पॉट
दिल्ली-एनसीआर में 40 से अधिक मेट्रो स्टेशनों के नीचे 70 से ज्यादा डार्क स्पॉट हैं। यह खुलासा दिसंबर, 2017 में डीएमआरसी के एक सर्वेक्षण में हुआ है। इनकी जानकारी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम के संबंधित विभाग को पत्र लिखकर दी गई है। डीएमआरसी ने पत्र में तुरंत इन डार्क स्पॉट को रोशन करने के लिए कहा है। कुछ जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की आवश्यकता भी महसूस की गई। ऐसी जगहों को चिन्हित कर मेट्रो स्टेशनों की एक सूची डीएमआरसी ने तैयार की है।
डार्क स्पॉट वाले कुछ मेट्रो स्टेशन
द्वारका सेक्टर-21, द्वारका सेक्टर-9, द्वारका सेक्टर-8, द्वारका सेक्टर-13, नवादा, टैगोर गार्डन, रमेश नगर, शादीपुर, यमुना बैंक, मयूर विहार-1, मयूर विहार एक्सटेंशन, न्यू अशोक नगर, नोएडा सेक्टर-15, नोएडा सेक्टर-18, बॉटनिकल गार्डन, कड़कड़डूमा और वैशाली।
दिल्ली पुलिस की पीसीआर भी कर रही सर्वे
दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम से संचालित होने वाली पीसीआर वैन भी अपने-अपने क्षेत्र में डार्क स्पॉट का सर्वे कर जानकारी जुटा रही है। सर्वे में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि कौन से मेट्रो स्टेशनों के आसपास रात के समय अधिक अपराध होता है। इन मेट्रो स्टेशनों की सूची तैयार करने के बाद पीसीआर की गाड़ी को वहां तैनात करने पर विचार किया जाएगा। इसके लिए बीते एक वर्ष में मेट्रो स्टेशन के पास हुई अपराधिक घटनाओं की जानकारी जुटाई जा रही है।
सीसीटीवी को लेकर शुरू हुई सियासत
राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। दिल्ली के पीड्ब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि 'दिल्ली में जो डार्क स्पॉट का सर्वे किया गया है उसमें नार्थ MCD और ईस्ट MCD ने NOC दे दिया है। इन सभी जगह लाइट लगाई जा रही हैं।' उन्होंने भाजपा शासित साउथ MCD पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए अब तक NOC न देने की बात कही है।
वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एलजी और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम फैसले लेते रहेंगे और वे अधिकारियों के माध्यम से काम नहीं होने देंगे। दिल्ली सचिवालय में प्रेसवार्ता में सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में इन दिनों उपराज्यपाल अपनी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अब दिल्ली सरकार सर्विसेज को लेकर फैसला लेगी, लेकिन इस पर केंद्र व एलजी मनमानी कर रहे हैं। अधिकारी योजनाओं को लागू नहीं करने दे रहे। सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर केंद्र और एलजी पर ट्वीट कर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि एलजी की ओर से गठित कमेटी ने निजी या सरकारी निकायों की ओर से सीसीटीवी कैमरे लगाने के दौरान पुलिस से अनिवार्य लाइसेंस-अनुमति लेने की सिफारिश की है। सभी मौजूदा सीसीटीवी को पुलिस लाइसेंस की भी आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस किस आधार पर लाइसेंस देगी, यह केवल रिश्वत को बढ़ावा देगा।
मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री से की मुलाकात
सर्विसेज को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के साथ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुलाकात की। मुलाकात के बाद केजरीवाल ने बताया था कि केंद्रीय गृह मंत्री ने मुलाकात के दौरान सकारात्मक रुख दिखाया। साथ ही फिर से 16 जुलाई को मुलाकात के लिए बुलाया है। केजरीवाल ने कहा कि यदि इस मामले में सकारात्मक रुख नहीं आता तो कोर्ट ही अंतिम रास्ता होगा।
बता दें कि बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि उपराज्यपाल की ओर से गठित कमेटी में सुझाव दिया गया है कि कैमरा चाहे प्राइवेट कंपनी लगाए अथवा सरकार, उन्हें दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग विभाग से अनुमति लेनी होगी। अभी दिल्ली में जितने कैमरे लगे हैं उसके लिए भी पुलिस से लाइसेंस लेने की जरूरत है। ट्वीट में यह भी लिखा है कि 21वीं सदी में यह लाइसेंस राज की पराकाष्ठा है और ऐसा दुनिया में कहीं नहीं है। मुख्यमंत्री के इस ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने आपत्ति जताई है।
मुख्यमंत्री के ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने जताई आपत्ति
मुख्यमंत्री के उस ट्वीट पर कमेटी में शामिल दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभी कमेटी ने जो सुझाव दिया है वह ड्राफ्ट स्टेज पर है। ड्राफ्ट में लाइसेंस लेने संबंधी कोई जिक्र नहीं है। सिर्फ सूचना देने के लिए पंजीकरण कराने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। कमेटी के सदस्य का कहना है कि अभी इस पर अंतिम निर्णय भी नहीं लिया गया है, केवल राय मांगी गई है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि आंध्र प्रदेश में 2013 से सीसीटीवी कैमरे को लेकर कानून लागू है। वहां के सभी स्कूलों, कॉलेजों व धार्मिक स्थलों समेत सभी भीड़भाड़ वाली जगहों व पार्किंग में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है। सरकार की ओर से ऐसा निर्देश है। इसलिए ऐसा कहना गलत है कि दुनिया में कैमरे को लेकर कहीं भी कानून नहीं है।