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38 साल की BJP का कमाल: संघर्ष से भरा रहा किंग मेकर से किंग बनने का सफर

मोदी व शाह के फार्मूले व कड़ी मेहनत ने वर्ष 2014 में बैसाखी तोड़ो-अकेला चलो की उम्मीदों को पूरा किया।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 07 Apr 2018 06:42 PM (IST)Updated: Sun, 08 Apr 2018 08:54 AM (IST)
38 साल की BJP का कमाल: संघर्ष से भरा रहा किंग मेकर से किंग बनने का सफर
38 साल की BJP का कमाल: संघर्ष से भरा रहा किंग मेकर से किंग बनने का सफर

रेवाड़ी (महेश कुमार वैद्य)। अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। वर्ष 1980 में भाजपा के स्थापना के समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ये बातें आज प्रदेश में भी सही साबित चुकी हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने में भाजपा ने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। पार्टी के किंग मेकर से किंग बनने का सफर बेहद रोचक रहा है।

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स्थापना के बाद 1982 में हरियाणा में हुए पहले आम चुनाव में भाजपा को 7.68 फीसद वोट मिले थे। जिन 24 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा वहां 29 फीसद वोट मिले। वर्ष 1987 में लोकदल से गठबंधन में भाजपा ने न केवल 20 में से 16 सीटों पर जीत हासिल की, बल्कि 10.08 प्रतिशत वोट हासिल किए। चुनाव लड़ने वाली सीटों पर 44.76 फीसद मत मिले।

बंसीलाल ने भी समझी भाजपा की ताकत

वर्ष 1991 में पार्टी बिना गठबंधन चुनाव लड़ी तो सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई, लेकिन मत प्रतिशत 9.43 फीसद रहा। जिन सीटों पर चुनाव लड़ा उन पर भी मत प्रतिशत 9.53 फीसद रहा। इससे चौटाला के साथ-साथ चौ. बंसीलाल को भी भाजपा का ठोस वोट बैंक समझ में आ गया। वर्ष 1996 में पार्टी ने चौ. बंसीलाल की हविपा का साथ दिया तो बंसीलाल सीएम बन गए। बंसीलाल की हविपा को 33 तथा भाजपा को 25 में से 11 सीटें मिली। इस बार मत प्रतिशत 8.88 फीसद रहा। लड़ी सीटों पर पार्टी को 29 फीसद वोट मिले।

सीटों की सौदेबाजी बढ़ी

वर्ष 2000 में सीटों की सौदेबाजी में बंसी पर चौटाला भारी पड़े। पार्टी इनेलो से गठबंधन करके फिर सत्ता में भागीदार बनी। बंसी से बिगड़ने के बाद चौटाला ने भाजपा को 29 सीटें दीं, लेकिन सिर्फ छह जगह ही कमल खिल पाया। हालांकि मत प्रतिशत 8.94 रहा। लड़ी हुई सीटों पर मत प्रतिशत 26.75 रहा। वर्ष 2005 व 2009 में भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी को क्रमश: 2 व 4 सीटों पर ही जीत मिल पाई। वर्ष 2005 में मत प्रतिशत 10.36 व वर्ष 2009 में 9.04 फीसद रहा। जिन सीटों पर चुनाव लड़ा उन सीटों पर भी पार्टी को 2005 में 10.36 तथा 2009 में 9.05 प्रतिशत मत मिले।

पहली बार मिले 33 फीसद वोट

वर्ष 2014 में उधार के चेहरों को अपना बनाने के मोदी-शाह के प्रयोग से लहर आई तो सब कुछ बदल गया। पार्टी न केवल 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़कर 47 सीटें जीतकर अकेले बहुमत में आई, बल्कि मत प्रतिशत भी बढ़ाकर 33 फीसद पर पहुंचा दिया।

पार्टी के प्रथम छह विधायक

हरियाणा में पहली बार वर्ष 1982 में जिन्होंने कमल खिलाया था, उनमें महेंद्रगढ़ से प्रो. रामबिलास शर्मा, रोहतक से डा. मंगलसेन, अंबाला सिटी से शिव प्रसाद, सढौरा सुरक्षित से भागमल व सोनीपत से देवीदास शामिल थे।

प्रदेश प्रवक्ता वीर कुमार यादव ने बताया कि गठबंधन के दौर में पार्टी अपनी नीतियों को लागू नहीं कर सकती थी। इसी कारण हर कार्यकर्ता की इच्छा थी कि भाजपा अकेले दम पर सत्ता में आए। मोदी व शाह के फार्मूले व कड़ी मेहनत ने वर्ष 2014 में बैसाखी तोड़ो-अकेला चलो की हमारी उम्मीदों को पूरा किया।


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