Kisan Andolan: जानिए संयुक्त किसान मोर्चा के किस बयान की वजह से हरियाणा के किसान और अन्य लोग हुए नाराज
10 माह से भी अधिक समय से तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ धरना देकर दिल्ली-हरियाणा के बीच प्रमुख रास्तों को रोक रहे संयुक्त किसान मोर्चा पर आरंभ से ही कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं। हत्या दुष्कर्म राष्ट्रविरोधी नारे जैसी घटनाओं पर मोर्चा हर बार पल्ला झाड़ लेता है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कुंडली बार्डर पर शुक्रवार तड़के पंजाब के अनुसूचित जाति युवक लखबीर की नृशंस हत्या के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के अधिकारिक बयान से हरियाणा के लोगों में नाराजगी है। पिछले 10 माह से भी अधिक समय से तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ धरना देकर दिल्ली-हरियाणा के बीच प्रमुख रास्तों को रोक रहे संयुक्त किसान मोर्चा पर आरंभ से ही कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं। हत्या, दुष्कर्म, राष्ट्रविरोधी नारे जैसी घटनाओं पर मोर्चा हर बार पल्ला झाड़ लेता है। मोर्चे ने लखबीर की नृशंस हत्या के बाद भी यही कहा कि हत्या के लिए जिम्मेदार निहंगों के समूह से उनका कोई सरोकार नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन (अतर) के प्रधान अतर सिंह संधु का कहना है कि लखबीर की हत्या के मामले में संयुक्त किसान मोर्चा इस तरह एक बयान जारी कर अपने को हत्यारों से अलग नहीं कर सकता। कुंडली बार्डर सहित जहां भी इस समय तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं, उनका नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है। इन धरनास्थलों पर संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत सहित अन्य नेताओं की सहमति से ही समस्त कार्य किए जाते हैं। सरकार को इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करनी चाहिए।
सेवानिवृत्त भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी कैप्टन नारायण सिंह का कहना है कि धरनास्थलों को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रविरोधियों का अड्डा बना लिया है। आम जनता बंद रास्तों से परेशान है और जिस तरह से बलबीर नामक युवक की इस धरनास्थल पर हत्या हुई है, उससे तो पूरे समाज में दहशत फैल गई है। अब तक तो लोग जैसे-तैसे धरनास्थल के बीच से निकलकर बंद रास्ते पार करते थे, लेकिन अब कोई यहां से निकलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाएगा। धरनास्थल के आसपास रहने वाले लोग इस समय दहशत के साये में जी रहे हैं। सरकार को तत्काल प्रभाव से मोर्चे के प्रतिनिधियों से इसका जवाब लेना होगा।
उधर कुंडली बार्डर पर एक युवक की बर्बरता पूर्वक हत्या किए जाने के मामले से आंदोलन के बीच वक्ता कन्नी काट रहे हैं। शनिवार को टीकरी बार्डर के मंच से ज्यादातर वक्ताओं ने इस मसले पर बोलने से किनारा किया। जो बोले, उनकी जुबां पर इस घटना को लेकर दर्द नहीं दिखा, बल्कि मारे गए युवक को यहां पर साजिश के तहत भेजने का आरोप लगाया। शाम को यहां पर बैरिकेड से बांधकर पुतले फूंके गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। पंजाब के किसान नेता रुलदू मानसा ने कहा कि आंदोलन को चलते हुए बहुत रुकावटें आई हैं पर हम सभी ने उनका मुकाबला किया। जो घटना कुंडली बार्डर पर हुई, उसको लेकर प्रशासन ने पूरी जिम्मेदारी संयुक्त किसान मोर्चा के ऊपर डाल दी है।
अगर प्रशासन संयुक्त किसान मोर्चे को इस घटना का जिम्मेदार मानता है तो हम बोलते हैं कि हम इस मामले को अपने तरीके से सुलझाएंगे। हमने बताया है कि इस घटना के मामले में हमारा कोई लेना-देना नहीं है। अगर कोई गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी करेगा तो वह निंदा की बात है। जिसकी हत्या हुई है उसको किसी ने घटना करने के लिए पंजाब से यहां भेजा होगा। रुलदू मानसा ने अपील की कि आंदोलन को शांत बनाने की कोशिश रखें। आंदोलन के अंदर आपस में लड़ाई-झगड़ा न करो।
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