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16 दिसंबर की वो काली रात: 'बहन जी' कहकर बस में बैठाया फिर लूट ली थी अस्मत

अवनींद्र से 20 रुपये किराया वसूलने के बाद एक आरोपित ने उससे कहा कि वह इतनी रात को लड़की को लेकर कहां जा रहा है। इसी बात पर बहस शुरू हो गई।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 06:46 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 10:49 AM (IST)
16 दिसंबर की वो काली रात: 'बहन जी' कहकर बस में बैठाया फिर लूट ली थी अस्मत
16 दिसंबर की वो काली रात: 'बहन जी' कहकर बस में बैठाया फिर लूट ली थी अस्मत

नई दिल्ली (जेएनएन)। 16 दिसंबर 2012, रविवार का दिन। उस दिन शाम को साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में 'लाइफ ऑफ पाई' फिल्म देखने के बाद 23 वर्षीय फिजियोथेरेपिस्ट छात्रा और उसका दोस्त अवनींद्र ऑटो से रात 9 बजे मुनिरका आए। दोनों बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रहे थे। रात 9.15 बजे आइआइटी की तरफ से सफेद रंग की चार्टर्ड बस आकर रुकी। बस में आगे के शीशे के ऊपर व नीचे पीले रंग की पट्टी थी और साइड में यादव लिखा हुआ था।

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बस का परिचालक महिपालपुर, धौलाकुआं, द्वारका जाने के लिए आवाज लगाने लगा। दोनों की नजर जब बस की तरफ गई तो परिचालक ने 'बहन जी' कहते हुए उन्हें बस में आने के लिए कहा था। उनके बस में सवार होते ही परिचालक ने दरवाजा बंद कर दिया था और चालक बस लेकर चल पड़ा था। बस में बैठने पर दोनों ने देखा कि उसमें चालक समेत छह लोग सवार थे।

अवनींद्र से 20 रुपये किराया वसूलने के बाद एक आरोपित ने उससे कहा कि वह इतनी रात को लड़की को लेकर कहां जा रहा है। इस पर अवनिंद्र ने कहा कि उसे क्या मतलब है। इसी बात पर बहस शुरू हो गई। आरोपितों ने युवती से छेड़खानी शुरू कर दी। विरोध करने पर रॉड से अवनींद्र के सिर पर वार कर दिया।

इसके बाद युवती से दरिंदगी की। दोनों शोर मचाते रहे। बस करीब 24 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी थी। आरोपित मुकेश बस को लेकर महिपालपुर रोड एनएच-8 से यूटर्न लेकर द्वारका रूट पर गया और फिर वापस महिपालपुर आया। होटल एरिया के सामने चलती बस से दोनों को फेंक दिया गया। बीस मिनट बाद वहा से गुजर रहे इगिस कंपनी के पेट्रोलिंग ऑफिसर ने पुलिस को सूचना दी थी।

इगिस कंपनी नेशनल हाईवे की सिक्योरिटी देखती है। वे लोग उस समय जीप से गुजर रहे थे। पहले रात 10.22 बजे दिल्ली कैंट थाने को सूचना मिली थी कि महिपालपुर से दिल्ली कैंट की तरफ आने पर जीएमआर कंपनी के गेट नंबर एक के सामने एक लड़का व लड़की बिना कपड़ों के बैठे हुए हैं और वहां लोगों की भीड़ लगी हुई है।

थाने की पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही पीसीआरकर्मी दोनों को सफदरजंग अस्पताल पहुंचा चुके थे। पीसीआरकर्मियों को लगा था कि यह दक्षिण-पश्चिम का इलाका है, इसलिए उन्होंने सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया था। अस्पताल से देर रात 11.30 बजे वसंत विहार पुलिस को सूचना मिली थी। 11.35 बजे तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा पूरी टीम के साथ अस्पताल पहुंच गई थीं। सुबह होने पर जैसे ही लोगों को घटना की जानकारी मिली आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली में जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

दुष्कर्म पीड़िता के मृत्युपूर्व बयान सही : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सोमवार को कहा कि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीड़िता के मृत्युपूर्व तीनों बयान सही थे और उनमें एकरूपता थी। ट्रायल के दौरान अलग-अलग अदालतें इन्हें खारिज करने की मांग को ठुकरा चुकी हैं। उसका पहला बयान 16 दिसंबर 2012 की रात को तब दर्ज हुआ था जब उसे अस्पताल में दाखिल कराया गया। दूसरा 21 दिसंबर को एसडीएम के सामने व तीसरा 25 दिसंबर को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुआ था। तीसरे बयान में उसके हावभाव के जरिये वारदात का अंदाजा लगाया गया। कोर्ट ने कहा कि जहां तक तीसरे बयान की बात है तो यह साक्ष्य के तौर पर मान्य है। अभियुक्तों ने मृत्यु पूर्व बयान को खारिज करने की मांग इस आधार पर की थी कि उनमें एकरूपता नहीं है। उनका कहना था कि दूसरे बयान को पुलिस ने डायरी में दर्ज ही नहीं किया था।

महिला सुरक्षा के दावे हवा-हवाई
संत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सोमवार को पुनर्विचार याचिका खारिज कर दुष्कर्मियों को फांसी दिए जाने की राह साफ कर दी हो, लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर दिल्ली अब भी तैयार नहीं है। यह संयोग ही है कि जो लोग उस समय दिल्ली को महिलाओं के लिए असुरक्षित बताकर आंदोलन चला रहे थे, वही आज दिल्ली की सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ बैठे हैं। साढ़े तीन साल पहले महिला सुरक्षा को लेकर इस सरकार ने जो वादे किए थे वे कागजी साबित हुए।

सार्वजनिक परिवहन सेवा में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें तो वसंत विहार दुष्कर्म कांड के दौरान ही होने लगी थीं, लेकिन चुनावी बेला में हुआ कुछ खास नहीं था। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा तथा सार्वजनिक परिवहन पर खासा फोकस किया। तमाम बातें की गईं, आनन-फानन में कई घोषणाएं भी कर दी गईं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आम आदमी पार्टी की सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर लास्टमाइल कनेक्टिविटी की बात कही। यानी खासतौर पर महिलाओं को उनके गंतव्य के अंतिम छोर तक सार्वजनिक परिवहन सेवा दी जाएगी। लेकिन हकीकत में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए भी कुछ नहीं किया गया। दिल्ली सरकार ने बसों, बस स्टॉप और भीड़भाड़ वाली जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी घोषणा की थी। इस दिशा में भी एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी।

ट्रायल की औपचारिकता अवश्य ही निभाई गई। बसों में मार्शल तैनात करने की योजना भी आधी-अधूरी कही जा सकती है। कुछ बसों में मार्शल तैनात तो किए गए पर वे भी कुछ दिन ही नजर आए। क्लस्टर व डीटीसी बसों में जीपीएस लगाए जरूर गए, लेकिन अब वे खराब हो चुके हैं। सभी आटो व टैक्सी में आज भी जीपीएस नहीं लग सके हैं। महिला सुरक्षा को ध्यान में रख कर सभी टैक्सियों में पैनिक बटन लगाए जाने की बात कही गई थी। जो पीछे वाली सीट के ठीक सामने होता। असुरक्षित महसूस किए जाने पर महिलाएं इसे दबाकर पुलिस बुलाकर सकती थीं। जिसका कनेक्शन सीधे पुलिस कंट्रोल रूम से होना था। यह योजना भी पूरी नहीं हो सकी है। महिला सुरक्षा दल गठित करने की योजना भी हवा-हवाई साबित हुई है।


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