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Kisan Andolan: धरना स्थल पर किसानों को बनाए रखने के लिए संयुक्त मोर्चा अपना रहा नए तरीके, अब करेगा ये भी काम

Kisan Andolan तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा हरसंभव कोशिश कर रहा है। इसके लिए तरह-तरह की गतिविधियों का भी आयोजन किया जा रहा है। हाल ही में कबड्डी व वालीबाल प्रतियोगिता भी आयोजित कराई गई थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 03:18 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 08:36 AM (IST)
Kisan Andolan: धरना स्थल पर किसानों को बनाए रखने के लिए संयुक्त मोर्चा अपना रहा नए तरीके, अब करेगा ये भी काम
गाजीपुर बॉर्डर पर पहले हो चुका है कबड्डी का आयोजन।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली/ सोनीपत। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा हरसंभव कोशिश कर रहा है। इसके लिए तरह-तरह की गतिविधियों का भी आयोजन किया जा रहा है। हाल ही में कबड्डी व वालीबाल प्रतियोगिता भी आयोजित कराई गई थी, लेकिन इन सबके बावजूद आंदोलन स्थल पर पूर्व की भांति युवाओं की सरगर्मी नहीं बढ़ रही है।

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इसे देखते हुए मोर्चा ने रणनीति बदलते हुए युवा नेता और दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराए लक्खा सिधाना को फिर से मंच देने की बात कह रही है। कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में कुंडली बार्डर पर चार महीने से अधिक समय से आंदोलन चल रहा है। शुरुआत में आंदोलन स्थल पर जहां युवाओं की भीड़ और पूरी सरगर्मी रहती है, उनमें भी कमी आई है।

प्रदर्शन स्थल पर सुनसान हुए पंडाल, लंगर और मंच की रौनक फिर से बढ़ाने के लिए मोर्चा के नेताओं ने आगामी कार्यक्रमों के साथ संसद घेराव की बात कहकर युवाओं को जोड़ना आरंभ कर दिया है। रोड जाम जैसे आंदोलन की कमान भी युवाओं के हाथों में सौंपने की बात कही जा रही है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत किसानों को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रदेशों में भी आयोजन कर रहे हैं। वो वहां पर पंचायत कर किसानों को अपने साथ जोड़ने के लिए उनके साथ मीटिगें कर रहे हैं मगर उसके बाद भी किसानों की संख्या में इजाफा नहीं हो पा रहा है।

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उधर राकेश टिकैत गुजरात में भी किसानों का समर्थन हासिल करने के लिए वहां गए थे मगर वहां से भी उन्हें निराशा ही मिली, गुजरास ते उनको उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल पाया, इससे वो निराश हुए। दूसरी ओर इस समय पंजाब में गेहूं की फसल को काटने का समय शुरू हो गया है, इस वजह से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान यहां से जा भी रहे हैं, ये एक और बड़ी चिंता का कारण बन रहा है।

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