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जानें- 300 वर्ष पुराने 'बाथरूम' का सच, दुनिया की सबसे खूबसूरत लव स्टोरी से है रिश्ता

एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुमताज महल के कारण लालकिला का यह भाग अति संवेदनशील था। इधर बाहरी लोगों को आने की इजाजत नहीं थी।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 12:58 PM (IST)
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नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने शाहजहां की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल के क्षतिग्रस्त हमाम को खोज निकाला है। यह पिछले करीब सवा दो सौ साल से जमीन में दबा हुआ था। यह हमाम मुमताज महल के दाहिनी ओर करीब 25 मीटर की दूरी पर है। इसके आसपास निर्माण थे, जिन्हें तोड़ा गया है। निर्माण तोड़े जाने के बाद एक स्थान पर जमीन में कुछ हिस्सा धंसा हुआ मिला। इस इलाके की एएसआइ के अधिकारियों ने जब सफाई कराई, तो जमीन में करीब 12 फीट गहरा हमाम मिला है। इसकी चौड़ाई करीब 15 फीट और लंबाई 40 फीट के करीब है। इसमें गर्म और ठंडे पानी से नहाने के लिए अलग-अलग चैनल हैं। दोनों ओर से आने-जाने के रास्ते हैं।

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एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुमताज महल के कारण लालकिला का यह भाग अति संवेदनशील था। इधर बाहरी लोगों को आने की इजाजत नहीं थी। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि यह मुमताज महल का ही शाही हमाम रहा होगा। उन्होंने कहा कि मोती मस्जिद के पास, जो शाही हमाम बना है वह मुमताज महल के महल से बहुत दूर है।

बहरहाल, अब इसका संरक्षण कार्य कराया जाएगा। एएसआइ के अधिकारी अपने दस्तावेजों में भी इस हमाम का कोई प्रमाण व डिजाइन ढूंढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिल सकी है। हमाम बुरी तरह तरह से क्षतिग्रस्त है। एक भाग में नहाने के लिए बैठने की पत्थर की सिर्फ दो सीटें बची हैं। दीवारों से कीमती पत्थर निकाल लिए गए हैं। छत को भी तोड़ दिया गया है। धरोहर को बचाने में लगी संस्था विरासत के अध्यक्ष व अधिवक्ता लखविंदर सिंह कहते हैं कि 1857 में जब अंग्रेजों ने लाल किला पर कब्जा कर लिया तो उन्होंने बहुत तोड़फोड़ की। संभवत: उसी समय इसे तोड़ दिया गया होगा और इसके कीमती पत्थर निकाल लिए गए होंगे।

पूरा होने वाला है मुमताज महल का संरक्षण कार्य
लालिकला में मुमताज महल के महल का संरक्षण कार्य जल्द ही पूरा होने जा रहा है। इस महल का संरक्षण कार्य 112 साल के बाद कराया जा रहा है। इससे पहले इस महल का 1907 में संरक्षण कार्य कराया गया था। इस महल में 1919 से संग्रहालय चल रहा था। जिस पर एएसआइ ने मार्च 2018 में ताला लगा दिया था। उसी समय से इसका संरक्षण कराने की योजना बन रही थी। अब तेजी से इसका संरक्षण कार्य चल रहा है। जो जल्द ही पूरा होने वाला है। महल में जिन चीजों के प्रमाण मिले हैं उन्हें संरक्षित भी किया गया है। मगर महल के बीच वाटर चैनल के पूरे प्रमाण नहीं मिले हैं, इसलिए इस भाग को बालू से बंद कर फर्श को बराबर किया जाएगा। इसका मकसद यह है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर इस भाग को खोला जा सकेगा। यह महल लालकिला में दक्षिणी और पूर्वी कोने के भाग में स्थित है।

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