Kisan Andolan: सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों की जारी है मनमानी, निहंगों का भी अड़ियल रवैया
Kisan Andolan प्रदर्शनकारी सिंघु बार्डर पर मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वह किसी न किसी बहाने पुलिस व सुरक्षा बलों के जवानों को उकसाते रहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेड हटाना शुरू कर दिया। वो इसके लिए क्रेन लाए थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी सिंघु बॉर्डर पर मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वह किसी न किसी बहाने पुलिस व सुरक्षा बलों के जवानों को उकसाते रहते हैं। रविवार दोपहर भी अचानक प्रदर्शनकारियों ने सिंघु बार्डर पर बैरिकेड हटाना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारी इसके लिए क्रेन लेकर आए थे। उन्होंने कुछ बैरिकेड इधर-उधर भी कर दिए। निहंग इस दौरान अड़ियल रवैया अपना रहे थे।
उन्होंने बैरिकेड हटाकर रास्ता खोलने की धमकी भी दी। मौके पर तैनात जवानों ने ऐसा करने से रोका तो दोनों पक्षों के बीच तकरार हो गई और काफी देर तक हंगामा होता रहा। इसके बाद वह धरना स्थल पर लौट गए। दरअसल प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वह इमरजेंसी सेवाओं के लिए रास्ता खोल रहे हैं और उन्होंने भी अपने टेंट हटा दिए हैं, जबकि सच्चाई इससे कोसो दूर है। सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा की सीमा में प्रदर्शनकारियों ने अभी तक एक तरफ का रास्ता नहीं खोला है। कुंडली बॉर्डर पर हाईवे के एक रास्ते पर मंच लगाया हुआ है, जबकि दूसरे रास्ते पर कई संस्थाओं की ओर से लंगर लगाए गए हैं और प्रदर्शनकारियों की ट्रालियां खड़ी हुई हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारी रात के समय बैरिकेड हटाने की कोशिश कर सकते हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हरियाणा के प्रशासन ने उन्हें रास्ता देने के लिए आग्रह किया था। इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि अभी तक उनके पास बैरिकेड हटाने का कोई आदेश नहीं आया है। अगर आदेश आता है, तो ही वह रास्ते से बैरिकेड हटाएंगे। इधर, प्रदर्शनकारियों ने रास्ता खुलवाने के लिए रविवार शाम को बाहरी उत्तरी दिल्ली पुलिस उपायुक्त को ई-मेल के जरिये पत्र भी भेजा है। हालांकि, इस बारे में उपायुक्त की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। मालूम हो कि इससे पहले दिल्ली में यूपी गेट के पास से दिल्ली पुलिस ने रात के 11.30 बजे मौके पर पहुंचकर यहां लगाए गए सैकड़ों बैरियर हटा दिए थे।
दरअसल कोरोना संक्रमण के फिर से दिल्ली में केस बढ़ जाने के बाद से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की ओर से ये कदम उठाए गए थे। अब ये माना जा रहा था कि जैसे कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है उसको देखते हुए हरियाणा सरकार, दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस उनके आंदोलन को खत्म कर सकती है। इससे पहले जब साल 2020 में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा था उस दौरान शाहीन बाग का आंदोलन खत्म हो गया था। इस बात को लेकर किसान नेता भी चिंतित हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही कह दिया गया है कि किसी सार्वजनिक रास्ते को रोककर बैठना किसी भी तरह से उचित नहीं है। उसके बाद भी किसानों ने आंदोलन खत्म नहीं किया है।