देश के चर्चित इस एनकाउंटर की यादें एक बार फिर हुई ताजी, घटना पर बन चुकी है फिल्म
13 सितंबर 2008 को दिल्ली में पांच सिलसिलेबार बम धमाके हुए थे। इसमें करीब 30 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। साल 2008 में हुई बटला हाउस की घटना एक बार फिर ताजा हो गई। दरअसल आज के ही दिन यानी 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में पांच सिलसिलेबार बम धमाके हुए थे। इसमें करीब 30 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
घटना के छह दिन बाद दिल्ली पुलिस को सूचना मिली थी कि बम धमाके में शामिल आतंकी बटला हाउस में छुपे हुए हैं। इसकी जानकारी के बाद स्पेशल सेल की सात पुलिस कर्मियों की टीम 19 सितंबर 2008 को बटला हाउस पहुंची थी। जैसे ही पुलिस फ्लैट एल-18 में पहुंची वहां मौजूद आतंकियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी थी।
दो आतंकी मारे गए थे
एसीपी राजबीर सिंह की मौत के बाद स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा सहित सुपर कॉप डीसीपी संजीव यादव से जुड़ गए थे। इस मुठभेड़ में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के दो आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे। जबकि दो अन्य मोहम्मद सैफ और जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था और आरिज खान फरार होने में सफल हो गया था।
तीन पुलिसकर्मी हुए थे घायल
वहीं, आतंकियों द्वारा चलाई गोली लगने से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा सहित तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। बाद में इलाज के दौरान मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ के बाद कई स्थानीय लोगों की भी गिरफ्तारियां भी हुई थी। जिसके कारण कुछ राजनीतिक दलों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई का विरोध किया था।
पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया गया था। एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से मुठभेड़ मामले में रिपोर्ट तलब की थी। हालांकि बाद में पुलिस को क्लीन चिट दे दिया गया था और आतंकियों को सजा भी दी गई थी। मुठभेड़ में शहीद मोहन चंद शर्मा को वर्ष 2009 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च शांति सैन्य सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
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